नई दिल्ली : राष्ट्रपति ने 25 दिसंबर, 2023 को “भारतीय न्याय संहिता 2023”, “भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023” और “भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023” को स्वीकृति दी। जैसा कि अधिसूचित किया गया है, ये नए आपराधिक कानून 1 जुलाई, 2024 से प्रभावी होंगे। पीआईबी द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार (According to the press release issued by PIB)
पिछले दो महीनों में, विधि और न्याय मंत्रालय के विधिक मामलों के विभाग ने इन नए कानूनों के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए नई दिल्ली और गुवाहाटी में, विशेष रूप से हितधारकों, कानून से जुड़े व्यक्तियों, कानून प्रवर्तन एजेंसियों, अभियोजकों, जिला प्रशासन के अधिकारियों, शिक्षाविदों और कानून के छात्रों के अतिरिक्त नागरिकों के बीच दो बड़े सम्मेलन आयोजित किए हैं।
इस प्रयास को जारी रखते हुए, मंत्रालय ने जून 2024 के दौरान कोलकाता, चेन्नई और मुंबई में तीन और इसी तरह के सम्मेलन आयोजित करने का प्रस्ताव रखा है। कोलकाता में सम्मेलन- ‘आपराधिक न्याय प्रणाली प्रदान करने में भारत का प्रगतिशील मार्ग’ पर सम्मेलनों की श्रृंखला में तीसरा – कल कोलकाता के आईटीसी रॉयल बंगाल के हल्डेन एवेन्यू में आयोजित किया जाएगा। कलकत्ता उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश माननीय न्यायमूर्ति टी.एस. शिवगनम मुख्य अतिथि के रूप में सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में शामिल होंगे। भारत सरकार के विधि एवं न्याय मंत्रालय के माननीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) माननीय श्री अर्जुन राम मेघवाल भी इस अवसर पर संबोधित करेंगे।
इस सम्मेलन का उद्देश्य सार्थक परस्पर बातचीत, विचार-विमर्श और प्रश्नोत्तर सत्रों के माध्यम से तीन नए आपराधिक कानूनों की मुख्य विशेषताओं को सामने लाना है। सम्मेलन में पश्चिम बंगाल, ओडिशा, बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड और केंद्र शासित प्रदेश अंडमान एवं निकोबार द्वीप के विभिन्न उच्च न्यायालयों, जिला एवं निचली अदालतों के माननीय न्यायाधीश और पूर्व न्यायाधीश, अधिवक्ता, शिक्षाविद, पुलिस अधिकारियों जैसे कानून प्रवर्तन एजेंसियों के प्रतिनिधि शामिल होंगे। सम्मेलन में अन्य जांच एजेंसियों के अधिकारियों के अलावा सरकारी वकील, जिला प्रशासन, राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालयों और अन्य विधि महाविद्यालयों के विधि छात्र भी भाग लेंगे। उद्घाटन सत्र में तीनों नए आपराधिक कानूनों के व्यापक उद्देश्यों पर प्रकाश डाला जाएगा, जो भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली की संरचना को फिर से परिभाषित करेगा और नागरिकों के जीवन को गहराई से प्रभावित करेगा। उद्घाटन सत्र में विचार-विमर्शों के अलावा, प्रत्येक नए कानून पर तीन तकनीकी सत्र होंगे, जैसा कि नीचे विस्तार से बताया गया है:
तकनीकी सत्र-I में भारतीय न्याय संहिता, 2023 (बीएनएस) के कार्यान्वयन का आकलन करने के लिए तुलनात्मक दृष्टिकोण अपनाने पर केंद्रित गहन चर्चा होगी। कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश माननीय न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची सत्र की अध्यक्षता करेंगे। सत्र के अन्य पैनलिस्टों में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल श्री शशि प्रकाश सिंह, नई दिल्ली के भारतीय विधि संस्थान के प्रोफेसर अनुराग दीप, कोलकाता के डब्ल्यूबीएनयूजेएस के सहायक प्रोफेसर श्री फैसल फसीह और गांधीनगर के राष्ट्रीय फोरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय के सहायक प्रोफेसर डॉ. बिस्वा कल्याण दाश शामिल हैं। सत्र का संचालन दिल्ली विश्वविद्यालय के विधि संकाय की प्रोफेसर वागेश्वरी देसवाल द्वारा किया जाएगा।
तकनीकी सत्र-II में भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 (बीएसए) के मुख्य पहलुओं अर्थात साक्ष्य पर, जो दोषसिद्धि में आधारशिला है, पर चर्चा की जाएगी। चर्चाएँ “दस्तावेजों” और “साक्ष्यों” के व्यापक दायरे पर केंद्रित होंगी, जिसे व्यापक परिभाषाओं के परिचय द्वारा सुगम बनाया जाएगा। इस सत्र की अध्यक्षता कलकत्ता उच्च न्यायालय की न्यायाधीश माननीय न्यायमूर्ति अनन्या बंदोपाध्याय करेंगी। अन्य पैनलिस्ट हैं प्रवर्तन निदेशालय में विशेष लोक अभियोजक और अधिवक्ता श्री जोहेब हुसैन, दिल्ली उच्च न्यायालय में विशेष लोक अभियोजक और अधिवक्ता श्री अमित प्रसाद, कोलकाता के डब्ल्यूबीएनयूजेएस में सहायक प्रोफेसर डॉ. सरफराज अहमद खान और गांधीनगर के राष्ट्रीय फोरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय के सहायक प्रोफेसर डॉ. शुभम पांडे। इस सत्र का संचालन लखनऊ के डॉ. राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय (आरएमएनएलयू) के प्रोफेसर डॉ. के.ए. पांडे करेंगे।
तकनीकी सत्र-III में पुलिस अधिकारियों द्वारा अपराध की जांच और आईसीटी उपकरणों के समावेश पर भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (बीएनएसएस) द्वारा शुरू किए गए प्रक्रियात्मक परिवर्तनों के प्रभावों पर चर्चा की जाएगी, जिसका न्यायपालिका और कानून प्रवर्तन एजेंसियों के कामकाज पर व्यावहारिक प्रभाव पड़ता है। सत्र की अध्यक्षता कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति तीर्थंकर घोष करेंगे। अन्य पैनलिस्ट हैं, भारत के सर्वोच्च न्यायालय के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल श्री विक्रमजीत बनर्जी, मद्रास उच्च न्यायालय के अधिवक्ता श्री ई. चंद्रशेखरन और दिल्ली में राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसर सहायक प्रोफेसर डॉ. नीरज तिवारी। सत्र का संचालन नई दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के विधि संकाय के प्रोफेसर मोहम्मद असद मलिक करेंगे।
तकनीकी सत्रों के बाद समापन सत्र होगा। पश्चिम बंगाल के राज्यपाल डॉ. सी.वी. आनंद बोस मुख्य अतिथि के रूप में समापन सत्र में भाग लेंगे। अन्य अतिथियों में झारखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश (कार्यवाहक) न्यायमूर्ति श्री चंद्रशेखर और कोलकाता के डब्ल्यूबीएनयूजेएस के कुलपति प्रो. (डॉ.) एन.के. चक्रवर्ती शामिल होंगे।
हाल के वर्षों में, भारत सरकार ने पुरातन-औपनिवेशिक युग के कानूनों को निरस्त करने और ऐसे कानून लाने के लिए कई पहल की हैं जो नागरिक-केंद्रित हैं और एक जीवंत लोकतंत्र की आवश्यकताओं को पूरा करते हैं।
“भारतीय न्याय संहिता 2023”, “भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023”, और “भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023” पहले के आपराधिक कानूनों अर्थात् भारतीय दंड संहिता (1860 का 45), दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 (1974 का 2), और भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 (1872 का 1) की जगह लेंगे जो कई दशकों से चल रहे थे।
यह सम्मेलन हितधारकों और नागरिकों के बीच जागरूकता पैदा करने के द्वारा निर्बाध तरीके से तीनों आपराधिक कानूनों को समझने और उनका कार्यान्वयन करने में योगदान देगा।