नई दिल्ली : भारत का कोयला क्षेत्र देश की ऊर्जा संबंधी जरूरतों को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है, साथ ही महत्वपूर्ण रोजगार वृद्धि को भी बनाए हुए हैं। पीआईबी द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार (According to the press release issued by PIB) 06 मार्च, 2024 तक, देश का कोयला उत्पादन 900 मिलियन टन तक पहुंच गया है। इसके चालू वित्तीय वर्ष में 1 बिलियन टन से अधिक होने का अनुमान है। उत्पादन में यह वृद्धि न सिर्फ आवश्यक अवसंरचना विकास में ही योगदान देती है बल्कि देश भर में विशेषकर कोयले से समृद्ध क्षेत्रों में भरपूर रोजगार के अवसर सृजित करती है।
भारत सरकार के कोयला उत्पादक सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम (पीएसयू), विशेष रूप से कोल इंडिया लिमिटेड (सहायक कंपनियों सहित) और एनएलसी इंडिया लिमिटेड, सामूहिक रूप से 128,236 संविदा श्रमिकों सहित 369,053 व्यक्तियों के कार्यबल को रोजगार प्रदान किया हैं। इसके अतिरिक्त, यह क्षेत्र लगभग 3.1 लाख पेंशनभोगियों की मदद करता है, जो आजीविका और सामाजिक कल्याण पर इसके महत्वपूर्ण प्रभाव को रेखांकित करता है।
हाल के वर्षों में कोल इंडिया लिमिटेड और इसकी सहायक कंपनियों ने 2014 से फरवरी 2024 तक व्यापक भर्ती मुहिम चलाकर अपने कार्यबल में 59,681 कर्मियों को जोड़ा। इसी प्रकार, एनएलसी इंडिया लिमिटेड ने इसी अवधि के दौरान 4,265 व्यक्तियों की भर्ती की है। यह रोजगार के अवसरों को बढ़ाने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
कोल इंडिया लिमिटेड और इसकी सहायक कंपनियों द्वारा मिशन मोड भर्ती पहल के तहत 5,711 व्यक्तियों को भर्ती करने के साथ चालू वित्तीय वर्ष में भर्ती प्रयासों में और तेजी देखने को मिली है। समवर्ती रूप से, एनएलसी इंडिया लिमिटेड ने इसी अवधि के दौरान 661 कर्मियों की भर्ती की है, जो रोजगार की जरूरतों को पूरा करने के लिए एक सक्रिय दृष्टिकोण को दर्शाता है।
बढ़ती मांग से प्रेरित कोयला खनन गतिविधियों में वृद्धि से आने वाले वर्षों में रोजगार वृद्धि को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। प्रत्यक्ष रोजगार के अवसर प्रदान करने के अलावा, खनन गतिविधियां महत्वपूर्ण अप्रत्यक्ष रोजगार भी पैदा करती हैं, जो पूरे देश में सामाजिक-आर्थिक विकास में योगदान देती हैं। जैसा कि कोयला क्षेत्र का विस्तार जारी है, यह समावेशी विकास को बढ़ावा देने और स्थायी आजीविका के माध्यम से हजारों लोगों के जीवन को बदलने के लिए प्रतिबद्ध है।