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यह जानना सुखद है कि विशेषाधिकार प्राप्त लोगों को कानून के शासन को लेकर जवाबदेह बनाया गया है : उपराष्ट्रपति

Mochan Samachaar Desk by Mochan Samachaar Desk
12/04/2024
in देश
Reading Time: 4 mins read
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यह जानना सुखद है कि विशेषाधिकार प्राप्त लोगों को कानून के शासन को लेकर जवाबदेह बनाया गया है : उपराष्ट्रपति
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नई दिल्ली  : उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने आज कहा कि विशेषाधिकार प्राप्त लोगों को अनिवार्य रूप से कानून के शासन को लेकर जवाबदेह बनाया गया है। इसके साथ उन्होंने चेतावनी दी, “इसका विरोध होना निश्चित है।पीआईबी द्वारा जारी प्रेस व‍िज्ञप्‍त‍ि के अनुसार (According to the press release issued by PIB) ” उपराष्ट्रपति ने आगे उल्लेख किया कि कुछ लोग, पालन-पोषण या अन्य कारणों से काफी अलग व्यवहार करने के अभ्यस्त होते हैं और उन्हें कानून से कुछ प्रकार की छूट का आश्वासन दिया जाता है। श्री धनखड़ ने सवाल किया कि जब उन्हें लगता है कि “कानून का शासन उनके इतने नजदीक आ गया है, जो उन्हें एक सामान्य प्रक्रिया में जवाबदेह बनाता है, तो उन्हें सड़कों पर क्यों उतरना चाहिए?”

उन्होंने कानून के शासन के अनुपालन को लोकतंत्र का अमृत करार दिया। उपराष्ट्रपति ने जोर देकर कहा कि अगर कानून के समक्ष समानता नहीं है तो लोकतंत्र का कोई मतलब नहीं है। श्री धनखड़ ने पिछले कुछ वर्षों के दौरान किए गए रूपांतरणकारी बदलाव पर प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि अब हर कोई कानून के प्रति जवाबदेह है। उन्होंने आगे कहा, “अगर किसी समाज में जब कोई व्यक्ति कानून का उल्लंघन करके बच जाता है, तो वह एकमात्र लाभार्थी होता है, लेकिन इससे पूरा समाज पीड़ित होता है।”

 

श्री धनखड़ ने आज उपराष्ट्रपति एन्क्लेव में प्रोफेसर रमण मित्तल और डॉ. सीमा सिंह की पुस्तक “लॉ एंड स्पिरिचुअलिटी: रीकनेक्टिंग द बॉन्ड” का विमोचन करने के बाद सभा को संबोधित किया। उपने संबोधन में उपराष्ट्रपति ने भारत को “विश्व का आध्यात्मिक केंद्र” बताया। उन्होंने आगे कहा कि भारत ने अपनी 5,000 वर्षों की सभ्यता के साथ अपने कालजयी ग्रंथों, दार्शनिक ग्रंथों और सांस्कृतिक अभ्यासों के माध्यम से लगातार विश्व में ‘धर्म’ और ‘अध्यात्म’ के संदेशों को प्रसारित किया है। उपराष्ट्रपति ने कड़ी मेहनत से प्राप्त की गई इस विरासत का उल्लेख किया। उन्होंने सभी लोगों से यह प्रतिबिंबित करने की जरूरत व्यक्त की कि हम अपनी सदियों पुरानी विरासत को कैसे बनाए रख सकते हैं।

 

उपराष्ट्रपति ने बताया कि उन्होंने संसदीय कार्य मंत्री को हर एक सांसद को वेदों की प्रतियां उपलब्ध कराने का सुझाव दिया था। श्री धनखड़ ने कहा, “मुझ पर भरोसा करें, आपके सिरहाने वेद होने से मानवता का काफी कल्याण होगा क्योंकि, जो मनुष्य वेदों का स्वाद चखेंगे, वे अपनी आत्मा से बोलेंगे, न कि मस्तिष्क या दिल से। जब कोई मस्तिष्क से बोलता है, तो उस पर तर्कसंगतता हावी हो जाती है, जब कोई दिल से बोलता है, तो उसमें भावनात्मक पहलू हावी होता है, लेकिन जब आत्माएं मिलती हैं, तो चीजें काफी अलग होती हैं।”

इस अवसर पर दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर योगेश सिंह सहित प्रोफेसर रमण मित्तल व डॉ. सीमा सिंह और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।

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Tags: It is heartening to know that the privileged have been held accountable for the rule of law: Vice Presidentmochan samachaarpibयह जानना सुखद है कि विशेषाधिकार प्राप्त लोगों को कानून के शासन को लेकर जवाबदेह बनाया गया है : उपराष्ट्रपति
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