नई दिल्ली : मास्टर कॉलोनी सवांगी मेघे, वर्धा के उच्च माध्यमिक विद्यालय की शिक्षा पृष्ठभूमि वाले 41 वर्षीय युवा प्रवीण थूल ने अप्रैल 2015-मार्च 2016 में बायो-प्रोसेसिंग और हर्बल डिवीजन, एमजीआईआरआई, वर्धा से डॉ. अपराजिता वर्धन के मार्गदर्शन में “विभिन्न प्रकार के अचार” बनाने का प्रशिक्षण लिया था। उनकी एक किराने की दुकान थी और वह घरेलू स्तर पर कुछ अचार भी तैयार करते थे, लेकिन उन्हें बैच एकरूपता की समस्याओं का सामना करना पड़ा। पीआईबी द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार वह इस कठिनाई को हल करने के लिए “जिला उद्योग केंद्र, वर्धा” गए, जहां उन्हें एमजीआईआरआई के प्रशिक्षण कार्यक्रम के बारे में जानकारी मिली।
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— Ministry of MSME (@minmsme) December 27, 2023
एमजीआईआरआई में प्रशिक्षण कार्यक्रम को सफलतापूर्वक समाप्त करने के तुरंत बाद उन्होंने मास्टर कॉलोनी सवांगी मेघे, वर्धा से प्रति दिन 100 किलोग्राम क्षमता के साथ “विभिन्न प्रकार के अचार” तैयार करने का काम शुरू कर दिया है। उनके द्वारा तैयार विभिन्न प्रकार के अचारों का मासिक टर्नओवर 1.5 लाख रुपये है, जिसमें से मुनाफा 40-45 हजार रुपये है। वह 4 लोगों को रोजगार दे रहे हैं। उन्होंने मुद्रा ऋण योजना के अंतर्गत वित्तीय सहायता ली है। स्थानीय और राज्य स्तर पर विपणन “सुमेधा गृह उद्योग” ब्रांड नाम नाम से किया जा रहा है।
अचार बनाना शुरू करने के बाद उन्हें उत्पादन में कुछ कठिनाइयों का सामना करना पड़ा और एमजीआईआरआई ने बायो-प्रोसेसिंग और हर्बल डिवीजन, एमजीआईआरआई में व्यावहारिक रूप से उनका मार्गदर्शन करके उनकी समस्या को सुलझाया। वह नियमित रूप से बायो-प्रोसेसिंग और हर्बल डिवीजन के माध्यम से अचार तैयार करने में तकनीकी सहायता ले रहे हैं और भविष्य में भी उन्हें यह सहयोग दिया जाएगा।
वह अपने कारोबार को छोटे से बड़े पैमाने पर फैलाना चाहेंगे। वर्तमान में वह मुख्य रूप से आम का अचार, मिर्च का अचार, नींबू का अचार और गाजर का अचार बना रहे हैं। वह अन्य तरह के अचारों को बनाने का काम भी शुरू कर सकते हैं।
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