नई दिल्ली : उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने आज कहा कि विशेषाधिकार प्राप्त लोगों को अनिवार्य रूप से कानून के शासन को लेकर जवाबदेह बनाया गया है। इसके साथ उन्होंने चेतावनी दी, “इसका विरोध होना निश्चित है।पीआईबी द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार (According to the press release issued by PIB) ” उपराष्ट्रपति ने आगे उल्लेख किया कि कुछ लोग, पालन-पोषण या अन्य कारणों से काफी अलग व्यवहार करने के अभ्यस्त होते हैं और उन्हें कानून से कुछ प्रकार की छूट का आश्वासन दिया जाता है। श्री धनखड़ ने सवाल किया कि जब उन्हें लगता है कि “कानून का शासन उनके इतने नजदीक आ गया है, जो उन्हें एक सामान्य प्रक्रिया में जवाबदेह बनाता है, तो उन्हें सड़कों पर क्यों उतरना चाहिए?”
श्री धनखड़ ने आज उपराष्ट्रपति एन्क्लेव में प्रोफेसर रमण मित्तल और डॉ. सीमा सिंह की पुस्तक “लॉ एंड स्पिरिचुअलिटी: रीकनेक्टिंग द बॉन्ड” का विमोचन करने के बाद सभा को संबोधित किया। उपने संबोधन में उपराष्ट्रपति ने भारत को “विश्व का आध्यात्मिक केंद्र” बताया। उन्होंने आगे कहा कि भारत ने अपनी 5,000 वर्षों की सभ्यता के साथ अपने कालजयी ग्रंथों, दार्शनिक ग्रंथों और सांस्कृतिक अभ्यासों के माध्यम से लगातार विश्व में ‘धर्म’ और ‘अध्यात्म’ के संदेशों को प्रसारित किया है। उपराष्ट्रपति ने कड़ी मेहनत से प्राप्त की गई इस विरासत का उल्लेख किया। उन्होंने सभी लोगों से यह प्रतिबिंबित करने की जरूरत व्यक्त की कि हम अपनी सदियों पुरानी विरासत को कैसे बनाए रख सकते हैं।
उपराष्ट्रपति ने बताया कि उन्होंने संसदीय कार्य मंत्री को हर एक सांसद को वेदों की प्रतियां उपलब्ध कराने का सुझाव दिया था। श्री धनखड़ ने कहा, “मुझ पर भरोसा करें, आपके सिरहाने वेद होने से मानवता का काफी कल्याण होगा क्योंकि, जो मनुष्य वेदों का स्वाद चखेंगे, वे अपनी आत्मा से बोलेंगे, न कि मस्तिष्क या दिल से। जब कोई मस्तिष्क से बोलता है, तो उस पर तर्कसंगतता हावी हो जाती है, जब कोई दिल से बोलता है, तो उसमें भावनात्मक पहलू हावी होता है, लेकिन जब आत्माएं मिलती हैं, तो चीजें काफी अलग होती हैं।”
इस अवसर पर दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर योगेश सिंह सहित प्रोफेसर रमण मित्तल व डॉ. सीमा सिंह और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।