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राष्ट्रीय डेटाबेस से सहकारिता की हर एक जानकारी अब एक क्लिक पर मिलेगी : अमित शाह

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने आज नई दिल्ली में राष्‍ट्रीय सहकारी डेटाबेस पोर्टल का लोकार्पण और ‘राष्‍ट्रीय सहकारी डेटाबेस 2023: एक रिपोर्ट’ का विमोचन किया

Mochan Samachaar Desk by Mochan Samachaar Desk
08/03/2024
in देश
Reading Time: 1 min read
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राष्ट्रीय डेटाबेस से सहकारिता की हर एक जानकारी अब एक क्लिक पर मिलेगी : अमित शाह
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नई दिल्ली : केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने आज नई दिल्ली में राष्‍ट्रीय सहकारी डेटाबेस का लोकार्पण और ‘राष्‍ट्रीय सहकारी डेटाबेस 2023: एक रिपोर्ट’ का विमोचन किया। पीआईबी द्वारा जारी प्रेस व‍िज्ञप्‍त‍ि के अनुसार (According to the press release issued by PIB)इस अवसर पर केन्द्रीय सहकारिता राज्यमंत्री श्री बी एल वर्मा और डॉ. आशीष कुमार भूटानी, सचिव, सहकारिता मंत्रालय सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

अपने संबोधन में श्री अमित शाह ने कहा कि आज सहकारिता क्षेत्र, इसके विस्तार और इसे मज़बूत करने के लिए एक बहुत महत्वपूर्ण कार्यक्रम हो रहा है जब 75 साल बाद पहली बार सहकारिता डेटाबेस का लोकार्पण हो रहा है। उन्होंने कहा कि आज सहकारिता क्षेत्र के विस्तार और उसे गति प्रदान करने के लिए ये कार्यक्रम हो रहा है। उन्होंने कहा कि हज़ारों लोगों के दो साल तक किए गए परिश्रम के बाद आज हमें ये सफलता मिली है।

केन्द्रीय सहकारिता मंत्री ने कहा कि 60 के दशक के बाद ये ज़रूरत महसूस की गई कि एक राष्ट्रीय नीति के तहत हर राज्य के सहकारिता आंदोलन के बीच समन्वय हो। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने साहसिक फैसला लेकर उसे अंजाम तक पहुंचाते हुए केन्द्रीय सहकारिता मंत्रालय का गठन किया। उन्होंने कहा कि पिछले 2 साल में देश के सभी Primary Agriculture Credit Society (PACS) कम्प्यूटराइज़्ड हो गए हैं, उनके कारोबार में वृद्धि करने के लिए कॉमन बायलॉज़ सभी राज्यों ने स्वीकार किए हैं और आज सभी पैक्स विकास की दिशा में बढ़ रहे हैं। श्री शाह ने कहा कि मोदी सरकार ने एडवाइज़री के स्वरूप में मॉडल बायलॉज़ बनाए जिनके तहत पैक्स बहुआयामी बने और कई काम कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि आज देश के सभी राज्यों ने दलगत राजनीति से ऊपर उठकर इन मॉडल बायलॉज़ को स्वीकार किया है और इसी से पैक्स के विस्तार का रास्ता खुला है।

श्री अमित शाह ने कहा कि हमने 20 नई गतिविधियों को पैक्स के साथ जोड़ा है जिससे पैक्स मुनाफा कमा सकते हैं। उन्होंने कहा कि पैक्स के कम्प्यूटरीकरण से इनके विकास की कई संभावनाएं खुलीं और ये तय किया गया कि 2027 से पहले देश की हर पंचायत में एक पैक्स होगा। श्री शाह ने कहा कि इस निर्णय के बाद समस्या आई कि हमें ये पता नहीं था कि गैप कहां है और तब इस डेटाबेस का विचार आया, जिसके द्वारा गैप की पहचान कर विस्तार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय डेटाबेस सहकारिता क्षेत्र के विकास को Compass की तरह दिशा दिखाएगा।

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने देश के ग्रामीण अर्थतंत्र और जीवन में आमूलचूल परिवर्तन लाने और पिछले 10 साल में देश के 25 करोड़ लोगों को गरीबी रेखा से ऊपर लाने का काम किया है। उन्होंने कहा कि देश के करोड़ों लोगों को देश के अर्थतंत्र और विकास के साथ जोड़ने का काम सहकारिता मंत्रालय के माध्यम से हो रहा है। श्री शाह ने कहा कि इस कोऑपरेटिव डेटाबेस से सहकारिता का विस्तार, डिजिटल माध्यम से डेवलपमेंट और डेटाबेस से डिलिवरी का काम होगा। उन्होंने कहा कि डेटा, डेवलपमेंट को सही दिशा देने का काम करता है और गैप का एनालिसिस करने में ये बहुत कारगर सिद्ध होगा। उन्होंने कहा कि इस काल में हम एक नए ट्रेंड का अनुभव कर रहे हैं – डेटा गवर्नेंस, प्रोएक्टिव गवर्नेंस और एंटिसिपेटरी गवर्नेंस और इन तीनों के सामंजस्य से विकास का एक नया मॉडल खड़ा होता है।

श्री अमित शाह ने कहा कि राष्‍ट्रीय सहकारी डेटाबेस में तीन चरणों में काम हुआ है। पहले चरण में, तीन क्षेत्रों यानी प्राथमिक कृषि ऋण समिति, डेयरी और मत्स्यिकी की लगभग 2.64 लाख समितियों की मैपिंग पूरी की गई। दूसरे चरण में विभिन्न राष्ट्रीय संघों, राज्य संघों, राज्‍य सहकारी बैंक (StCB), जिला केंद्रीय सहकारी बैंक (DCCB), शहरी सहकारी बैंक (UCB), राज्‍य सहकारी कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (SCARDB), प्राथमिक कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (PCARDB), सहकारी चीनी मिलों, जिला यूनियनों और बहुराज्य सहकारी समितियों (MSCS) के आंकड़े एकत्रित/मैप किए गए। तीसरे चरण में अन्य बाकी क्षेत्रों में सभी 8 लाख प्राथमिक सहकारी समितियों के डेटा की मैपिंग की गई। उन्होंने कहा कि इसके बाद हमें पता चला कि देश में 8 लाख से अधिक समितिया पंजीकृत हैं औऱ 30 करोड़ से अधिक नागरिक इनसे जुड़े हैं। श्री शाह ने कहा कि डेटाबेस में पैक्स से एपैक्स, गांव से शहर, मंडी से ग्लोबल मार्केट औऱ स्टेट से अंतर्राष्ट्रीय डेटाबेस तक जोड़ने की पूरी संभावना मौजूद है। उन्होंने कहा कि नरेन्द्र मोदी सरकार द्वारा Whole of Government Approach के साथ शुरू किए गए सहकारिता के विस्तार के अभियान में यह डेटाबेस रास्ता प्रशस्त करने का काम करेगा।

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि मोदी सरकार ने कोऑपरेटिव सेक्टर में कंप्यूटराइजेशन से जुड़े कई इनिशिएटिव लिए हैं। उन्होंने कहा कि मोदी जी के नेतृत्व में पैक्‍स से लेकर ऐपैक्स तक पूरी सहकारिकता को कंप्यूटराइज कर इसकी ताकत बढ़ाने का काम किया गया है। उन्होंने कहा कि यह डेटाबेस भारत की पूरी सहकारिता गतिविधियों की जन्मकुंडली है। श्री शाह ने कहा कि यह राष्ट्रीय डेटाबेस अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी का उपयोग कर बनाया गया एक डायनेमिक वेब आधारित प्लेटफार्म है और इसकी मदद से देशभर की पंजीकृत सहकारी समितियों की सारी जानकारी एक क्लिक से उपलब्ध होगी।

श्री अमित शाह ने कहा कि ये सहकारिता डेटाबेस, पॉलिसी मेकर्स, रिसर्चर्स और स्टेकहोल्डर के लिए अमूल्य संसाधन का काम करेगा। उन्होंने कहा कि इस डेटाबेस के आंकड़ों की प्रामाणिकता और उन्हें अपडेट करने के लिए पूरी साइंटिफिक व्यवस्था की गई है। उन्होंने कहा कि सहकारिता मंत्रालय सुनिश्चित करेगा कि इस डेटाबेस पर सत्यापित डाटा ही नियमित रूप से अपलोड हो। श्री शाह ने कहा कि 1975 के बाद देश में सहकारिता आंदोलन की गति बहुत कम होती गई क्योंकि हमारे यहां ज्योग्राफिकली असंतुलित विकास हुआ। इसके साथ-साथ अक्रॉस सेक्टर असंतुलन भी बढ़ा, अक्रॉस कम्युनिटी असंतुलन भी बढ़ा और फंक्शनल असंतुलन भी बढ़ा, आज इन चारों समस्याओं का समाधान टूल्स के साथ इस डेटाबेस में डाला गया है। श्री शाह ने कहा कि आज हज़ारों लोगों, संघों और राज्यों ने मिलकर एक भागीरथ काम को अंजाम दिया है। उन्होंने कहा कि आज एक नींव डाली गई है और आने वाले वर्षों में इस नींव पर अगले सवा सौ साल तक चलने वाली एक मजबूत सहकारिता की इमारत खड़ी होगी।

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