नई दिल्ली : पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय अपने निरंतर प्रयासों से परिवहन के अधिक लागत-प्रभावी और पर्यावरण के अनुकूल साधन के रूप में अंतर्देशीय जल परिवहन को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय जलमार्गों का विकास और आधुनिकीकरण कर रहा है। पीआईबी द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग राज्य मंत्री शांतनु ठाकुर ने आज पश्चिम बंगाल में राष्ट्रीय जलमार्ग 44 (इचामती नदी) पर ड्रेजिंग कार्य का उद्घाटन किया।
इस अवसर पर शांतनु ठाकुर ने कहा, ‘प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक बार कहा था कि ‘अंतर्देशीय जलमार्ग भारत की अर्थव्यवस्था के विकास को शक्ति दे रहे हैं।’ अब, उनके नेतृत्व में, पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग, राष्ट्रीय जलमार्ग के विकास की दिशा में पहली बार इस तरह का काम कर रहा है, जो पहले कभी नहीं हुआ था। शासनादेश के अनुसार, 1.5 मीटर (1.2 मीटर +0.3 मीटर टॉलरेन्स) की नौवहन गहराई हासिल करने और नदी में ज्वारीय प्रभाव को बढ़ाने के लिए तेंतुलिया से कलांची तक 23.38 किमी तक ड्रेजिंग का काम शुरू किया जा रहा है। मार्च 2023 तक ड्रेजिंग और अन्य संबद्ध खर्चों को पूरा करने के लिए ₹ 3.77 करोड़ का बजट स्वीकृत किया गया है और आगे की आवश्यकता के अनुसार, 2023-24 के लिए नई योजना स्वीकृत की जाएगी और इस प्रारंभिक ड्रेजिंग के परिणाम के बाद उच्च क्षमता वाले ड्रेजर को तैनात किया जाएगा।’
नौवहन क्षमता में सुधार लाने के लिए, तेंतुलिया (सीएच 40 किमी) से कलानची (सीएच 63.38 किमी) तक, जलकुंभी, खरपतवार, प्लास्टिक और गैर-प्लास्टिक सामग्री सहित अपशिष्ट, प्राकृतिक और कृत्रिम (डंप की गई सामग्री) को साफ किया गया और ड्रेजिंग मात्रा का आकलन किया गया। पहले चरण में, तारणीपुर (सीएच 61.9 किमी) पुल का निमार्ण, पश्चिम बंगाल सरकार के माध्यम से डिपोजिट वर्क के आधार पर, पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय की सागरमाला परियोजना के तहत 136.20 करोड़ रुपये के वित्तपोषण के लिए सक्रिय रूप से विचाराधीन है। आईडब्ल्यूएआई ने मौजूदा अस्थायी बांस पुल को बदलने के लिए भी कदम उठाया है, जिसके लिए जादवपुर विश्वविद्यालय, कोलकाता को, स्वरूपनगर में अस्थायी बांस पुल को बदलने के लिए, अध्ययन/डिजाइन, ड्राइंग और लागत अनुमान का काम सौंपा गया है।
अंतर्राष्ट्रीय कनेक्टिविटी (बांग्लादेश के साथ)
घोजाडांगा-भोमरा और पेट्रापोल-बेनापोल इंटीग्रेटेड चेक पोस्ट (आईसीपी) से यातायात की भीड़ कम करने के लिए, इचामती नदी की नौगम्यता और अंतर्देशीय जल पारगमन और व्यापार संबंधी प्रोटोकॉल में शामिल करने की व्यवहार्यता अध्ययन का आकलन करने के लिए, हेमनगर-कलांची-खेड़ापारा (170.38 किमी) से नए भारत-बांग्लादेश प्रोटोकॉल मार्ग के लिए भारत-बांग्लादेश सदस्यों वाली एक संयुक्त तकनीकी समिति का गठन किया गया है।
i. हेमनगर से बंसझारी, मल्लिकपुर: 82 किमी – प्रस्तावित आईबीपी मार्ग
ii.बांसझारी, मल्लिकपुर से कलांची: 63.38 किमी – एनडब्ल्यू-44
iii. कलांची से खेड़ापारा : 25 किमी – प्रस्तावित आईबीपी मार्ग
कुल : 170.38 किमी
भारत में जलमार्गों का विकास एक सतत प्रक्रिया है, जिसमें अल्पकालिक और दीर्घकालिक योजना तथा कार्यान्वयन दोनों शामिल हैं। यह परिवहन लागत को कम करने, व्यापार को बढ़ावा देने और रेल तथा सड़कों पर भीड़ को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
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