नई दिल्ली : Indian Institute of Technology Jodhpur के शोधकर्ताओं ने एक नैनोसेंसर विकसित करने में बड़ी सफलता हासिल की है। यह नैनोसेंसर हमारे शरीर के विभिन्न कोशिकाओं को नियंत्रित करने वाले प्रोटीन के एक समूह साइटोकिन्स का शीघ्र ही पता लगा सकेगा। इसके विकास से गंभीर बीमारियों जैसे कैंसर, संक्रामक रोगों और रुमेटोलॉजिकल पहले ही पता चल सकेगा। जिससे उपचार करने में काफी सहूलियत होगी। इसके विकास से मृत्यु दर को भी कम करने में भी सहायक होगी।
साइटोकिन्स ऊतक क्षति की मरम्मत, कैंसर के विकास और प्रगति पता लगाने और प्रतिरक्षा प्रतिक्रियाओं को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यही कारण है कि वे ऑन्कोलॉजी, संक्रामक रोग और रुमेटोलॉजिकल रोगों जैसी विभिन्न स्थितियों के लिए सटीक दवा और लक्षित चिकित्सा विज्ञान विकसित करने के लिए महत्वपूर्ण हैं। आईआईटी जोधपुर के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर अजय अग्रवाल ने बताया कि इस तकनीक ने काफी बेहतर परिणाम प्रदान किए हैं।
प्रोफेसर अजय अग्रवाल ने बताया कि यह तकनीक जो फिलहाल अपने विकास चरण में है हालांकि तीन बायोमार्कर यानी इंटरल्यूकिन -6 (आईएल-6), इंटरल्यूकिन-बी (आईएल-बी), और टीएनएफ-ए उत्साहजनक परिणाम प्रदान किए हैं, जो प्रमुख प्रिइनफ्लेमेटरी साइटोकिन्स हैं। उन्होंने कहा कि जल्द ही इस तकनीक को इलाज के लिए सुलभ बना लिया जाएगा।
यह तकनीक सेमीकंडक्टर प्रौद्योगिकी पर आधारित है और सरफेस एन्हांस्ड रमन स्कैटरिंग (एसईआरएस) के सिद्धांत पर काम करता है जो तकनीक को अपनी उच्च क्षमता के साथ ट्रेस-स्तरीय अणुओं का पता लगाने में सक्षम बनाता है। साइटोकिन का पता लगाने के लिए वर्तमान में सबसे व्यापक रूप से उपयोग की जाने वाली तकनीकों में एंजाइम-लिंक्ड इम्युनोसॉरबेंट परख (एलिसा) और पोलीमरेज़ चेन रिएक्शन (पीसीआर) हैं। ये विधियां विश्वसनीय तो हैं लेकिन अधिक समय लेती हैं। इसके लिए प्रशिक्षित कर्मियों और 6 घंटे से अधिक का लंबा नमूना तैयार करने या विश्लेषण समय की आवश्यकता होती है।
वहीं आईआईटी जोधपुर द्वारा विकसित सेंसर साइटोकिन्स का पता लगाने में केवल 30 मिनट का समय लेती है और लागत प्रभावी भी है। विकसित सेंसर एक तीव्र और सटीक डेटा प्रोसेसिंग करके विश्लेषण के लिए एआई के साथ संयोजन में किया जाता है। यह सेंसर किसी व्यक्ति की ऑटोइम्यून बीमारियों और जीवाणु संक्रमण का पता लगाकर भविष्य में उनके इलाज के लिए मार्गदर्शन करने के लिए ट्रैक किया जा सकता है।