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विरासत के संरक्षण के लिए आर्थिक ताकत बनना होगा: उपसभापति, राज्यसभा  

हिंदी पत्रकारिता दिवस के अवसर पर इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र (आईजीएनसीए) में एक अत्यंत महत्त्वपूर्ण पुस्तक ‘विदेश में हिंदी पत्रकारिताः 27 देशों की हिंदी पत्रकारिता का सिंहावलोकन’ का लोकार्पण किया गया।

Mochan Samachaar Desk by Mochan Samachaar Desk
30/05/2024
in देश
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विरासत के संरक्षण के लिए आर्थिक ताकत बनना होगा: उपसभापति, राज्यसभा   
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NEW DELHI: हिंदी पत्रकारिता दिवस के अवसर पर इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र (आईजीएनसीए) में एक अत्यंत महत्त्वपूर्ण पुस्तक ‘विदेश में हिंदी पत्रकारिताः 27 देशों की हिंदी पत्रकारिता का सिंहावलोकन’ का लोकार्पण किया गया। इस अवसर मुख्य अतिथि हरिवंश ने कहा कि यह पुस्तक विदेशों में हिंदी पत्रकारिता के 120 वर्षों का विवरण प्रस्तुत करती है, जिसे लेखक जवाहर कर्नावट ने ढाई दशकों से ज्यादा समय के श्रम और शोध से तैयार किया है। उन्होंने इस प्रकार के आयोजनों के लिए ‘आईजीएनसीए बुक सर्किल’ के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा, “लोगों और बुद्धिजीवियों के बीच बौद्धिक चेतना पैदा करने का यह एक कर्मठ प्रयास है।”

उन्होंने कहा कि यह पुस्तक भविष्य में लिखने वाले लोगों के लिए एक संदर्भ ग्रंथ की तरह है। उन्होंने बल देकर कहा कि किसी भी देश की भाषाई पत्रकारिता को देश की आर्थिक स्थिति से ताकत मिलती है। उन्होंने कहा कि इस पुस्तक से हमें पहली प्रेरणा मिलती है कि हमारे देश के समृद्ध अतीत को, बेहतर चीजों को हमें बचाकर रखना है, उससे भविष्य के लिए प्रेरणा लेनी है, तो हमें महत्त्वपूर्ण आर्थिक ताकत बनना पड़ेगा। तभी हम इस विरासत को बचा कर रख पाएंगे और इसे आगे ले जा पाएंगे। उन्होंने अपने सम्बोधन के अंत में कहा कि यह पुस्तक समकालीन पाठकों को हिंदी पत्रकारिता के वैश्विक परिप्रेक्ष्य के बारे में शिक्षित करने वाली है, जिससे आज के समय में उनकी समझ समृद्ध होगी।

पुस्तक के लेखक हैं डॉ. जवाहर कर्नावट और इसे प्रकाशित किया है राष्ट्रीय पुस्तक न्यास (नेशनल बुक ट्रस्ट) ने। पुस्तक का लोकार्पण राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश, आईजीएनसीए के अध्यक्ष रामबहादुर राय, सप्रे संग्रहालय, भोपाल के संस्थापक पद्मश्री विजयदत्त श्रीधर, आईजीएनसीए के डीन (प्रशासन) व कलानिधि प्रभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. रमेश चंद्र गौड़, वैश्विक हिंदी परिवार के अध्यक्ष अनिल जोशी और अलका सिन्हा ने किया।

रामबहादुर राय ने अपने सम्बोधन की शुरुआत में लेखक से अनुरोध किया कि पुस्तक का अगला संस्करण आए, तो इसका नाम ‘दुनिया भर में हिंदी पत्रकारिता’ कर देना चाहिए। उन्होंने बताया कि सिंगापुर में हिंदी पत्रकारिता की शुरुआत सैनिकों ने की थी। उन्होंने कहा, पुस्तक पढ़ते समय आपको लगेगा कि हिंदी पत्रकारिता प्रेम का धागा है, जो दुनिया में भारत से चलता है और भारत आकर पहुंचता है।

विजयदत्त श्रीधर ने कहा कि पत्रकारिता की एक परिभाषा बताई गई है कि जिसे छिपाना चाहा जा रहा हो, समाचार वो है, बाकी सब प्रचार है। विदेशों में जो गिरमिटिया गए थे, वे ही वहां हिंदी लेकर गए थे। ये वो भारतीय थे, जिन्होंने परदेस में स्वदेश रचने की सांस्कृतिक यात्रा की। उस यात्रा में महत्त्वपूर्ण योगदान पत्र-पत्रिकाओं का है, जिसको बताने का बहुत बड़ा काम इस पुस्तक में किया गया है। अनिल जोशी ने कहा कि विदेशों में हिंदी पत्रकारिता प्रतिकार की पत्रकारिता, संघर्ष की पत्रकारिता, विद्रोह की पत्रकारिता है। विदेशों में हिंदी पत्रकारिता के विकास क्रम के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि विदेश में हिंदी पत्रकारिता के कई चरण हैं।

पुस्तक के लेखक डॉ. जवाहर कर्नावट ने पुस्तक के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि हिंदी का फलक बहुत व्यापक है और इस पर काम किया जाना चाहिए, जिससे हिंदी की प्रतिष्ठा बढ़े। हिंदी पूरे विश्व में व्यापक रूप से फैली है। उन्होंने कहा कि इस पुस्तक को लिखने के क्रम में सही जानकारी प्राप्त करने के लिए गहन शोध किया। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में भारत की हिंदी पत्रकारिता का योगदान रहा, उसी प्रकार विदेश से निकलने वाले हिंदी पत्र-पत्रिकाओं के कंटेंट को देखोंगे, तो हमें ऐसा लगता है कि उन पत्र-पत्रिकाओं का भी काफी योगदान रहा।

प्रसिद्ध लेखिका अलका सिन्हा ने भी इस चर्चा में अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम का संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन आईजीएनसीए के मीडिया सेंटर के दीपक कुमार भारद्वाज ने किया।

Tags: HINDI PATRAKAARITA DIWASIndira Gandhi National Center for the Arts (IGNCA)mochan samachaar
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