नई दिल्ली : अर्थव्यवस्था में हाइड्रोजन और ईंधन सेल के लिए अंतर्राष्ट्रीय साझेदारी (आईपीएचई) की 41वीं संचालन समिति की बैठक नई दिल्ली में 18 से 22 मार्च, 2024 तक आयोजित की जा रही है। पीआईबी द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार (According to the press release issued by PIB) पांच दिवसीय बैठक के पहले दिन 18 मार्च, 2024 को राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) दिल्ली में आईपीएचई अकादमिक आउटरीच कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस दौरान प्रतिनिधियों ने हाइड्रोजन और ईंधन सेल प्रौद्योगिकियों के भविष्य के बारे में विचार-विमर्श किया और इस संबंध में मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान की।
उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रोफेसर अजय सूद ने बताया कि हालांकि हाइड्रोजन कोई बहुत नई तकनीक नहीं है, लेकिन इसे और अधिक किफायती और स्वच्छ बनाने के लिए समन्वित रूप से कार्य करने की आवश्यकता है। उन्होंने क्षेत्र में कौशल विकास और अनुसंधान एवं विकास के महत्व पर बल दिया। नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के अलावा, भारत सरकार के विभिन्न अन्य मंत्रालय भी हरित हाइड्रोजन को अपनाने के लिए प्रयासरत हैं। प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार ने यह भी बताया कि हाइड्रोजन मूल्य श्रृंखला में काम के प्रमुख क्षेत्रों में पांच घटक अर्थात् उत्पादन, भंडारण, परिवहन, वितरण और उपभोग शामिल हैं।
नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के अपर सचिव श्री सुदीप जैन ने जलवायु परिवर्तन के महत्व और चुनौतीपूर्ण प्रकृति के बारे में विचार व्यक्त किए। उन्होंने हाइड्रोजन क्षेत्र के ऊर्जा परिवर्तन और विकास को सुविधाजनक बनाने के लिए अकादमिक और अनुसंधान संस्थानों से आवश्यक कार्य, सहयोग और साझेदारी पर बल दिया। उन्होंने कहा कि ग्रे हाइड्रोजन (प्राकृतिक गैस से उत्पन्न होता है, संबंधित उत्सर्जन को वायुमंडल में निष्कासित किया जाता है) से दूर जाने और हरित हाइड्रोजन की बड़ी हिस्सेदारी लाने के महत्व का उल्लेख किया।
आईपीएचई के उपाध्यक्ष श्री नोए वान हल्स्ट ने भारत को एक आर्थिक महाशक्ति, वैश्विक अर्थव्यवस्था का अग्रणी और स्वच्छ ऊर्जा भविष्य को आकार देने में एक निर्णायक प्रमुख बताया। उन्होंने स्वच्छ हाइड्रोजन के भविष्य को आकार देने में कौशल, शैक्षिक आउटरीच और अनुसंधान एवं नवाचार की आवश्यकता और इस संबंध में शिक्षा जगत की भूमिका पर बल दिया।
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली के डीन (अनुसंधान एवं विकास) प्रोफेसर नरेश भटनागर ने पिछले दो दशकों से हाइड्रोजन से चलने वाले वाहनों के अनुसंधान एवं विकास में आईआईटी दिल्ली की भागीदारी के बारे में जानकारी दी। उन्होंने ऊर्जा प्रणालियों में विभिन्न विषयों पर संस्थान द्वारा स्नातक, परास्नातक और पीएचडी स्तर पर प्रस्तुत किए जाने वाले पाठ्यक्रमों के बारे में भी बताया। उन्होंने कहा कि आईआईटी दिल्ली में 750 बार हाइड्रोजन सिलेंडर पर उच्च दबाव भंडारण के बारे में अनुसंधान और विकास प्रकिया जारी है।
अवाडा समूह के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री किशोर नायर ने ऊर्जा परिवर्तन की दिशा में भारत और अन्य देशों की पहल और उनकी नेट ज़ीरो प्रतिबद्धताओं के बारे में बात की। उन्होंने अनसंधान और नवाचार के क्षेत्र में शामिल बुद्धिजीवियों से अनुरोध किया कि वे हाइड्रोजन उत्पादन, भंडारण, परिवहन और अनुप्रयोगों को अधिक कुशल और लागत प्रभावी बनाने के लिए प्रौद्योगिकी विचारों के साथ आएं।
अपने स्वागत भाषण में, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के संयुक्त सचिव श्री अजय यादव ने भविष्य के वैकल्पिक ईंधन के रूप में ग्रीन हाइड्रोजन के महत्व का उल्लेख किया और राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन के अंतर्गत हरित हाइड्रोजन को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार के प्रयासों की जानकारी दी।
इस कार्यक्रम में पोस्टर प्रस्तुतियों और एक प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता सहित आकर्षक गतिविधियाँ भी शामिल थीं। कार्यक्रम का समापन प्रत्येक प्रतियोगिता में तीन विजेताओं की घोषणा और पुरस्कार वितरण के साथ हुआ।
आईपीएचई अकादमिक आउटरीच में दो व्यावहारिक पैनल चर्चाओं का आयोजन भी िकया गया। पहली पैनल चर्चा का विषय “विशेषज्ञता को सशक्त बनाना : स्वच्छ/हरित हाइड्रोजन क्षेत्र में कौशल विकास विकसित करना” था। यह चर्चा स्वच्छ/हरित हाइड्रोजन क्षेत्र के विकास, ज्ञान और कौशल पर आधारित थी। पैनल ने ग्रीन हाइड्रोजन के क्षेत्र में कुशल कर्मियों की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि इसके लिए सुरक्षा और नियामक मानकों के विभिन्न सेटों की आवश्यकता होती है। पैनल ने चर्चा के दौरान विषयगत क्षेत्रों के लिए नए कौशल हस्तक्षेप और हरित हाइड्रोजन क्षेत्र के लिए व्यावहारिक प्रशिक्षण की आवश्यकता पर जोर दिया।
दूसरी पैनल चर्चा “भविष्य का अनावरण: स्वच्छ/हरित हाइड्रोजन प्रौद्योगिकी और इसके परिवर्तनकारी अनुप्रयोग” विषय पर आधारित थी। विभिन्न उद्योगों में इसकी परिवर्तनकारी क्षमता पर चर्चा करते हुए स्वच्छ/हरित हाइड्रोजन अनुसंधान और नवाचार की सीमाओं के बारे में जानकारी उपलब्ध कराई गई। हाइड्रोजन के उत्पादन, इसके भंडारण, परिवहन और खपत की वर्तमान लागत को ध्यान में रखते हुए, पैनल ने प्रौद्योगिकी में सुधार, अनुसंधान और विकास के माध्यम से कुशल उत्पादन/उपयोग और नियामक ढांचे के माध्यम से मांग बढ़ाकर इन लागतों को कम करने की आवश्यकता व्यक्त की।
आईपीएचई के बारे में
2003 में स्थापित अर्थव्यवस्था में हाइड्रोजन और ईंधन सेल के लिए अंतर्राष्ट्रीय साझेदारी (आईपीएचई) में 23 सदस्य देश और यूरोपीय आयोग शामिल हैं। यह वैश्विक स्तर पर हाइड्रोजन और ईंधन सेल प्रौद्योगिकियों को आगे बढ़ाने के लिए समर्पित है। द्विवार्षिक आईपीएचई संचालन समिति की बैठकें सदस्य देशों, हितधारकों और निर्णय निर्माताओं के बीच अंतरराष्ट्रीय सहयोग और समन्वय को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच के रूप में काम करती हैं। ये बैठकें नीति और तकनीकी विकास पर सूचना के आदान-प्रदान की सुविधा प्रदान करती हैं, सहयोग के लिए प्रमुख क्षेत्रों की पहचान करने में मदद करती हैं और सदस्य देशों को इस संबंध में की गई पहल की जानकारी प्रदान करती हैं।