नई दिल्ली : केंद्रीय ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री श्री गिरिराज सिंह ने आज नई दिल्ली में जेंडर आधारित हिंसा (जीबीवी) का समाधान करने में पंचायती राज संस्थानों की भूमिका पर एक दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का उद्घाटन आभासी माध्यम से किया। पीआईबी द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार गिरिराज सिंह ने इस अवसर पर “जेंडर आधारित हिंसा से मुक्त पंचायतें – निर्वाचित प्रतिनिधियों के लिए एक पुस्तिका” भी जारी की। कार्यशाला का आयोजन यूएनएफपीए (संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष) भारत के सहयोग से पंचायती राज मंत्रालय द्वारा किया गया था। इस अवसर पर सचिव श्री विवेक भारद्वाज, अतिरिक्त सचिव डॉ. चंद्र शेखर कुमार, स्थानीय प्रतिनिधि, यूएनएफपीए सुश्री एंड्रिया एम. वोज्नार और भारत सरकार और राज्य सरकारों के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।
अपने संबोधन में, श्री गिरिराज सिंह ने जेंडर आधारित हिंसा को कम करने के ठोस प्रयासों के रूप में व्यापक जागरूकता, सामूहिक संकल्प, आर्थिक सशक्तिकरण और आत्म-विश्वसनीयता जैसे महत्वपूर्ण घटकों के लिए पंचायती राज संस्थानों और सभी प्रमुख हितधारकों को प्रोत्साहित किया। श्री सिंह ने जेंडर आधारित हिंसा के व्यापक मुद्दे के समाधान के लिए एक समग्र दृष्टिकोण की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित किया। उन्होंने देश भर की महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण में योगदान देने वाले कार्यक्रमों को लागू करने में तीव्रता लाने के लिए सरकारी विभागों के बीच साझेदारी और एनआरएलएम, जेजेएम, एसबीएम आदि जैसी विभिन्न सरकारी योजनाओं के सम्मिलन का आह्वान किया।
केंद्रीय मंत्री ने ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक विकास, लैंगिक समानता और महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने की सरकार की प्रतिबद्धता को लागू करने के लिए पंचायती राज मंत्रालय की पहल की सराहना की। उन्होंने रेखांकित किया कि सामाजिक परिवर्तन को बढ़ावा देने और जेंडर आधारित हिंसा जैसी चुनौतियों से निपटने में पंचायती राज संस्थानों/ग्रामीण स्थानीय निकायों की महत्वपूर्ण भूमिका है। केंद्रीय मंत्री श्री गिरिराज सिंह ने सभी प्रमुख हितधारकों से महिला सशक्तिकरण के दृष्टिकोण को साकार करने के लिए हाथ मिलाने का आह्वान किया।
सचिव श्री विवेक भारद्वाज ने सतत विकास लक्ष्यों के स्थानीयकरण, पंचायत विकास योजनाओं, पंचायत विकास सूचकांक और महिला सशक्तिकरण, समावेशन और ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं के लिए बेहतर माहौल निर्माण की दिशा में की गई पहल के ऐसी 9 विषयों का उल्लेख करते हुए पंचायती राज मंत्रालय द्वारा की गई प्रभावशाली पहलों की एक श्रृंखला पर प्रकाश डाला। सचिव के संबोधन में, कई प्रमुख पहलों पर प्रकाश डाला गया, जो ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं के जीवन में सकारात्मक बदलाव को बढ़ावा देने और उनके सामाजिक और सशक्तिकरण को सुनिश्चित करने की केंद्र सरकार की प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करता है।
श्री विवेक भारद्वाज ने कहा कि प्रधानमंत्री जन धन योजना (पीएमजेडीवाई) जैसी सरकारी योजनाओं ने अधिक महिलाओं को वित्तीय रूप से शामिल करने और सशक्त बनाने में मदद की, एसबीएम-जी अभियान के तहत घरेलू शौचालयों तक पहुंच प्रदान की और पीएमएवाई-जी के तहत घरों का स्वामित्व प्रदान किया, जिससे समावेशन, आर्थिक सशक्तिकरण होने से महिलाओं की गरिमा बढ़ी और जीवनयापन में सुगमता आई ।
श्री भारद्वाज ने इस बात पर जोर दिया कि महिलाओं का सशक्तिकरण सिर्फ एक सामाजिक अनिवार्यता नहीं है बल्कि परिवारों, समाजों के सशक्तिकरण और राष्ट्र के विकास के लिए एक उत्प्रेरक है। उन्होंने कहा कि महिला सशक्तिकरण लचीले और समृद्ध समुदायों और भावी पीढ़ियों के निर्माण की आधारशिला है। जब महिलाएं सशक्त होती हैं, तो इसका व्यापक प्रभाव होता है जो व्यक्तिगत जीवन से कहीं आगे तक पहुंचता है।
यूएनएफपीए इंडिया की रेजिडेंट प्रतिनिधि सुश्री एंड्रिया एम. वोज्नार ने जेंडर आधारित हिंसा से निपटने की दिशा में सक्रिय कदम उठाने के लिए पंचायती राज मंत्रालय का आभार व्यक्त किया। उन्होंने इस महत्वपूर्ण मुद्दे को संबोधित करने की प्रतिबद्धता के लिए मंत्रालय की सराहना की और एक सुरक्षित और अधिक समावेशी समाज बनाने में सहयोगात्मक प्रयासों के महत्व को स्वीकार किया।
अपर सचिव, पंचायती राज मंत्रालय, डॉ. चंद्र शेखर कुमार, संयुक्त सचिव, पंचायती राज मंत्रालय, श्री विकास आनंद, ग्रामीण विकास मंत्रालय की संयुक्त सचिव श्रीमती स्मृति शरण और पंचायती राज मंत्रालय के निदेशक श्री विपुल उज्जवल ने भी उद्घाटन सत्र को संबोधित किया। राज्य और केंद्रशासित प्रदेश के पंचायती राज विभागों, एसआईआरडी और पीआर के वरिष्ठ अधिकारियों, पंचायती राज संस्थानों की निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों, पदाधिकारियों और अन्य हितधारकों ने दिन भर की कार्यशाला में भाग लिया और विचार-विमर्श में योगदान दिया।
ल
उद्घाटन सत्र के दौरान जिन मुख्य क्षेत्रों पर प्रकाश डाला गया उनमें शामिल हैं (i) जेंडर आधारित हिंसा से संबंधित मुद्दों के समाधान के लिए पीआरआई की क्षमता निर्माण में यूएनएफपीए की भूमिका, (ii) जमीनी स्तर पर जीबीवी को संबोधित करने के लिए संस्थागत प्रयासों को मजबूत करना, (iii) जीबीवी को संबोधित करने में समुदाय आधारित संगठनों (सीबीओ)/स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) की भूमिका और (iv) जेंडर आधारित हिंसा (जीबीवी) को रोकने के लिए समुदाय आधारित पहल को बढ़ावा देना।
सकारात्मक परिवर्तन को बढ़ावा देने के लिए एमओपीआर की प्रतिबद्धता को विचारोत्तेजक समूह चर्चाओं, आकर्षक प्रस्तुतियों और इंटरैक्टिव सत्रों के माध्यम से उद्धृत किया गया, जिसमें जेंडर आधारित हिंसा के बहुमुखी आयामों का पता लगा। कार्यशाला ने सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने, चुनौतियों पर चर्चा करने और परिवर्तन के लिए उत्प्रेरक के रूप में पंचायती राज संस्थानों की भूमिका को सशक्त बनाने के लिए कार्रवाई योग्य रणनीति तैयार करने के एक मंच के रूप में कार्य किया।
ग्रामीण विकास मंत्रालय, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, गृह मंत्रालय, राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के वरिष्ठ अधिकारी और प्रदान (प्रोफेशनल असिस्टेंस फॉर डेवलपमेंट एक्शन), टीआरआईएफ (ट्रांसफॉर्मिंग रूरल इंडिया फाउंडेशन) और अन्य हितधारकों के प्रतिनिधियों ने कार्यशाला में भाग लिया।
जेंडर आधारित हिंसा को संबोधित करने में पंचायती राज संस्थानों/समुदाय आधारित संगठनों की भूमिका, जमीनी स्तर पर नागरिक समाज संगठनों को शामिल करके जेंडर आधारित हिंसा को संबोधित करना, महिलाओं और बालिकाओं से संबंधित मुद्दों को संबोधित करने में पंचायती राज संस्थानों की भूमिका, महिलाओं और बालिकाओं की जमीनी स्तर पर तस्करी कम करने में, और जमीनी स्तर पर जेंडर आधारित हिंसा से संबंधित मुद्दों से निपटने में पंचायतों के निर्वाचित प्रतिनिधियों की भूमिका जैसे प्रमुख मुद्दे पर दिन भर चली कार्यशाला के दौरान चर्चा की गई। समूह चर्चाओं ने विभिन्न हितधारकों को एक साथ लाने का काम किया, जिनमें यूएनएफपीए, पंचायती राज संस्थानों, सरकारी संगठनों, गैर सरकारी संगठनों/सीबीओ, क्षेत्र विशेषज्ञों आदि के प्रतिनिधि शामिल थे।
कार्यशाला का उद्देश्य जीबीवी से संबंधित मुद्दों को कम करने और संबोधित करने में पीआरआई के निर्वाचित प्रतिनिधियों की भूमिका पर चर्चा करना और राज्य और केंद्रशासित प्रदेश पंचायती राज विभागों, एनआईआरडी और पीआर, एसआईआरडी और पीआर, पंचायती राज प्रशिक्षण संस्थानों और पंचायतों और सभी हितधारकों के बीच जागरूकता फैलाना था। कार्यशाला के दौरान चर्चा में बाल विवाह, मानव तस्करी, यौन शोषण, घरेलू हिंसा आदि जैसे संवेदनशील मुद्दे शामिल थे। कार्यशाला ने जेंडर आधारित हिंसा (जीबीवी) को संबोधित करने में समझ को गहरा करने और सामूहिक प्रयासों को बढ़ाने में मदद की, और सभी प्रतिभागियों ने रोकथाम रणनीतियों, समर्थन तंत्र, और सम्मान और समानता की संस्कृति को बढ़ावा देने का महत्व को समझा।
कार्यशाला सतत विकास लक्ष्यों (एलएसडीजी) के स्थानीयकरण की महिला-अनुकूल पंचायत थीम पर ठोस प्रयासों को आगे बढ़ाने में मदद करेगी, जो जमीनी स्तर पर सतत और समावेशी विकास प्राप्त करने की दिशा में पंचायती राज मंत्रालय द्वारा उठाया गया एक महत्वपूर्ण और अग्रणी कदम है। जमीनी स्तर पर शासन में महिला नेतृत्व को सशक्त बनाकर, लैंगिक असमानताओं और जेंडर आधारित हिंसा को कम करके और लक्षित पहलों को लागू करके, ग्रामीण समुदाय सभी के लिए अधिक न्यायसंगत और लचीला भविष्य बना सकते हैं। इन प्रयासों की सफलता महिला सशक्तिकरण और सतत विकास लक्ष्यों के स्थानीयकरण के लिए हितधारकों की सामूहिक प्रतिबद्धता पर निर्भर करती है।
……………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………..