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Epicenter of epochal change- Pt. Deen Dayal Upadhaya Ji : भारत के उपराष्‍ट्रपत‍ि जगदीप धनखड़

अगर आज भारत का नागरिक संकल्प लेले कि मैं जहां तक संभव है, देश में निर्मित वस्तुओं का ही उपयोग करूंगा तो हमारे आर्थिक भंडार में बहुत बढोतरी होगी। करोड़ हाथों को काम मिलेगा और बहुत बड़ी क्रांति आएगी।

Mochan Samachaar Desk by Mochan Samachaar Desk
11/02/2024
in देश
Reading Time: 1 min read
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Epicenter of epochal change- Pt. Deen Dayal Upadhaya Ji : भारत के उपराष्‍ट्रपत‍ि जगदीप धनखड़
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नई दिल्ली  : भारत के उपराष्‍ट्रपत‍ि जगदीप धनखड़़ ने आज जयपुर में पं. दीनदयाल उपाध्याय स्मृति व्याख्यान में अपना वक्‍तव्‍य रखा इस दौरान उन्‍होंने कहा क‍ि एक ऐसे व्यक्ति की जीवन को याद कर रहे हैं आज के दिन जो भारत में बदलाव का भारत में बहुत बड़ा केंद्र बना है। Epicenter of epochal change- Pt. Deen Dayal Upadhaya Ji.  उनकी सोच, उनका विचार, उनके दर्शन आज जमीनी हकीकत हैं, पहले कल्पना थे। गत दशक में जो परिवर्तन आए हैं, अप्रत्याशित परिवर्तन आया है, अकल्पनीय विकास हुआ है, उनकी भावना के अनुरूप हुआ है।

माननीय मुख्यमंत्री जी ने कहा चौधरी चरण सिंह जी को भारत रत्न दिया जिन्होंने कृषि के अंदर हमें इतना बड़ा योगदान दिया ऐसे महान व्यक्ति उनको भारत रत्न दिया, नरसिम्हा राव जी को दिया, कर्पूरी ठाकुर जी को दिया, लालकृष्ण आडवाणी जी को दिया पर मैं कहता हूं कि यह बात यहां तक ही मत सोचिए आप। पिछले 10 वर्ष में भारत का जो नागरिक सम्मान हैं, पदम श्री, पदम भूषण, पद्म विभूषण उन लोगों को मिले जो इनके हकदार थे। सिफारिश से किसी को नहीं मिला जब मिल गया तो लोगों ने कहा बहुत सही मिला कोई कसर नहीं रखी। आज के दिन जिस मापदंड से दिया जा रहे हैं उस मापदंड का स्रोत, उस मापदंड का आधार दीनदयाल जी की सोच, उनके दर्शन ही है।

चौधरी साहब ने सार्वजनिक जीवन में सर्वश्रेष्ठ मापदंड साबित किए हैं, चौधरी साहब ने कभी ऐसा कृत्य नहीं किया कि जिससे हम चिंतित हो। उनकी सोच, उनका चिंतन बेबाक थे। वह ग्रामीण वर्ग के सर्वमान्य नेता थे। चौधरी साहब किसी जाति या परिवार के नहीं है। मैं उनके पोते की सराहना करता हूं जिसने राज्यसभा में कहा कि मैं उनका पोता हूं पर वह सबके है, मैं सब में एक हूं। हम महापुरुषों को परिवार में नहीं समेट सकते हैं। इस बात को पहचान कर माननीय प्रधानमंत्री जी ने हर ग्रामीण हर गरीब हर किसान के दिल में एक स्थान प्राप्त किया है।

कहते थे लोग कि ‘मंदिर बनाओगे, तारीख नहीं बताओगे’ आज सोचिए पांच सदी की पीड़ा, पांच सदी का दर्द… पर कानून के हिसाब से हुआ सब। सांस्कृतिक विरासत के हिसाब से हुआ। किया जा सकता था दूसरे माध्यम से भी पर भारतीय संस्कृति के जो मूल सिद्धांत है उसके अनुसार हुआ। 22 जनवरी कोई भूल नहीं पाएगा। लोकसभा और राज्यसभा में प्रस्ताव पारित हुआ है राम राज्य के बारे में कहा गया है हमारे संविधान निर्माताओं ने जब भारत के संविधान का निर्माण किया तो उन्होंने 22 चित्र रखे। सबसे बड़ा चित्र है संविधान के भाग 3 में जो मौलिक अधिकार हैं मुख्यमंत्री जी उसके ऊपर जो चित्र है राम सीता और लक्ष्मण का है जो अयोध्या आ रहे हैं। कितना अच्छी सोच हमारे संविधान निर्माताओं की थी कि उन्होंने हमारी सांस्कृतिक विरासत को सामने रखा और जब हम कहते हैं कि समान नागरिक संहिता डायरेक्टिव प्रिंसिपल्स ऑफ़ स्टेट पॉलिसी पार्ट 4 संविधान के उस भाग के ऊपर किसका चित्र है, उस भाग पर चित्र है कुरुक्षेत्र में भगवान श्री कृष्ण अर्जुन को उपदेश दे रहे हैं। यदि अगर चुनाव की बात करें भाग 15 में तो शिवाजी है। चुनाव का मतलब प्रजातंत्र।

माननीय उपराष्ट्रपति, श्री जगदीप धनखड़ ने पं. दीनदयाल उपाध्याय जी की 56 वीं पुण्यतिथि पर जयपुर में आयोजित पं. दीनदयाल उपाध्याय स्मृति व्याख्यान में पं दीनदयाल जी के ‘जीवन दर्शन की प्रासंगिकता’ पर अपना उद्बोधन दिया। इस अवसर पर राजस्थान के माननीय मुख्यमंत्री श्री भजनलाल शर्मा जी,… pic.twitter.com/HyzqBsEcXi

— Vice President of India (@VPIndia) February 11, 2024


देखिए भारत के पीएम, विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के प्रधानमंत्री, तीन दशक के बाद पूरा बहुमत प्राप्त करने वाले प्रधानमंत्री… देखिये 15 अगस्त को क्या कहते हैं – ‘स्वच्छता अभियान’। लोगों ने मजाक उड़ाया क्या भारत के प्रधानमंत्री को यह बात करनी चाहिए। कितनी बड़ी क्रांति बन गई जो सोचा नहीं था वह जमीनी हकीकत हो गया। इतने बड़े देश में हर घर में शौचालय की कल्पना करना आसान नहीं था आज हकीकत है।

2014 के पहले भारत की क्या स्थिति थी, कि हमारी गिनती Fragile Five में होती थी, दुनिया के वह पांच देश जो दुनिया पर बोझ बने थे उनमें भारत का नाम था। भारत चिंता का विषय बना हुआ था। 1989 में पहली बार लोकसभा का सदस्य बना, केंद्र में मंत्री बना, आंखों से दो बार देखा- एक भारत जो सोने की चिड़िया कहलाता था उस भारत का सोना फिजिकल फॉर्म में हवाई जहाज के माध्यम से स्विट्जरलैंड के दो बैंक में गिरवी रखा गया। क्योंकि हमारा फॉरेन एक्सचेंज डगमगा रहा था। एक बिलियन के आसपास था। कितनी कितनी बड़ी चिंता का विषय था। आज फॉरेन एक्सचेंज 600 बिलियन के आसपास है आज हम फ्रेगिले फाइल से निकल के, नीचे के 5 से निकल के ऊपर के पांच में पहुंच गए हैं। हमने कनाडा को पीछे छोड़ा है, हमने इंग्लैंड फ्रांस को पीछे छोड़ा है, हमने उन लोगों को पीछे छोड़ा है जिन्होंने सदियों तक हम पर राज किया और आने वाले दो-तीन साल में निश्चित रूप से जर्मनी और जापान भी हम से पीछे छोडेंगे और हम दुनिया की तीसरी बड़ी आर्थिक शक्ति बनेंगे।

यह इतना बड़ा बदलाव इसलिए है कि जिस महापुरुष की पुण्यतिथि पर हम आज है उनकी सोच को प्रधानमंत्री ने जमीनी स्तर पर लागू किया। उनकी मूर्ति का अनावरण करते हुए जो उन्होंने भाषण दिया और जो बातें कहीं वह है आज जमीनी हकीकत है। हम कहते हैं कि महिला सशक्तिकरण दीनदयाल जी की सोच थी। सामाजिक क्रांति, अंत्योदय तब तक नहीं आएगा जब तक माताओं-बहनों पर ध्यान नहीं जाता है। शुरुआत हुई ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ से। हरियाणा जैसे प्रदेश में भारी बदलाव आया। शौचालय घर में होने से, विद्यालय में होने से फर्क पड़ा। और आज हालात कितने क्रांतिकारी हो गए हैं, गणतंत्र दिवस, 26 जनवरी कर्तव्यपथ, दुनिया अचंभित हो गई, क्या नजारा था। नारी शक्ति का क्या प्रदर्शन था। उनका प्रभाव उसे दिन सबसे अधिक था आज वह लड़ाकू पायलट है सेना में उनकी भर्ती है। जब चंद्रयान तीन जाता है तो महिलाओं का ध्यान आता है कि रॉकेट वूमेन है वहां पर। यह बदल गया है।

तीन दशक से एक बड़ी पीड़ा थी, कई बार प्रयास हुए पर वह सफल नहीं हो सके और वह प्रयास थे कि नीति निर्धारण में, देश और राज्य का भविष्य निर्माण करने में, महिलाओं की भागीदारी कैसे बढ़ेगी, कैसे लोकसभा और विधानसभाओं में उनका प्रतिनिधित्व मिले। आज यह हकीकत है। 20- 21 सितंबर 2023 को लोकसभा और राज्यसभा में नारी शक्ति वंदन अधिनियम पारित हुआ यह जमीनी हकीकत बना। आप यह अंदाजा लगाइए आने वाले समय, नजदीक भविष्य में जब भारत के लोकसभा में हर विधानसभा में नारी शक्ति का प्रतिनिधित्व होगा क्योंकि एक तिहाई तो आरक्षित, अनारक्षित में भी वह चुनाव लड़ सकती है।

दुनिया में जो आज भारत की छवि  वह पहले कभी नहीं थी। भारत के पासपोर्ट को जब हम देखते हैं आप अंदाजा नहीं लगा सकते कि वह क्या सोचते हैं। जो हमें चेताते थे हमारे लिए नीति निर्धारण करते थे हमें बताते थे कि आप ऐसे सुधरो, आज हमसे राय लेते हैं। और राय लेने का कारण है इंटरनेशनल मोनेटरी फंड। कोई कालखंड ऐसा नहीं था जब हमें चेताया नहीं गया। हमें पड़ोसी देशों की तरह चेताया गया। पर पिछले 10 वर्ष में और आज के हालात में कहा जाता है इंटरनेशनल मोनेटरी फंड के द्वारा की आज के दिन भारत विश्व में आर्थिक दृष्टि से चमकता हुआ सितारा है। India is the favourite destination of investment and opportunity. G20 के दौरान मैं उपस्थित था, वर्ल्ड बैंक के प्रेसिडेंट ने कहा कि डिजिटाइजेशन में भारत ने जो 6 वर्ष में किया है वह 47 वर्ष में भी संभव नहीं है। दुनिया को अडॉप्ट करना चाहिए।

एक दूसरे बात देखिये साधारण रूप से मोबाइल क्रांति आ गई है। मोबाइल शुरुआत में बाहर से मंगाते थे, आज हम बाहर भेजते हैं। दुनिया में सबसे ज्यादा मोबाइल यहाँ है और हमारे लोगों की योग्यता, शिक्षा जहां कम है वहां भी ज्यादा है कि पर कैपिटा डाटा कंजप्शन एक व्यक्ति के द्वारा इंटरनेट का डाटा कंजप्शन यदि अगर हम देखें, हमारा जो औसत है वह चीन और अमेरिका दोनों को मिला दो तो भी उनसे ज्यादा है। यह क्रांति आई है। इसका आधार है दीनदयाल जी की सोच उनका दर्शन।

आज के दिन जब भारत अमृत काल में है और हमारा अमृत कल भी आज के दिन गौरव कल है और हमें एक बहुत लंबी मैराथन शुरुआत की है। 2047 में भारत को विकसित राष्ट्र होना है, दुनिया में सर्वश्रेष्ठ होना है और वहां तक जाने के लिए सरकार के अलावा आम नाम नागरिक की भी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है।

आर्थिक राष्ट्रवाद हम क्यों नहीं अपनाते हैं। क्या अच्छा लगता है कि हमारे देश में दिया, कैंडल, काइट, फर्नीचर, कॉटन, कपड़े, खिलौने जैसी वस्तुएं बाहर से आयें। क्या कुछ आर्थिक फायदे के लिए हम देश में जो यह वस्तुएं आती हैं उसको कम कर दें। इसके दो बहुत बड़े दुष्परिणाम हैं – एक तो जब यह बाहर से आता है तो हमारा फॉरेन एक्सचेंज बाहर जाता है और हम कुठाराघात करते हैं उन हाथों पर जिनको ये चीजें बनाने में रोजगार मिलता है, हम कुठाराघात करते हैं उस एंटरप्रेन्योरशिप पर।

मेरा हर व्यवसाय से, हर उद्योगपति से, हर उनकी संस्थाओं से यह अनुरोध है कि प्रधानमंत्री जी ने इसको दूसरा नाम दिया है यह ‘be vocal for local’.  यदि अगर आज भारत का नागरिक संकल्प लेले कि मैं जहां तक संभव है, देश में निर्मित वस्तुओं का ही उपयोग करूंगा तो हमारे आर्थिक भंडार में बहुत बढोतरी होगी। करोड़ हाथों को काम मिलेगा और बहुत बड़ी क्रांति आएगी।

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Tags: Epicenter of epochal change- Pt. Deen Dayal Upadhaya Ji : भारत के उपराष्‍ट्रपत‍ि जगदीप धनखड़Epicenter of epochal change- Pt. Deen Dayal Upadhyaya Ji: Vice President of India Jagdeep Dhankharmochan samachaarpib
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