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शादी की रीतियों को निभाये बिना पति-पत्नी का दर्जा हासिल करने की कोशिश न करें युवा : सुप्रीम कोर्ट

Mochan Samachaar Desk by Mochan Samachaar Desk
02/05/2024
in देश
Reading Time: 1 min read
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शादी की रीतियों को निभाये बिना पति-पत्नी का दर्जा हासिल करने की कोशिश न करें युवा : सुप्रीम कोर्ट
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नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर साफ किया है कि हिन्दू रीति-रिवाज से की गई शादी तभी वैध होगी, जब इसमें शादी से जुड़ी रीतियों का पालन हो। हिंदू मैरिज एक्ट की धारा 7 के तहत इसमें सप्तपदी (सात फेरों जैसी रीति) का पालन होना चाहिए अन्यथा शादी मान्य नहीं होगी।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में युवाओं को नसीहत भी दी है कि वो शादी की रीतियों को निभाये बिना पति-पत्नी का दर्जा हासिल करने की कोशिश न करें। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वीजा जैसी कुछ व्यावहारिक सहूलियतों के लिए बिना फेरे लिए शादी का रजिस्ट्रेशन न कराएं। कोर्ट ने कहा कि शादी एक पवित्र बंधन है, एक संस्कार है, जिसकी भारतीय समाज में अपनी एक अहमियत है। शादी कोई गाने, डांस करने, शराब पीने, खाने-पीने और दहेज लेने का आयोजन नहीं है। यह ऐसा अहम आयोजन है, जिसमें दो लोग जीवन भर के साथ निभाने के लिए आपस में जुड़ते हैं। इसके लिए जरूरी है कि इसकी रीतियों का निष्ठा से पालन हो।

सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि हिंदू विवाह अधिनियम के तहत निर्धारित पारंपरिक रीति-रिवाजों और समारोहों का सख्ती से और धार्मिक रूप से पालन किया जाना चाहिए, ऐसा न करने पर विवाह पंजीकृत होने के बाद भी अमान्य घोषित कर दिया जाएगा। साथ ही कहा कि हिंदू विवाह एक पवित्र प्रक्रिया है, न कि “गीत और नृत्य” और “शराब पीना और भोजन करने” का कार्यक्रम। सुप्रीम कोर्ट की एक पीठ ने कहा कि अधिनियम की धारा 7 में ‘हिंदू विवाह के समारोहों’ को सूचीबद्ध किया गया है, जिसका विवाह की वैधता के लिए पालन किया जाना चाहिए और यदि ऐसा नहीं किया जाता है, तो कानून की नजर में विवाह वैध नहीं माना जाता है। धारा 7 कहती है कि एक हिंदू विवाह किसी भी पक्ष के पारंपरिक संस्कारों और समारोहों के अनुसार संपन्न किया जा सकता है।

इस दौरान न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा कि हिंदू विवाह एक ‘संस्कार’ और संस्कार है जिसे भारतीय समाज में महान मूल्य की संस्था के रूप में दर्जा दिया जाना चाहिए। पीठ ने एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि यह एक गंभीर मूलभूत कार्यक्रम है, ताकि एक पुरुष और एक महिला के बीच संबंध को जोड़ा जा सके, जो भविष्य में एक विकसित परिवार के लिए पति और पत्नी का दर्जा प्राप्त करते हैं, जो भारतीय समाज की एक बुनियादी इकाई है।

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Tags: HINDU MARRIAGEmochan samachaarsupreme courtYouth should not try to achieve the status of husband and wife without following the rituals of marriage: Supreme Courtशादी की रीतियों को निभाये बिना पति-पत्नी का दर्जा हासिल करने की कोशिश न करें युवा : सुप्रीम कोर्ट
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