नई दिल्ली : भारत सरकार के विद्युत मंत्रालय ने तेजी से बढ़ती बिजली की मांग के अनुरूप देश की बिजली क्षमता में पर्याप्त वृद्धि सुनिश्चित करने हेतु“संसाधन पर्याप्तता दिशानिर्देश” का पालन करने के लिए सभी राज्यों और केन्द्र-शासित प्रदेशों को एक विस्तृत पत्र भेजा है। पीआईबी द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार (According to the press release issued by PIB)
भारतीय अर्थव्यवस्था के उच्च दर से बढ़तेरहने और वर्ष 2030 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाने की उम्मीद है। इसके परिणामस्वरूप, हमारी बिजली की खपत भी बढ़ गई है।अधिकतम बिजली की मांग 79 प्रतिशत से अधिक बढ़ गई है और यहवर्ष 2014 में 136 गीगावॉट से बढ़कर आज 243 गीगावॉट हो गई है। तदनुसार, हमारी उत्पादन क्षमता में भी विस्तार हुआ है और यह मार्च 2014 में 248.5 गीगावॉट से बढ़कर दिसंबर 2023 में 428.3 गीगावॉट हो गई है, जो 72.4 प्रतिशत की वृद्धि है। इसके अतिरिक्त, राष्ट्र ने पूरे देश में 117 गीगावॉट बिजली स्थानांतरित करने के लिए पर्याप्त रूप से अंतर-क्षेत्रीय पारेषण बुनियादी ढांचा स्थापित किया है।
तेजी से बढ़ती मांग को पूरा करने हेतु, यह जरूरी है कि देश की उत्पादन क्षमता भी तेजी से विकसित हो।
विद्युत (उपभोक्ताओं के अधिकार) नियम, 2020 के नियम 10 में कहा गया है कि वितरण लाइसेंसधारियों को कुछ उपभोक्ता श्रेणियों, जिनके लिए राज्य विद्युत नियामक आयोग ने कम आपूर्ति घंटे निर्धारित किए हैं, को छोड़कर सभी ग्राहकों को चौबीसों घंटे बिजली प्रदान करनी होगी। परिणामस्वरूप, यह आवश्यक है कि सभी वितरण लाइसेंसधारी चौबीसों घंटे बिजली आपूर्ति के लिए पर्याप्त क्षमता जुटा लें। इस संबंध में 28 जून 2023 को भारत सरकार ने विद्युत (संशोधन) नियम, 2022 के नियम-16 के अनुसार “संसाधन पर्याप्तता दिशानिर्देश” जारी किये।
संसाधन पर्याप्तता (आरए) दिशानिर्देशों के अनुसार, अपने स्वयं के अधिकतम और ऊर्जा आवश्यकता को पूरा करने के लिए, वितरण लाइसेंसधारियों को 10-वर्षीय परिदृश्य (रोलिंग आधार पर) के लिए आरए योजना तैयार करना अनिवार्य है। यह जरूरी है कि सभी राज्य और केन्द्र-शासित प्रदेश उपरोक्त नियमों और दिशानिर्देशों के अनुसार 2024-25 से 2033-34 तक की अवधि के लिए अपनी संसाधन पर्याप्तता योजनाओं को पूरा करें।
आज तककेन्द्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीईए) द्वारा वर्ष 2031-32 तक के “संसाधन पर्याप्तता (आरए) अध्ययन” 23 राज्यों/केन्द्र-शासित प्रदेशों के लिए पूरे कर लिए गए हैं, जबकि शेष राज्यों और केन्द्र-शासित प्रदेशोंअर्थात् दिल्ली, गोवा, सिक्किम, हरियाणा, बिहार, पश्चिम बंगाल, चंडीगढ़, पुडुचेरी और जम्मू एवं कश्मीर के लिए आरए संबंधी अध्ययन प्रगति पर हैं। हालांकि, वितरण लाइसेंसधारियों को अब राष्ट्रीय स्तर के आरए अध्ययन करने के लिए वर्ष 2033-34 तक का डेटा सीईए को प्रस्तुत करना आवश्यक है। तदनुसार, “संसाधन पर्याप्तता दिशानिर्देशों” के पालन के संबंध में राज्यों और केन्द्र-शासित प्रदेशों को 2 फरवरी, 2024 को एक विस्तृत पत्र भेजा गया है।