नई दिल्ली : केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग (एमओपीएसडब्ल्यू) और आयुष मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल ने 2 मार्च, 2024 को वर्चुअल तरीके से ‘ओशन ग्रेस’ नामक 60टी बोलार्ड पुल टग और मेडिकल मोबाइल यूनिट (एमएमयू) का उद्घाटन किया। पीआईबी द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार (According to the press release issued by PIB) ओशन ग्रेस भारत में निर्मित पहला एएसटीडीएस टग है जिसे एमओपीएसडब्ल्यू के तहत कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड ने विकसित किया है। यह मेडिकल मोबाइल यूनिट (एमएमयू) कॉर्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी के प्रति पत्तन की प्रतिबद्धता का हिस्सा है। यह पहल पीएम मोदी की ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल को दर्शाती है। इस कार्यक्रम में पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग और पर्यटन राज्य मंत्री श्री श्रीपद नाइक; पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग राज्य मंत्री श्री शांतनु ठाकुर; पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग सचिव श्री टी.के. रामचंद्रन सहित अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने वर्चुअल तरीके से भाग लिया।
इस कार्यक्रम के दौरान श्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा, ‘पारादीप पत्तन प्रगति और विकास का एक शानदार उदाहरण है। हर साल यह एग्जिम यातायात प्रबंधन में नए मानक स्थापित करता है, जो दक्षता और उत्कृष्टता के प्रति मंत्रालय की प्रतिबद्धता का प्रतीक है।’
श्री सोनोवाल ने कहा, कि पीएम मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्रालय आत्मनिर्भर भारत पहल को पूरा करने के लिए पूरा प्रयास कर रहा है। 45 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित ‘ओशन ग्रेस’ टग (बड़े जहाजों को खिंचने वाली छोटी नाव) समुद्री इंजीनियरिंग की बेहतरीन देन है, जो अत्याधुनिक तकनीक से सुसज्जित है और 60 टन का उल्लेखनीय बोलार्ड पुल का दावा करता है। इसका उद्घाटन समुद्री बुनियादी ढांचे की उत्कृष्टता की हमारी खोज में एक महत्वपूर्ण छलांग है, जिससे आने वाले वर्षों में निर्बाध और दोषरहित पत्तन संचालन में मदद मिलेगी।
यह पहला एएसटीडीएस टग निगाटा मुख्य इंजन और पावर जेड-पेलर जेडपी प्रोपल्शन इंजन से संचालित होता है। इस टग को अधिकतम दक्षता और विश्वसनीयता के लिए सावधानीपूर्वक डिजाइन किया गया है जो निर्बाध नेविगेशन और कुशल पोत सहायता की गारंटी देता है, खासकर वीएलसीसी और यूएलसीसी जैसे बड़े जहाजों के लिए।
ग्रीन टग ट्रांज़िशन प्रोग्राम (जीटीटीपी) का लक्ष्य 2030 तक सभी टगों में से कम से कम 50% को ग्रीन टग में बदलना और सभी प्रमुख पत्तनों पर ग्रीन टग की तैनाती करना है। जेएनपीए, डीपीए, पीपीए और वीओसीपीए पहले चरण के हिस्से के रूप में 2027 तक कोचीन शिपयार्ड से दो बिल्कुल नए ग्रीन टग (बैटरी-इलेक्ट्रिक चालित) खरीदेंगे। आज, पीपीए ने भारत का पहला एएसटीडीएस टग खरीदकर अपना विज़न पूरा किया। ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने के उपायों को लागू करके, घरेलू/लघु समुद्री शिपिंग घाटों, बंदरगाह जहाजों (टग/जहाज/खींच कर निकालने वाला यंत्र), और ओएसवी/पीएसवी का लक्ष्य पहले 2030 तक 50% की उल्लेखनीय कमी करना और फिर इसे 2047 तक 70% तक कम करना है।
समुद्री अमृत काल विजन 2047 के तहत, आने वाले वर्षों में डीकार्बोनाइजेशन सेल अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी जहाजों के निर्माण में अग्रणी बनने के लिए तैयार है, जो विभिन्न श्रेणियों में प्रायोगिक पहल (पायलट रन) शुरू करेगा। इस महत्वाकांक्षी पहल में पांच इलेक्ट्रिक वॉटर टैक्सियां, दो हाइब्रिड इलेक्ट्रिक रो-रो घाट और दो हाइब्रिड एलएनजी इलेक्ट्रिक कार्गो कैरियर शामिल हैं। इसके अलावा, इस योजना में जेएनपीए में तीन दोहरे ईंधन कंटेनर वाले रो-रो नाव के साथ एक हाइब्रिड टग तैनात करना शामिल है। इस प्रयास में चार प्रमुख पत्तनों पर हरित हाइड्रोजन और अमोनिया-संचालित टगों को शामिल करना है। इसके अतिरिक्त, इस पहल में एक अपतटीय जहाज के साथ-साथ एक हरित हाइड्रोजन या अमोनिया-चालित तटीय कार्गो वाहक की तैनाती शामिल है, जो टिकाऊ समुद्री प्रथाओं और पर्यावरणीय प्रबंधन के प्रति समर्पित प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करता है।
ओडिशा में सागरमाला कार्यक्रम इसके तटीय क्षेत्रों में महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचागत विकास को आगे बढ़ाने में सहायक रहा है। वर्तमान में, लगभग 54,500 करोड़ रुपये की 53 परियोजनाएं हैं जिनमें 12,700 करोड़ रुपये की लागत वाली 21 परियोजनाएं पहले ही पूरी हो चुकी हैं। 41,800 करोड़ रुपये की लागत वाली बाकी 32 परियोजनाएं कार्यान्वयन के विभिन्न चरणों में हैं। 7 ऐसी परियोजनाएं चल रही हैं जिन्हें पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्रालय आंशिक रूप से वित्त पोषित कर रहा है। इनमें से एक पूरी हो चुकी है और छह प्रगति पर हैं। इसके अलावा, तटीय जिलों के समग्र विकास पहल के तहत, 157 करोड़ रुपये की नौ परियोजनाओें की पहचान हो चुकी है जिसमें मत्स्य पालन, कौशल विकास, पर्यटन और शहरी जल परिवहन पर ध्यान केंद्रित किया गया है। इस तरह के चल रहे अन्य प्रयासों में 108 करोड़ रुपये के बजट के साथ पारादीप मछली बंदरगाह को विश्व स्तरीय सुविधा के साथ विकसित करना और कौशल विकास कार्यक्रम – चरण II के माध्यम से 2860 उम्मीदवारों का कौशल बढ़ाना है। भविष्य को देखते हुए, आगामी परियोजनाओं का उद्देश्य चांदीपुर में मत्स्य पत्तन स्थापित करना और स्थानीय कनेक्टिविटी को बढ़ाने तथा जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों के बीच पारिस्थितिक संतुलन को संरक्षित करने पर ध्यान देने के साथ सातपाड़ा और जाह्नीकुडा के बीच नौका सेवाओं में सुधार करके मछुआरा समुदाय का उत्थान करना है।
पारादीप पत्तन शिक्षा, पर्यावरण, स्वास्थ्य देखभाल, स्वच्छता, बिजली, खेल और संस्कृति सहित कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) गतिविधियों में महत्वपूर्ण योगदान देता है। मेडिकल मोबाइल यूनिट (एमएमयू) का उद्घाटन इस प्रतिबद्धता का उदाहरण है। मेडिकल मोबाइल यूनिट के संचालन पर सालाना लगभग 48 लाख रुपये खर्च है, जो आस-पास के वंचित समुदायों को सुलभ स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने के बंदरगाह की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। डॉक्टरों, नर्सों, तकनीशियनों और फार्मासिस्टों सहित कुशल चिकित्सा पेशेवरों से सुसज्जित मेडिकल मोबाइल यूनिट मातृ एवं बाल चिकित्सा देखभाल, रोग प्रबंधन और स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रम जैसी विभिन्न सेवाएं प्रदान करता है। यह मेडिकल मोबाइल यूनिट पारादीप और इसके आसपास के क्षेत्रों में जरूरतमंदों तक स्वास्थ्य सेवा पहुंचाना सुनिश्चित करती है।
उल्लेखनीय है कि पारादीप पत्तन के विस्तार पर अभी विशेष ध्यान दिया जा रहा है। 3,004.63 करोड़ रुपये की वेस्टर्न डॉक परियोजना अगले दो वर्षों में इसकी क्षमता 300 एमटीपीए से अधिक बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस परियोजना में एक नई जहाज गोदाम (डॉक) का निर्माण शामिल है, जो अत्याधुनिक बुनियादी ढांचे और संचालन की बेहतरीन सुविधाओं से सुसज्जित है। इसे बड़ी संख्या में कई खाली जहाजों को रखने के लिए तैयार किया गया है। इसके अलावा, इस परियोजना में केप जहाजों को समायोजित करने के लिए आंतरिक पत्तन को गहरा करना शामिल है, जिसके लिए 18 मीटर तक की गहराई की आवश्यकता होती है। इस परियोजना में पारादीप पत्तन पर सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मोड के तहत निर्माण, संचालन और हस्तांतरण (बीओटी) के आधार पर पश्चिमी डॉक के विकास सहित आंतरिक पत्तन सुविधाओं को बेहतरीन और अनुकूलित करना शामिल है।
पत्तन के बारे में:
पारादीप पत्तन की उल्लेखनीय उपलब्धि तटीय नौवहन में इसकी केंद्रीय भूमिका से उजागर होती है। यह देश के सभी पत्तनों से संचालित लगभग 25% तटीय यातायात का प्रबंधन करता है। यह पूरे देश में उद्यमों को किफायती और प्रभावी पत्तन सेवाएं प्रदान करता है, जो 80% से अधिक बर्थ मशीनीकरण पर काम करती है। पारादीप पत्तन उत्पादकता में प्रमुख पत्तनों की सूची में सबसे ऊपर है। वित्तीय वर्ष 2022-2023 में, इसने प्रति जहाज बर्थ दिन 32,500 मीट्रिक टन हासिल किया, जिससे भारतीय समुद्री क्षेत्र में यह प्रमुख भागीदार के रूप में सामने आया है।