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उपराष्ट्रपति ने विधायिकाओं में अनुशासन और मर्यादा की कमी पर गहरी चिंता व्यक्त की; कहा, “बहसें झगड़े के रूप में बदल गई हैं”

पीठासीन अधिकारियों के लिए अनुशासन और मर्यादा लागू करने के लिए अपने अधिकारों का प्रयोग करने का वास्‍तविक समय- उपराष्ट्रपति

Mochan Samachaar Desk by Mochan Samachaar Desk
28/01/2024
in देश
Reading Time: 5 mins read
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लोगों की अज्ञानता को राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल करना शर्मनाक है : उपराष्ट्रपति
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नई दिल्ली : उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने विधायिकाओं में अनुशासन और शिष्टाचार की कमी पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए चेतावनी दी कि “ये गिरावट विधायिकाओं को अप्रासंगिक बना रही है।” पीआईबी द्वारा जारी प्रेस व‍िज्ञप्‍त‍ि के अनुसार

उपराष्‍ट्रपति ने कहा कि बहस अब झगड़ों के रूप में सीमित हो गई हैं, उन्‍होंने इसे बेहद परेशान करने वाली स्थिति बताया जो सभी हितधारकों से अधिक आत्मनिरीक्षण की मांग करती है।

उपराष्‍ट्रपति ने आगाह किया कि इस इकोसिस्‍टम की शुरुआत हमारे संसदीय लोकतंत्र को कमजोर कर रही है, उन्‍होंने कहा कि अपने प्रतिनिधि निकायों में जनता के विश्वास की कमी सबसे अधिक चिंताजनक है जिस पर “देश के राजनीतिक वर्ग का सबसे अधिक ध्यान आकर्षित होना चाहिए।”

आज मुंबई में 84वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन के समापन समारोह को संबोधित करते हुए, उपराष्ट्रपति ने कहा कि अब समय आ गया है कि पीठासीन अधिकारियों को अनुशासन और मर्यादा लागू करने के अपने अधिकार का इस्तेमाल करना चाहिए क्योंकि इनकी कमी वास्तव में विधानमंडलों की नींव को हिला रही है। “विधानमंडलों में व्यवधान न केवल विधायिकाओं के लिए बल्कि लोकतंत्र और समाज के लिए भी कैंसर के समान है। विधायिका की शुचिता बचाने के लिए इस पर अंकुश लगाना वैकल्पिक नहीं बल्कि परम आवश्यकता है।”

श्री धनखड़ ने इसे पारिवारिक व्यवस्था के सदृश्य बताते हुए कहा, “यदि परिवार में बच्चा मर्यादा, और अनुशासन का पालन नहीं कर रहा है, तो उसे अनुशासित करने वाले व्यक्ति की पीड़ा के लिए भी अनुशासित होना होगा,” उन्होंने कहा कि हमारा संकल्प होना चाहिए अशांति और व्यवधान के लिए शून्य स्थान रखना।

उन्‍होंने कहा कि एक सुदृढ़ लोकतंत्र न केवल ठोस सिद्धांतों पर बल्कि उन्हें बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध नेताओं के साथ भी पनपता है, उन्होंने कहा कि पीठासीन अधिकारी के रूप में, “हम लोकतांत्रिक स्तंभों के संरक्षक होने की जिम्मेदारी लेते हैं। हमारा कर्तव्य यह सुनिश्चित करना है कि विधायी प्रक्रिया जवाबदेह, प्रभावी और पारदर्शी हो और लोगों की आवाज वहां तक पहुंचाने में सहायक हो।”

लोकतंत्र को पुष्पित और पल्‍लवित करने के लिए, श्री धनखड़ ने विधायकों से संवाद, बहस, शिष्टाचार और विचार-विमर्श के 4 डी में विश्वास करने और अशांति और विघटन के 2 डी से दूर रहने का आह्वान किया।

इस अवसर पर, उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने सभी प्रतिभागियों को 5 संकल्पों को अपनाने के लिए बधाई दी जो भारत@2047 की मजबूत नींव रखेंगे। ये संकल्प-विधायी निकायों का प्रभावी कामकाज, पंचायती राज संस्थान की क्षमता निर्माण, उभरती प्रौद्योगिकियों को अपनाना और बढ़ावा देना, कार्यपालिका की जवाबदेही लागू करना और ‘एक राष्ट्र एक विधान मंच’ बनाने का संकल्प है। यह उल्लेख करते हुए कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (कृत्रिम बुद्धिमत्ता), मशीन लर्निंग जैसी विघटनकारी तकनीक हमारे जीवन में प्रवेश कर चुकी है, उपराष्ट्रपति ने विधायकों से उन्हें विनियमित करने के लिए तंत्र प्रदान करने का आह्वान किया।

इस अवसर पर महाराष्ट्र के राज्यपाल श्री रमेश बैस, लोकसभा अध्यक्ष श्री ओम बिड़ला, महाराष्ट्र उपमुख्यमंत्री श्री देवेन्द्र फड़णवीस, महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष श्री राहुल नारवेकर, महाराष्ट्र विधान सभा में विपक्ष के नेता श्री विजय वडेट्टीवार, महाराष्ट्र विधान परिषद उपाध्यक्ष डॉ. नीलम गोरे और देश भर से आए पीठासीन अधिकारियों ने कार्यक्रम में भाग लिया।

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Tags: "Arguments have turned into fights.""बहसें झगड़े के रूप में बदल गई हैं"mochan samachaarpibThe Vice President expressed deep concern over the lack of discipline and decorum in legislatures; Saidउपराष्ट्रपति ने विधायिकाओं में अनुशासन और मर्यादा की कमी पर गहरी चिंता व्यक्त की; कहा
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