नई दिल्ली : सार्वजनिक नीति और प्रशासनिक व्यवस्था पर कंबोडिया के सिविल सेवकों के लिए दो सप्ताह तक चलने वाला चौथा प्रशिक्षण कार्यक्रम आज राष्ट्रीय सुशासन केंद्र (एनसीजीजी), मसूरी में शुरू हो गया है। पीआईबी द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार (According to the press release issued by PIB) यह कार्यक्रम विदेश मंत्रालय (एमईए) की साझेदारी में 26 मार्च, 2024 से शुरू है जो 6 अप्रैल, 2024 तक चलेगा। कंबोडिया के निरीक्षण मंत्रालय और शिक्षा, युवा एवं खेल मंत्रालय में निदेशक, उप निदेशक, मुख्य कार्यालय के रूप में कार्यरत 39 अधिकारी मसूरी और नई दिल्ली में आयोजित इस कार्यक्रम में भाग ले रहे हैं।
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में एनसीजीजी के महानिदेशक और प्रशासनिक सुधार एवं लोक शिकायत विभाग (डीएआरपीजी) के सचिव श्री वी. श्रीनिवास उपस्थित थे। इस अवसर पर उन्होंने दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक संबंधों और उनकी सभ्यताओं के बारे में बात की। उन्होंने भारत के शासन मॉडल के बारे में भी विस्तार से बताया कि कैसे बेहतर नीति निर्माण, सेवा वितरण, संस्थानों में बदलाव और नागरिकों को सरकार के करीब लाने के लिए भारत में डिजिटल तकनीक को अपनाया गया है।
डीएआरपीजी सचिव ने कहा कि पारदर्शिता और जवाबदेही लाने तथा सुशासन सुनिश्चित करने के लिए संस्थानों का डिजिटलीकरण आवश्यक है। उन्होंने डीएआरपीजी, एनईएसडीए और खेलो इंडिया कार्यक्रम के तहत लोक शिकायत निवारण तंत्र और पेंशन कल्याण के बारे में विस्तार से बताया। अपने संबोधन में उन्होंने अधिकारियों को समूहों में काम करने और प्रमुख नीतियों तथा कार्यक्रमों पर प्रस्तुतियां देने के लिए प्रोत्साहित किया।
राष्ट्रीय सुशासन केंद्र भारत सरकार के कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय के प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग के तहत एक स्वायत्त संस्थान है। एनसीजीजी ने विदेश मंत्रालय के साथ साझेदारी में 17 देशों बांग्लादेश, केन्या, तंजानिया, ट्यूनीशिया, सेशेल्स, गाम्बिया, मालदीव, श्रीलंका, अफगानिस्तान, लाओस, वियतनाम, नेपाल, भूटान, म्यांमार, इथियोपिया, इरेट्रिया और कंबोडिया के सिविल सेवकों को प्रशिक्षण दिया है।
एसोसिएट प्रोफेसर और पाठ्यक्रम समन्वयक डॉ. बीएस बिष्ट ने पाठ्यक्रम के विषयों के बारे में एक संक्षिप्त परिचय दिया। इन विषयों में शासन में बदलते प्रतिमान और विकसित भारत@2047 शामिल हैं। सह-पाठ्यक्रम समन्वयक डॉ. संजीव शर्मा इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का समग्र पर्यवेक्षण और समन्वय करेंगे।