नयी दिल्ली : बच्चों में दस्त की लगातार बढ़ती समस्या से निपटने और शून्य बाल मृत्यु दर को लेकर प्रयास करने के लिए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने अपने लंबे समय से चल रहे गहन दस्त नियंत्रण पखवाड़े (आईडीसीएफ) को स्टॉप डायरिया अभियान के रूप में पुनः ब्रांड किया है। 2014 में शुरू हुई यह पहल रोकथाम, सुरक्षा और उपचार (पीपीटी) रणनीति को बढ़ाने और ओरल रिहाइड्रेशन सॉल्यूशन (ओआरएस) और जिंक के उपयोग को बढ़ाने पर केंद्रित है। अभियान 2024 का नारा “डायरिया की रोकथाम, सफाई और ओआरएस से रखें अपना ध्यान” है, जो रोकथाम, स्वच्छता और उचित उपचार के महत्व पर जोर देता है।
स्टॉप डायरिया अभियान दो चरणों में लागू किया जाएगा
14 से 30 जून, 2024 तक प्रारंभिक चरण और 1 जुलाई से 31 अगस्त, 2024 तक अभियान चरण। इस अवधि के दौरान प्रमुख गतिविधियों में आशा कार्यकर्ताओं द्वारा पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों वाले घरों में ओआरएस और जिंक के को-पैकेज वितरित करना, स्वास्थ्य सुविधाओं और आंगनवाड़ी केंद्रों पर ओआरएस-जिंक कॉर्नर स्थापित करना और डायरिया के प्रभावी प्रबंधन के लिए पहल एवं जागरूकता के प्रयासों को तेज करना शामिल है। इसके अतिरिक्त, अभियान व्यापक देखभाल और रोकथाम सुनिश्चित करने के लिए डायरिया मामले के प्रबंधन के लिए सेवा प्रावधान को मजबूत करेगा।
नड्डा ने किया अभियान का शुभारंभ
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जगत प्रकाश नड्डा (Union Health and Family Welfare Minister Jagat Prakash Nadda) ने आज यहां राष्ट्रीय स्टॉप डायरिया अभियान 2024 (National Stop Diarrhea Campaign 2024) का शुभारंभ किया। इस अवसर पर केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल और जाधव प्रतापराव गणपतराव उपस्थित थे। गणमान्य व्यक्तियों ने अभियान के लिए लोगो, पोस्टर, रेडियो स्पॉट और ऑडियो विजुअल जैसी आईईसी सामग्री भी जारी की और बच्चों को ओरल रिहाइड्रेशन साल्ट (ओआरएस) और जिंक की गोलियां वितरित कीं।
स्टॉप डायरिया अभियान 2024 का लक्ष्य बच्चों को होने वाले डायरिया के कारण होने वाली मौत की संख्या को कम करते हुए शून्य बाल मृत्यु दर तक पहुंचना है जबकि मौजूदा डायरिया रणनीति में 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों को ओआरएस की पहले से उपलब्धता और सीमित आईईसी के साथ 2 सप्ताह का अभियान शामिल था, नई रणनीति में 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों को को-पैकेजिंग के रूप में 2 ओआरएस पैकेट और जिंक की उपलब्धता के साथ 2 महीने का अभियान शामिल है। इसमें स्वास्थ्य, जल और स्वच्छता, शिक्षा और ग्रामीण विकास सहित कई क्षेत्रों में विभिन्न प्लेटफार्मों और सहयोग के माध्यम से व्यापक आईईसी भी शामिल होगा।
जे पी नड्डा ने कहा, “मिशन इंद्रधनुष, रोटावायरस वैक्सीन और इस स्टॉप डायरिया अभियान के बीच एक अनूठा संबंध है क्योंकि ये सभी स्वास्थ्य मंत्री के रूप में मेरे पिछले कार्यकाल के दौरान शुरू की गई पहली पहलों में से थे”।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा की गई विभिन्न पहलों ने डायरिया के कारण बाल मृत्यु दर को कम करने में कुल मिलाकर मदद की है। इसी प्रकार, राष्ट्रीय जल जीवन मिशन, स्वच्छ भारत अभियान और आयुष्मान आरोग्य मंदिर नेटवर्क के विस्तार ने देश में डायरिया के मामलों और मृत्यु दर में कमी लाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने भारत में डायरिया प्रबंधन प्रयासों पर जोर देने के लिए क्षमता निर्माण के प्रयासों को बढ़ाने के साथसाथ स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को संवेदनशील बनाने के महत्व पर भी बल दिया। राज्यों की तैयारी के स्तर की सराहना करते हुए, जे पी नड्डा ने उन्हें जनता के बीच जागरूकता बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया।
उन्होंने कहा, “अगर हमारे स्वास्थ्यकर्मी देश के सबसे दूरदराज के इलाकों में पहुंच सकते हैं और कोविड के टीके की 220 करोड़ खुराकें लगा सकते हैं, तो मुझे यकीन है कि हमारे फ्रंटलाइन स्वास्थ्यकर्मी स्टॉप डायरिया अभियान के दौरान भी उसी तरह की मजबूत वितरण प्रणाली बना सकते हैं।”
जाधव प्रतापराव ने कहा, “केवल स्वस्थ बच्चे ही स्वस्थ राष्ट्र का निर्माण करते हैं”। उन्होंने कहा कि सबसे पहले डायरिया की रोकथाम के लिए अधिक प्रयास किए जाने चाहिए। उन्होंने अधिकारियों से बच्चों को ओआरएस और जिंक की गोलियां उपलब्ध कराने के अलावा स्वच्छता और डायरिया रोकथाम से जुड़े लक्ष्य निर्धारित करने पर ध्यान केंद्रित करने का आग्रह किया।
अनुप्रिया पटेल ने कहा, “यह दुखद है कि बचपन में होने वाला डायरिया, जो रोकथाम योग्य और उपचार योग्य दोनों है, फिर भी इस बीमारी के कारण कई लोगों की जान चली जाती है।” उन्होंने राज्यों और अन्य संगठनों के प्रतिनिधियों से “अपने प्रयासों को फिर से सक्रिय करने और डायरिया के बारे में जागरूकता बढ़ाने का आग्रह किया, ताकि डायरिया के कारण बच्चों की मृत्यु को शून्य करने का लक्ष्य प्राप्त किया जा सके।”
केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव अपूर्व चंद्रा ने कहा कि “डायरिया बच्चों में होने वाली एक आम बीमारी है। पहले सरकार डायरिया को कम करने के लिए हर पखवाड़े अभियान चलाती थी, जिसे अब एक व्यापक और वृहद अभियान में बदल दिया गया है।”
स्वास्थ्य सेवाओं के महानिदेशक डॉ. अतुल गोयल ने कहा कि डायरिया बच्चों में होने वाली एक आम लेकिन रोकथाम योग्य बीमारी है उन्होंने उम्मीद जताई कि यह अभियान देश में डायरिया प्रबंधन से जुड़ी रणनीति को मजबूत करने में मदद करेगा।
इस अवसर पर मौजूद राज्यों के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी अभियान पर अपने विचार और फीडबैक साझा किए उन्होंने अपनी तैयारियों के स्तर पर अपडेट भी दिया और इस पर अपनी कुछ बेहतरीन कार्यप्रणाली भी साझा की।
स्टॉप डायरिया अभियान के फोकस क्षेत्र:
- स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे को मजबूत करना: स्वास्थ्य सुविधाओं का उचित रखरखाव और उपयोग सुनिश्चित करना और विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में आवश्यक चिकित्सा आपूर्ति (ओआरएस, जिंक) की उपलब्धता सुनिश्चित करना।
- स्वच्छ जल और स्वच्छता तक पहुंच में सुधार: सुरक्षित पेयजल और बेहतर स्वच्छता प्रदान करने के लिए कठोर गुणवत्ता नियंत्रण उपायों और स्थायी कार्य प्रणालियों को लागू करना।
- पोषण कार्यक्रमों को बढ़ाना: बेहतर पोषण पहलों के माध्यम से दस्त रोगों के एक प्रमुख कारण कुपोषण को दूर करना।
- स्वच्छता शिक्षा को बढ़ावा देना: व्यापक स्वच्छता शिक्षा कार्यक्रमों के माध्यम से स्कूलों को आवश्यक सुविधाओं से लैस करना और बच्चों में स्वस्थ आदतों को बढ़ावा देना।
इन फोकस क्षेत्रों का उद्देश्य दस्त के प्रबंधन और रोकथाम के लिए एक समग्र दृष्टिकोण बनाना है, जिससे अंततः बाल मृत्यु दर में कमी आए और समग्र सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार हो।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय पेयजल और स्वच्छता, महिला और बाल विकास, स्कूली शिक्षा, ग्रामीण विकास और शहरी विकास जैसे विभिन्न संबंधित मंत्रालयों के साथ मिलकर काम कर रहा है। यह बहु क्षेत्रीय दृष्टिकोण स्टॉप डायरिया अभियान के बेहतर तालमेल और कार्यान्वयन को सुनिश्चित करता है, जिसका लक्ष्य बाल मृत्यु दर में कमी लाने और सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार लाने के लिए एक व्यापक और प्रभावशाली कार्यक्रम को साकार करना है।
संबंधित मंत्रालयों के सचिव (पेयजल और स्वच्छता; महिला और बाल विकास; स्कूली शिक्षा; ग्रामीण विकास; शहरी विकास); बैठक में स्वास्थ्य मंत्रालय की अपर सचिव श्रीमती रोली सिंह, स्वास्थ्य मंत्रालय की संयुक्त सचिव (आरसीएच) श्रीमती मीरा श्रीवास्तव, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु और राजस्थान से अपर मुख्य सचिव, प्रधान सचिव (स्वास्थ्य), प्रधान सचिव (चिकित्सा शिक्षा), राज्यों और केंद्र सरकार के वरिष्ठ अधिकारी और विकास से जुड़े भागीदारों (यूनिसेफ, यूएसएआईडी, बीएमजीएफ, एनआईपीआई, न्यूट्रिशन इंटरनेशनल, जॉन स्नो इंडिया और डब्ल्यूएचओ) के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।