कोलकाता , 12 फरवरी, 2025 : एसोचैम (assocham) द्वारा आयोजित ऊर्जा सम्मेलन एवं उत्कृष्टता पुरस्कार के छठे संस्करण में गैर-पारंपरिक और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत विभाग के प्रभारी मंत्री मोहम्मद गुलाम रब्बानी ने कहा कि ऊर्जा क्षेत्र में अग्रणी के रूप में उभरा पश्चिम बंगाल 2030 तक अपनी कुल ऊर्जा का 20 प्रतिशत नवीकरणीय स्रोतों से प्राप्त करने के अपने प्रयास में दृढ़ है। राज्य सरकार पहले से ही लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कई पहल कर रही है और पीपीपी मॉडल में पुरुलिया में 900 मेगावाट की बांदू पंप स्टोरेज परियोजना इसका एक “प्रमुख उदाहरण” है। रब्बानी ने कहा, “यह (अपनी ऊर्जा का 20 प्रतिशत नवीकरणीय स्रोतों से प्राप्त करना) महज़ एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य नहीं है, बल्कि यह एक सुनियोजित रणनीतिक प्रतिबद्धता है।”
राज्य सरकार कृषि पंपों के सौरकरण पर कर रही है काम
गैर-परंपरागत और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव बरुन कुमार रे के अनुसार, नवीकरणीय ऊर्जा को अपनाने में तेज़ी लाने के लिए सौर और पवन ऊर्जा को पूरक बनाकर और बायोमास के साथ एकीकृत करके हाइब्रिड सिस्टम स्थापित करने सहित अभिनव तरीकों को अपनाने की आवश्यकता है।
रे ने कहा “राज्य सरकार कृषि पंपों के सौरकरण पर काम कर रही है। वर्तमान में कृषि पंपों के संचालन के लिए भारी मात्रा में बिजली राज्य ग्रिड से या जीवाश्म ईंधन के उपयोग से ली जाती है। हम इन पंपों को सौरकरण करने की सोच रहे हैं। हम इसके लिए जल संसाधन, कृषि और सिंचाई विभागों के साथ बातचीत कर रहे हैं,”।
चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर स्थापित करने की भी सोच रही है
पश्चिम बंगाल सरकार भविष्य में ईवी उपभोक्ताओं की मांग को पूरा करने में सक्षम होने के लिए चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर स्थापित करने की भी सोच रही है। उन्होंने कहा कि राज्य में ईवी पंजीकरण में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है और भविष्य में इसमें “तेजी से वृद्धि” होने की संभावना है।
राज्य सरकार के समर्थन और मार्गदर्शन के साथ मिलकर काम करेगा
सीईएससी लिमिटेड के वितरण प्रबंध निदेशक विनीत सिक्का ने कहा कि सीईएससी कोलकाता शहर में रूफटॉप सौर परियोजना को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार के समर्थन और मार्गदर्शन के साथ मिलकर काम करेगा। यह अधिशेष अक्षय ऊर्जा के भंडारण के लिए बैटरी भंडारण पर भी काम करेगा।
जीवाश्म ईंधन कुछ वर्षों तक जारी रहेगा, लेकिन कम हानिकारक जीवाश्म ईंधन को देखना महत्वपूर्ण है
स्वच्छ ईंधन के बारे में बात करते हुए बंगाल गैस कंपनी लिमिटेड के सीईओ और गेल के ईडी अनुपम मुखोपाध्याय ने कहा, “हालांकि जीवाश्म ईंधन कुछ वर्षों तक जारी रहेगा, लेकिन कम हानिकारक जीवाश्म ईंधन को देखना महत्वपूर्ण है और इसमें मीथेन गैस की भूमिका आती है। मीथेन गैस की खपत में काफी वृद्धि हुई है और उम्मीद है कि अगले दो-तीन वर्षों में यह मौजूदा 180 मिलियन मानक क्यूबिक मीटर की तुलना में लगभग दोगुनी होकर 300 मिलियन मानक क्यूबिक मीटर हो जाएगी।”
#ASSOCHAM hosted the 6th Edition of Energy Meet & Excellence Awards today in Kolkata with the lighting of the lamp in the presence of eminent dignitaries.
The inaugural session was graced by Md. Ghulam Rabbani, Hon’ble Minister–in–Charge, Department of Non-Conventional and… pic.twitter.com/9AUCT2Oese
— ASSOCHAM (@ASSOCHAM4India) February 12, 2025