नयी दिल्ली : “हमारा विजन स्पष्ट है, हमारे लक्ष्य महत्वाकांक्षी हैं और हमारा निर्णय अटल है।” यह बात केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण, रसायन एवं उर्वरक मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया (Dr. Mansukh Mandaviya) ने गांधीनगर में जी20 स्वास्थ्य मंत्रियों की बैठक के दौरान भारतीय फार्मास्युटिकल उद्योग की हस्तियों और जी20 मंत्रियों तथा प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए अपने मुख्य भाषण में कही। पीआईबी द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार
डॉ. मांडविया ने औषधियों और चिकित्सा उपकरणों के क्षेत्र में भारत की शक्ति को गर्व से स्वीकार करते हुए औषधि क्षेत्र में उत्कृष्टता के एक वैश्विक केंद्र के रूप में इसकी भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “भारत को वैश्विक औषधि क्षेत्र के परिदृश्य में महत्वपूर्ण स्थिति के रूप में जाना जाता है।” उन्होंने दुनिया की लगभग 60 प्रतिशत वैक्सीन जरूरतों को पूरा करने और 20-22 प्रतिशत जन-औषधि निर्यात के साथ किफायती, उच्च गुणवत्ता वाली दवाओं को उपलब्ध कराने तथा वैश्विक पहुंच में देश के समर्पण को रेखांकित किया।
डॉ. मांडविया ने मानवता की भलाई के लिए, विशेष रूप से कोविड-19 महामारी के दौरान प्रदर्शित की गई भारत की अटूट प्रतिबद्धता को रेखांकित किया। उन्होंने एक वैश्विक नेता के रूप में भारत की भूमिका पर जोर देते हुए कहा, “महामारी के विरूद्ध लड़ाई में, भारत ने लगभग 185 देशों को आवश्यक दवाइयां उपलब्ध कराईं।”
उनका मुख्य भाषण स्वास्थ्य सेवा के भविष्य, मात्रा आधारित दृष्टिकोण से मूल्य-आधारित नेतृत्व मॉडल तक हुए परिवर्तन के चारों ओर केन्द्रित भारत के विजन पर आधारित था। उन्होंने कहा, “स्वास्थ्य सेवा में गुणवत्ता, सुगम पहुंच और किफायत के प्रति हमारी अटूट प्रतिबद्धता है।” प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में, भारत सरकार स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में सार्थक बदलाव लाने के लिए प्रतिबद्ध है।
स्वास्थ्य सेवा की प्रगति में अनुसंधान और विकास के सर्वोच्च महत्व को स्वीकार करते हुए, डॉ. मांडविया ने एक नवाचारी माहौल को बढ़ावा देने में हुई भारत की प्रगति की घोषणा की। उन्होंने कहा कि भारत फार्मा-चिकित्सा उपकरण क्षेत्र में अनुसंधान और विकास तथा नवाचार को बढ़ावा देने के लिए एक राष्ट्रीय नीति शुरू करने के अंतिम चरण में है।
डॉ. मांडविया के पूरे संबोधन में कार्रवाई करने का आह्वान गूंजता रहा। उन्होंने समस्त देशों, सरकारी निकायों, उद्योग जगत की हस्तियों, स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों और शोधकर्ताओं से एकजुट होकर इस संयुक्त प्रयास में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया। उन्होंने कहा, “हमारी सामूहिक शक्ति में फार्मास्युटिकल और चिकित्सा उपकरण क्षेत्रों को अभूतपूर्व ऊंचाइयों तक ले जाने की क्षमता है।” डॉ. मांडविया ने जोर देते हुए कहा, “स्वास्थ्य सेवा केवल एक क्षेत्र नहीं है, बल्कि एक मिशन भी है और यह प्रत्येक नागरिक को उच्चतम गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने के लिए भारत की प्रतिबद्धता के अनुरूप है। हमारा फार्मास्युटिकल और चिकित्सा उपकरण उद्योग इस मिशन में एक महत्वपूर्ण भागीदार बन गया है।”
इंडोनेशिया गणराज्य के स्वास्थ्य मंत्री श्री बुदी जी सादिकिन और नीदरलैंड के मंत्री डॉ. अर्न्स्ट कुइपर्स ने अपने संबोधन में स्वास्थ्य और औषधि विज्ञान में भारत की सफलता पर प्रकाश डालते हुए देशों के बीच सहयोग करने की जरूरत पर जोर दिया। डॉ कुइपर्स ने कहा कि भारत में निर्मित दवाइयां नीदरलैंड, यूरोप और पूरे विश्व में लोगों का जीवन बचाती हैं। मैं भारत के साथ गहन सहयोग की आशा करता हूं। नवाचारी दवाइयों में भागीदारी करने के व्यापक अवसर मौजूद हैं। भारत के पास जन-औषधि और विशिष्ट दवाओं की व्यापक क्षमता और ज्ञान के साथ हम भारत के साथ अधिक एकीकृत सहयोग की उम्मीद करते हैं।
डॉ. मांडविया और इंडोनेशिया के स्वास्थ्य मंत्री के मध्य आज एक सफल द्विपक्षीय बैठक का आयोजन हुआ। उन्होंने स्वास्थ्य क्षेत्र में सहयोग और साझेदारी के विभिन्न मुद्दों के बारे में चर्चा की।
इस कार्यक्रम में रसायन और उर्वरक मंत्रालय के फार्मास्यूटिकल्स विभाग की सचिव सुश्री एस अपर्णा ने इस बात पर प्रकाश डाला कि इस तरह का मंच उद्योग और पूरी दुनिया की सरकारों को एक-दूसरे से सीखने और सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज के साथ साझे लक्ष्य की दिशा में एक-दूसरे का समर्थन करने का अवसर प्रदान करता है।
उन्होंने कोविड-19 महामारी से सीखे गए सबक पर जोर देते हुए कहा कि इस महामारी ने हमें सिखाया है कि स्वास्थ्य की आपात स्थितियों की प्रतिक्रिया इच्छानुसार नहीं की जा सकती, क्योंकि उन्हें दीर्घकालिक विकास और निवेश की आवश्यकता होती है।
डॉ. मांडविया ने अपने नागरिकों को सुलभ, किफायती और गुणवत्तायुक्त दवाइयां उपलब्ध कराने में भारत की सफलता को साझा करते हुए इंडोनेशिया के स्वास्थ्य मंत्री, श्री बुदी जी सादिकिन सहित जी20 प्रतिनिधियों और मंत्रियों के एक प्रतिनिधिमंडल का जन औषधि केंद्र के दौरे के लिए नेतृत्व किया। इस दौरे के बाद श्री बुदी गुनादी सादिकिन ने कहा कि मैं इंडोनेशिया में अपने लोगों को कुछ अच्छी दवाइयां देना चाहता हूं। मैंने विभिन्न देशों के कई मॉडल देखे हैं और भारत का जन औषधि केंद्र मॉडल लोगों को गुणवत्तायुक्त, सहज और सुगम तथा किफायती दवाइयां उपलब्ध कराने के मामले में दुनिया में सबसे अच्छा है।
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