नई दिल्ली : भारत के उपराष्ट्रपति, श्री जगदीप धनखड़ (Vice President of India, Shri Jagdeep Dhankhar) ने कहा कि “शिक्षा के व्यावसायीकरण ने उसकी गुणवत्ता को प्रभावित किया है। शिक्षा कभी भी आय का स्रोत नहीं था, यह त्याग और दान का एक माध्यम था, जिसका उद्देश्य समाज की मदद करना था लेकिन हम देखते हैं कि इसको फायदे के लिए बेचा जा रहा है। कुछ मामलों में तो यह जबरन वसूली का रूप ले रहा है।”
कार्यक्रम के दौरान अपने सम्बोधन में श्री धनखड़ ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि “एक नई बीमारी और है – विदेश जाने की, विदेश में पढ़ाई करने की। बच्चा लालायित होकर जाना चाहता है, उसको नया सपना दिखता है, उसको लगता है कि वहां जाते ही स्वर्ग मिल जाएगा।” उन्होंने आगे कहा कि यह एक अंधाधुन्ध रास्ता है जिसमें देश का युवा विज्ञापनों से प्रभावित होकर फैसले ले लेता है। उन्होंने कहा कि उसका यह फैसला देश के विदेशी मुद्रा भंडार पर एक गहरी चोट है।
व्यापार, उद्योग, वाणिज्य और व्यवसाय से शैक्षणिक संस्थानों के विकास में उदारतापूर्वक योगदान देने की अपील करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षा में किया कोई भी निवेश हमारे भविष्य, आर्थिक उत्थान, शांति और स्थिरता में निवेश है।
अपने सम्बोधन में भारत के गौरवशाली इतिहास का जिक्र करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि “एक जमाना था हमारे भारत में तक्षशिला, नालंदा, मिथिला, वल्लभी, विक्रमशिला ऐसी अनेक संस्थाएं थी जो पूरे भारत में छाई हुई थी। दलाई लामा जी ने कहा कि जो भी बुद्ध का ज्ञान है वह सब नालंदा से निकला किन्तु बख्तियार खिलजी ने अपनी घनघोर कट्टरता के कारण नालंदा में स्थित शिक्षा के उस महान केंद्र को नष्ट कर दिया।”
साम्राज्यवादी शासन काल के दमनचक्र पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि ब्रिटिश शासन के तहत भारतीय संस्थानों को व्यवस्थित रूप से नष्ट कर दिया गया किन्तु महापुरुष स्वामी विवेकानंद ने अपने प्रयासों से उसे पुनर्जीवित किया।
अंततः अपने भाषण के समापन में अंतरराष्ट्रीय जगत में भारत की अहम भूमिका को उल्लेखित करते हुए श्री धनखड़ ने कहा “आज भारत का विश्व में बहुत महत्व है। आज, भारत की आवाज़ वैश्विक स्तर पर पहले से कहीं अधिक बुलंद है। ऐसी स्थिति में, हर व्यक्ति को यह धारणा और निष्ठा रखनी चाहिए कि हमें अपने राष्ट्र पर विश्वास करना है। हर परिस्थिति में, हमें राष्ट्र को पहले रखना चाहिए।”, उन्होंने कहा कि राजनीतिक, व्यक्तिगत या आर्थिक हितों को राष्ट्र के ऊपर नहीं रखना चाहिए तथा यह हमारा दायित्व है कि हम राष्ट्रविरोधी शक्तियों को निष्क्रिय करें।
इस कार्यक्रम के दौरान माननीय उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़, माननीय उपराष्ट्रपति की धर्मपत्नी श्रीमती डॉ सुदेश धनखड़, श्री प्रेम चंद बैरवा, उप-मुख्यमंत्री राजस्थान, श्री झाबर सिंह खर्रा, शहरी विकास एवं आवास मंत्री, राजस्थान सरकार, श्री घनश्याम तिवारी, राज्यसभा सांसद, शोभासरिया ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के चेयरमैन श्री पी.आर. अग्रवाल एवं अन्य गणमान्य अतिथि मौजूद रहे।