नई दिल्ली : केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह (Union Minister Dr. Jitendra Singh) ने आज नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में लोक सेवा प्रशिक्षण संस्थान सम्मेलन में ‘अमृत ज्ञान कोष’ (Amrit Gyan Kosh portals) पोर्टल और ‘फैकल्टी डेवलपमेंट पोर्टल’ (Faculty Development’ portals) की शुरुआत की।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने राष्ट्रीय क्षमता निर्माण आयोग और मिशन कर्मयोगी भारत की यात्रा का उल्लेख किया। उन्होंने कहा, “यह लोक सेवा प्रशिक्षण को लेकर हमारे दृष्टिकोण में एक आदर्श बदलाव का प्रतीक है और यह वैश्विक परिप्रेक्ष्य के साथ भारतीय लोकाचार पर आधारित भविष्य के लिए तैयार लोक सेवा की परिकल्पना भी करता है।”
कार्मिक और प्रशिक्षण (डीओपीटी) मंत्री ने आगे कहा, “बहुत ही कम समय में ही सीबीसी और मिशन कर्मयोगी शासन संरचना के साथ एकीकृत हो गए हैं। हालांकि कई लोग इनकी भूमिका को लेकर संशय की स्थिति में थे, लेकिन सब कुछ पीछे छोड़कर अपने लिए एक विशेष स्थान बनाया है व न्यूनतम सरकार और अधिकतम शासन के लक्ष्य को प्राप्त करने में सकारात्मक योगदान दे रहे हैं।” उन्होंने इसकी घोषणा की कि इसके तहत हर साल 31 लाख सरकारी कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके अलावा मंत्री ने कहा, “प्रौद्योगिकी और शासन के विकास के साथ हमें हर चरण में सीखने और सीखी हुई चीजों को भूलने की जरूरत है।”
केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ), परमाणु ऊर्जा विभाग, अंतरिक्ष विभाग, कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने अमृत ज्ञान कोष के दो पोर्टलों की शुरुआत के अवसर पर कहा, “हमारे साझा शिक्षण संसाधन ज्ञान बैंक संस्थानों को ज्ञान सामग्री देने के लिए हमेशा पश्चिम पर निर्भर रहने की जगह भारत केंद्रित केस स्टडीज तक पहुंच प्रदान करेंगे।”
उन्होंने आगे इस बात को रेखांकित किया कि एक पेशेवर खुद ही अच्छा शिक्षक नहीं बन जाता है और शिक्षक विकास कार्यक्रम यह सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण होगा कि पेशेवरों व शिक्षक लोक सेवकों को बेहतर ज्ञान प्रदान करने में सक्षम हों।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने लोक सेवा प्रशिक्षण संस्थानों के लिए राष्ट्रीय मानकों की उपलब्धियों को रेखांकित किया। उन्होंने कहा, “हमने 140 से अधिक प्रशिक्षण संस्थानों को मान्यता दी है और हर एक मान्यता एक अधिक सक्षम, कुशल व उत्तरदायी लोक सेवा की दिशा में एक कदम का प्रतिनिधित्व करती है।”
इसके अलावा डॉ. जितेन्द्र सिंह ने 13वीं गुणवत्ता सुधार योजना (क्यूआईपी) की भी शुरुआत की, जो हमारे प्रशिक्षण संस्थानों के निरंतर सुधार के लिए एक रोडमैप है। साथ ही, उन्होंने 20 मंत्रालयों को मान्यता भी प्रदान की।
डॉ. सिंह ने इस बात को रेखांकित किया कि इस मिशन की धुरी निरंतर शिक्षण और योग्यता-आधारित क्षमता निर्माण है। मंत्री ने इसका उल्लेख किया कि ‘मिशन कर्मयोगी- प्रारंभ’ एक आदर्श बदलाव है और यह क्षमता निर्माण को लोक सेवकों के दायरे से आगे बढ़ाकर उन सभी को शामिल करता है, जो राष्ट्र को लाभान्वित करने के साथ इसमें अपना योगदान देना चाहते हैं और यह केवल लोक सेवकों को ही क्षमता निर्माण के माध्यम से खुद को बेहतर करने तक सीमित नहीं रखता है।
डॉ. जितेन्द्र सिंह ने बताया कि राष्ट्रीय क्षमता निर्माण आयोग और मिशन कर्मयोगी भारत ने प्रधानमंत्री मोदी की सोच को शासन संरचना में एकीकृत कर दिया है। इसके अलावा उन्होंने कहा कि 140 करोड़ भारतीयों के जीवन को प्रभावित करने वाली शासन की गुणवत्ता इन संस्थानों में दिए जाने वाले प्रशिक्षण से सीधे प्रभावित होती है। इसके अलावा मंत्री ने गैर-सरकारी प्रतिष्ठानों के लिए क्षेत्र खोलने के बाद बहुत ही कम समय में सीबीसी और अंतरिक्ष क्षेत्र द्वारा प्राप्त सफलता के बीच की समानताएं भी बताईं। साथ ही, उन्होंने आपसी सहयोग से काम करने को लेकर समय की मांग के मद्देनजर अन्य क्षेत्रों को भी इसमें शामिल होने की सलाह दी।
इस सम्मेलन में मान्यता और प्रमाणन प्रदान करने के साथ-साथ कई सीएसटीआई को सम्मानित किया गया। साथ ही, विशेष रूप से आईजीओटी के उच्चतम पाठ्यक्रम वाले 5 सीएसटीआई को मान्यता दी गई। ये हैं- सचिवालय प्रशिक्षण और प्रबंध संस्थान (132), नीति अनुसंधान, नवाचार और प्रशिक्षण के लिए राष्ट्रीय दूरसंचार संस्थान (67), रफी अहमद किदवई राष्ट्रीय पोस्टल अकादमी (41), राष्ट्रीय संचार वित्त संस्थान (39) और एसवीपी राष्ट्रीय पुलिस अकादमी (20)।
इसके समापन पर डॉ. सिंह ने कहा कि 2047 के भारत के विजन को हासिल करने में मिशन कर्मयोगी और एनसीबीसी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
इस सम्मेलन में क्षमता निर्माण आयोग के अध्यक्ष आदिल जैनुलभाई वर्चुअल माध्यम से शामिल हुए। साथ ही, एचआर के सदस्य डॉ. आर. बालासुब्रमण्यम, सदस्य-प्रशासन डॉ. अलका मित्तल, मान्यता प्राप्त 20 मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारी और पूरे भारत के सीएसटीआई निदेशक भी उपस्थित थे।