नई दिल्ली : भारत सरकार का कोयला मंत्रालय पर्यावरण संबंधी चिंताओं को दूर करने और कार्बन उत्सर्जन को कम करने की आवश्यकता को पहचानने के साथ–साथ सौर, पवन और जलविद्युत जैसे स्वच्छ ऊर्जा विकल्पों की ओर संक्रमण करते हुए कोयला उत्पादन को बढ़ावा देने और अधिशेष आपूर्ति सुनिश्चित करने के अपने प्रयासों में दृढ़ है। पीआईबी द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार (According to the press release issued by PIB) मंत्रालय एक लचीले और टिकाऊ ऊर्जा पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देने के लिए कोयला प्रौद्योगिकी, विशेष रूप से कोयला गैसीकरण को बढ़ावा देने में सबसे आगे रहते हुए सरकार के दृष्टिकोण के साथ संरेखित है। भारत की ऊर्जा प्रणाली में कोयला एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जो कुल विद्युत उत्पादन का लगभग 70% हिस्सा है। यह स्टील, स्पंज आयरन, सीमेंट और कागज जैसे विभिन्न उद्योगों में भी एक महत्वपूर्ण निवेश (इनपुट) है। साथ ही ‘मेक इन इंडिया‘ जैसी पहलों के कारण, मंत्रालय को मांग बढ़ने और उच्च आर्थिक विकास अनुमान का अनुमान भी है।
स्वच्छ कोयला प्रौद्योगिकियों को प्रस्तुत करने के लिए, सरकार ने कोयला गैसीकरण मिशन सहित कई स्वच्छ कोयला पहलें शुरू की हैं। इसका लक्ष्य सतही कोयला/लिग्नाइट गैसीकरण परियोजनाओं के माध्यम से 2030 तक 10 करोड़ टन कोयले को गैसीकृत करना है। मंत्रालय, कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) के कोयला क्षेत्रों में सतही कोयला गैसीकरण (सर्फेस कोल गैसीफिकेशन – एससीजी) परियोजनाओं को आगे बढ़ाने में सहयोगात्मक प्रयासों पर प्रकाश डालता है। इसके लिए विशेष रूप से, रणनीतिक द्विपक्षीय समझौते अक्टूबर 2022 में निष्पादित किए गए थे जिसमें भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (बीएचईएल) और कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) के बीच एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) और साथ ही इंडियन ऑइल कारपोरेशन लिमिटेड (आईओसीएल), गैस अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया लिमिटेड (जीएआईएल–गेल) और सीआईएल के बीच एक समझौता ज्ञापन शामिल था, जिसका उद्देश्य एससीजी परियोजनाओं के कार्यान्वयन में संरेखित सहयोग और विशेषज्ञता को बढ़ावा देना है । भारत की ऊर्जा प्रणाली में कोयला एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जो कुल विद्युत उत्पादन का लगभग 70% हिस्सा है। यह स्टील, स्पंज आयरन, सीमेंट और कागज जैसे विभिन्न उद्योगों में भी एक महत्वपूर्ण इनपुट है। और ‘मेक इन इंडिया‘ जैसी पहलों के कारण, मंत्रालय को मांग बढ़ने और उच्च आर्थिक विकास अनुमान का भी अनुमान है।
इन पहलों का समर्थन करने के उद्देश्य से सरकारी सार्वजनिक उपक्रमों और निजी क्षेत्र द्वारा कोयला / लिग्नाइट गैसीकरण परियोजनाओं को बढ़ावा देने के लिए एक वित्तीय सहायता योजना प्रस्तावित की गई है, जिसमें कोयला गैसीकरण परियोजनाओं के लिए प्रोत्साहन हेतु 8500 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है। इस योजना का उद्देश्य गैसीकरण परियोजनाओं की वित्तीय और तकनीकी व्यवहार्यता प्रदर्शित करते हुए डाउनस्ट्रीम उत्पादों के लिए बाजारों में तेजी लाना और कोयले के लिए अर्थव्यवस्था में एक अतिरिक्त मूल्य श्रृंखला बनाना है।
संयुक्त उद्यम समझौते (जॉइंट वेंचर एग्रीमेंट –जेवीए) के माध्यम से महत्वपूर्ण प्रगति हुई है, जिसमें सरकार ने सीआईएल–गेल और सीआईएल–बीएचईएल के संयुक्त उद्यमों में सीआईएल द्वारा इक्विटी निवेश प्रस्ताव को अपनी स्वीकृति दे दी है। ओडिशा के महानदी कोलफील्ड्स लिमिटेड के लखनपुर क्षेत्र में कोयला गैसीकरण (एससीजी) के माध्यम से अमोनियम नाइट्रेट संयंत्र स्थापित करने के लिए सीआईएल और भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (बीएचईएल) के बीच औपचारिक रूप से संयुक्त उद्यम समझौते पर हस्ताक्षर किए गए हैं जिससे स्वदेशी प्रौद्योगिकी में क्रांति आ सकती है । पृष्ठगामी एकीकरण (बैकवर्ड इंटीग्रेशन) के रूप में निर्मित होने वाला यह संयंत्र कच्चे माल को सुरक्षित करने, अमोनियम नाइट्रेट की आयात निर्भरता को कम करने और आत्मनिर्भर भारत अभियान को बढ़ावा देने में सहायक बनेगा । इसके अतिरिक्त, कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) और गैस अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (गेल) के बीच संयुक्त उद्यम समझौता विचाराधीन है। समझौते का लक्ष्य ईस्टर्न कोलफील्ड लिमिटेड (ईसीएल) में एक सतही कोयला गैसीकरण (एससीजी) परियोजना स्थापित करना है और इस पर शीघ्र ही हस्ताक्षर होने की सम्भावना है।
भारत में गैसीकरण प्रौद्योगिकी को अपनाने से कोयला क्षेत्र में ऐसी क्रांति आ जाएगी जिससे प्राकृतिक गैस, मेथनॉल, अमोनिया और अन्य आवश्यक उत्पादों के आयात पर निर्भरता कम हो जाएगी। यह भारत के आत्मनिर्भर बनने के स्वप्न में योगदान देने के साथ ही रोजगार के अवसरों में भी वृद्धि करेगा। आशा है कि कोयला गैसीकरण के कार्यान्वयन से 2030 तक आयात कम करके देश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान मिलेगा।
सरकार कार्बन उत्सर्जन को कम करने और पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ाने के लिए स्वच्छ कोयला पहलों– जैसे कोल बेड मीथेन (सीबीएम) गैसों का निष्कर्षण, कोयले से हाइड्रोजन बनाने , कार्बन कैप्चर और स्टोरेज (सीसीएस), कोयला धोवन शालाओं (कोल वॉशरीज) के माध्यम से कोयले की गुणवत्ता में सुधार आदि में भी सक्रिय रूप से लगी हुई है। कोयला उपयोग दक्षता बढ़ाने और नवीन प्रौद्योगिकियों को विकसित करने के लिए अनुसंधान और विकास में निवेश को भी प्राथमिकता दी जाती है, जिससे उनकी दीर्घकालिक प्रतिस्पर्धात्मकता और स्थिरता सुनिश्चित होती है।
कोयला मंत्रालय कोयला गैसीकरण की उन परियोजनाओं को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है, जिसमें कोयले को विभिन्न मूल्यवान उत्पादों में बदलने की अपार संभावनाएं हैं। प्रस्तावित योजना और प्रोत्साहन कोयला गैसीकरण के क्षेत्र में नवाचार, निवेश और सतत विकास को बढ़ावा देने, सरकारी सार्वजनिक उपक्रमों और निजी क्षेत्र को आकर्षित करने के लिए ही डिज़ाइन किए गए हैं।