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UJJAIN : गुरुवार रात 12 बजे से शुक्रवार रात 12 तक होंगे श्री नागचंद्रेश्वर के दर्शन

Mochan Samachaar Desk by Mochan Samachaar Desk
08/08/2024
in धर्म
Reading Time: 1 min read
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UJJAIN : गुरुवार रात 12 बजे से शुक्रवार रात 12 तक होंगे श्री नागचंद्रेश्वर के दर्शन
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नई दिल्ली  : मध्य प्रदेश (MADHYA PRADESH) में उज्‍जैन (UJJAIN) के विश्‍व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर (shree mahakaleswar mandir) के द्वितीय तल पर श्री नागचन्द्रेश्वर मंदिर (Sri Nagachandreshwar Temple) के पट आज (8 अगस्‍त, गुरुवार) रात 12 बजे पट खोले जाएंगे। शुक्रवार 9 अगस्त, रात 12 बजे तक सतत दर्शन किए जा सकेंगे। बता दें, इस मंदिर के पट साल में एक बार 24 घंटे सिर्फ नागपंचमी के दिन खुलते हैं। नागपंचमी पर्व 9 अगस्त को मनायी जाएगी। महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के अध्यक्ष व कलेक्टर नीरजकुमार सिंह के अनुसार नागचंद्रेश्वर और महाकाल के दर्शन के लिए अलग-अलग मार्ग तय किए हैं। त्रिवेणी संग्रहालय से 40 मिनट में महाकाल के दर्शन किए जा सकेंगे।

नागचंद्रेश्वर का मंदिर में 11वीं शताब्‍दी की एक प्रतिमा स्‍थापित

महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के गर्भगृह के ऊपर ओंकारेश्वर मंदिर है। उसके शीर्ष पर नागचंद्रेश्वर का मंदिर है। इस मंदिर में 11वीं शताब्‍दी की एक प्रतिमा स्‍थापित है। दरअसल हिंदू धर्म में सदियों से नागों की पूजा करने की परंपरा रही है। हिंदू परंपरा में नागों को भगवान शिव का आभूषण भी माना गया है। श्री नागचन्द्रेश्वर मंदिर में 11वीं शताब्दी की एक अद्भुत प्रतिमा स्थापित है, प्रतिमा में श्री नागचन्द्रेश्वर स्वयं अपने सात फनों से सुशोभित हो रहे है। साथ में शिव-पार्वती के दोनों गण नंदी और सिंह भी विराजित है।

भगवान शिव पूरे परिवार के साथ नाग की शैय्या पर विराजमान

आपको बता दें, यह एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां भगवान शिव पूरे परिवार के साथ नाग की शैय्या पर विराजमान हैं। इसमें नागचंद्रेश्वर सात फनों से सुशोभित हैं। साथ में शिव-पार्वती के दोनों वाहन नंदी और सिंह भी विराजित हैं। यह प्रतिमा नेपाल से यहां लाई गई थी। मान्‍यता है कि उज्‍जैन के अलावा दुनिया में कहीं भी ऐसी प्रतिमा नहीं है।

क्या हैं धार्मिक मान्यताएं ?

प्राप्त जानकारियों के अनुसार भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए सर्पराज तक्षक ने घोर तपस्या की थी। सर्पराज की तपस्या से भगवान शंकर खुश हुए और फिर उन्होंने सर्पों के राजा तक्षक नाग को वरदान के रूप में अमरत्व दिया। उसके बाद से ही तक्षक राजा ने प्रभु के सान्निध्य में ही वास करना शुरू कर दिया। लेकिन महाकाल वन में वास करने से पूर्व उनकी यही मंशा थी कि उनके एकांत में विघ्न ना हो इस वजह से सिर्फ नागपंचमी के दिन ही उनके मंदिर को खोला जाता है। वहीं, सनातन धर्म में सर्प को पूजनीय माना गया है। नाग पंचमी के दिन नागों की पूजा की जाती है और उन्हें गाय के दूध से स्नान कराया जाता है। माना जाता है कि जो लोग नाग पंचमी के दिन नाग देवता के साथ ही भगवान शिव की पूजा और रुद्राभिषेक करते हैं, उनके जीवन से कालसर्प दोष खत्म हो जाता है। साथ ही राहू और केतु की अशुभता भी दूर होती है।

नागपंचमी के अवसर पर होगी नागचंद्रेश्वर की त्रिकाल पूजा

कल नागपंचमी के अवसर पर नागचंद्रेश्वर की त्रिकाल पूजा की जाएगी। मान्यताओं के मुताबिक भगवान नागचंद्रेश्वर की त्रिकाल पूजा की परंपरा है। त्रिकाल पूजा का मतलब होता है, 3 अलग-अलग समय पर पूजा। जिसमें सबसे पहली पूजा मध्यरात्रि में महानिर्वाणी होती है, दूसरी पूजा नागपंचमी के दिन दोपहर में शासन द्वारा की जाती है और तीसरी पूजा नागपंचमी की शाम को भगवान महाकाल की पूजा के बाद मंदिर समिति करती है। इसके बाद रात 12 बजे फिर से एक वर्ष के लिए कपाट बंद कर दिए जाते हैं।

8 अगस्‍त को रात 12 बजे पट खुलने के बाद श्री पंचायती महानिर्वाणी अखाड़े के महंत विनीत गिरिजी महाराज और श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति कलेक्‍टर एवं अध्‍यक्ष सिंह प्रथम पूजन व अभिषेक करेंगे। 9 अगस्‍त की दोपहर 12 बजे अखाड़े की ओर पूजन किया जाएगा। नागपंचमी के दिन यहां लाखों भक्त आते हैं।

Tags: Madhya Pradeshshree mahakaleswar mandirSri Nagachandreshwar TempleUJJAIN
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