नयी दिल्ली : पद्म विभूषण तबला वादक उस्ताद जाकिर हुसैन (Padma Vibhushan Tabla player Ustad Zakir Hussain) का 73 साल की उम्र में निधन हो गया है। उन्होंने 73 साल की उम्र में अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को अस्पताल में आखिरी सांस लीI जाकिर हुसैन पिछले कुछ दिनों से दिल से जुड़ी बीमारी से पीड़ित थेI उनकी तबीयत अचानक खराब हो गईI जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गयाI
अपनी कला से लोगों का जीत लिया था दिल
जाकिर हुसैन तबला वादक हैं. पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने जाकिर को ऑल-स्टार ग्लोबल कॉन्सर्ट में हिस्सा लेने के लिए व्हाइट हाउस में आमंत्रित किया थाI इतना ही नहीं जाकिर बेहद प्रतिभाशाली हैंI तबला वादक होने के साथ-साथ उन्होंने कई फिल्में भी की हैंI जाकिर पेशे से एक्टर भी थेंI उन्होंने अब तक 12 फिल्में की हैंI
कई अवार्ड से किया जा चुका है सम्मानित
जाकिर हुसैन मशहूर दिवंगत तबला वादक अल्लाह खान के बेटे हैंI जाकिर हुसैन ने 7 साल की उम्र में तबला सीखना शुरू किया और 12 साल की उम्र में उन्होंने देश भर में पढ़ाई करते हुए तबला सीखना शुरू कर दियाI जाकिर खान को देश-विदेश में कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका हैI साल 1988 में पद्मश्री, वर्ष 2002 में पद्म भूषण, वर्ष 2023 में पद्म विभूषण जैसे सर्वोच्च पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका हैI जाकिर हुसैन को वर्ष 1990 में संगीत के सर्वोच्च सम्मान ‘संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार’ से भी सम्मानित किया गया थाI
जाकिर हुसैन की पहली कमाई
जाकिर की पहली कमाई 5 रुपए थीI जाकिर हुसैन को तबला बजाने का इतना शौक था कि अगर वो किसी भी बर्तन को छू लेते तो उससे धुन निकालने लगतेI जाकिर जब 12 साल के थे तो वो अपने पिता के साथ एक संगीत कार्यक्रम में गए थेI वहां उनकी मुलाकात पंडित रविशंकर, उस्ताद अली अकबर खान, बिस्मिल्लाह खान, पंडित शांता प्रसाद और पंडित किशन महाराज से हुईI जब जाकिर अपने पिता के साथ मंच परपरफॉर्मेंस कर रहे थे तो उन्हें देखकर सभी हैरान रह गएI प्रदर्शन खत्म होने के बाद जाकिर को 5 रुपए मिलेI एक इंटरव्यू में जाकिर ने कहा था कि मैंने अपनी जिंदगी में खूब पैसा कमाया, लेकिन वो 5 रुपए मेरे लिए सबसे कीमती थेI बता दें कि हुसैन ने एक साथ तीन ग्रैमी अवॉर्ड जीते थे ।
निजी जीवन और विरासत
हुसैन का निजी जीवन उत्कृष्टता के प्रति उसी समर्पण को दर्शाता है जो वे अपने संगीत के प्रति दिखाते हैं। उन्होंने कथक डांसर एंटोनिया मिनेकोला से शादी की, जो उनकी मैनेजर भी हैं। साथ में, उनकी दो बेटियाँ हैं, अनीसा और इसाबेला, दोनों ही कला से जुड़ी हैं। हुसैन का परिवार उनकी संगीत यात्रा में एक अभिन्न भूमिका निभाता है।
अपनी वैश्विक प्रसिद्धि और सफलता के बावजूद, ज़ाकिर हुसैन भारतीय शास्त्रीय संगीत के प्रति अपने प्रेम में डूबे रहे हैं। उनका हमेशा से मानना रहा है कि किसी भी प्रदर्शन का मुख्य केंद्र संगीत होना चाहिए और वे निजी समारोहों या शादियों में प्रदर्शन नहीं करते हैं, इसके बजाय वे अपनी कला को ऐसे स्थानों पर साझा करना पसंद करते हैं जहाँ संगीत ही कार्यक्रम का एकमात्र उद्देश्य हो।
उस्ताद ज़ाकिर हुसैन की एक युवा तबला प्रतिभा से लेकर एक वैश्विक आइकन तक की यात्रा उनकी असाधारण प्रतिभा, अथक समर्पण और भारतीय शास्त्रीय संगीत की समृद्ध परंपरा को संरक्षित करने और विकसित करने के लिए अटूट प्रतिबद्धता का प्रमाण है। उनका काम दुनिया भर के संगीतकारों को प्रेरित और प्रभावित करता रहता है, और उनकी विरासत उन सभी के दिलों में बसी हुई है जिन्होंने उनके संगीत का अनुभव किया है। एक संगीतकार, शिक्षक और सांस्कृतिक राजदूत के रूप में, जाकिर हुसैन ने संगीत में उत्कृष्टता के लिए मानक स्थापित किए हैं, और अपने पीछे एक ऐसी विरासत छोड़ी है जो आने वाली पीढ़ियों तक गूंजती रहेगी।
अपने पूरे जीवन में, जाकिर हुसैन ने भारतीय शास्त्रीय संगीत को विश्व मंच पर लाने, परंपरा को नवीनता के साथ जोड़ने और वैश्विक संगीत परिदृश्य पर एक अमिट छाप छोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने ट्वीट किया, “ज़ाकिर हुसैन जी के तबले की तान ने सीमाओं, संस्कृतियों और पीढ़ियों को पार करते हुए एक सार्वभौमिक भाषा बोली। यह क्लिप परिभाषित करती है कि हम उन्हें कैसे याद करेंगे और उनकी विरासत का जश्न कैसे मनाएंगे। उनकी लय की ध्वनि और कंपन हमारे दिलों में हमेशा गूंजती रहेगी। हमेशा गूंजेगा, वाह ताज! उनके परिवार, प्रशंसकों और प्रियजनों के प्रति मेरी गहरी संवेदना। ओम शांति।”
Union Minister Jyotiraditya Scindia tweets, “The बोल of Zakir Hussain Ji’s tabla spoke a universal language, transcending borders, cultures and generations. This clip defines how we will remember him, and celebrate his legacy. The sound & vibrations of his rhythm will echo in… pic.twitter.com/c2S3VxXS2D
— ANI (@ANI) December 15, 2024
असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने ट्वीट किया, “उस्ताद जाकिर हुसैन साहब के निधन से हमारी संस्कृति की दुनिया और भी क्षीण हो गई है। अपनी उंगलियों को दायां और बयान पर नचाते हुए उन्होंने भारतीय तबले को वैश्विक मंच पर पहुंचाया और हमेशा इसकी जटिल लय के पर्याय बने रहेंगे। संगीत के एक दिग्गज, रचनात्मकता के एक दिग्गज जिनके काम ने उन्हें पीढ़ियों तक लोगों के बीच लोकप्रिय बनाए रखा। उनके जाने से एक ऐसा शून्य पैदा हो गया है जिसे भरना मुश्किल होगा। उनके परिवार, शिष्यों और अनगिनत प्रशंसकों के प्रति मेरी हार्दिक संवेदनाएँ।”
The passing away of Ustad Zakir Hussain Sahab leaves our world of culture poorer. Making his fingers dance on the dayan and bayan, he took Indian Tabla to the global stage and will always be synonymous with its intricate rhythms.
A doyen of music, a stalwart of creativity whose… pic.twitter.com/NtXkA4fdpO
— Himanta Biswa Sarma (@himantabiswa) December 15, 2024