नई दिल्ली : संस्कृति मंत्रालय (स्पेशल सेल), भारत सरकार हार्टफुलनेस के सहयोग से हैदराबाद के बाहरी इलाके में स्थित कान्हा शांति वनम, हार्टफुलनेस मुख्यालय में 14 से 17 मार्च तक वैश्विक आध्यात्मिक महोत्सव नामक एक आध्यात्मिक सभा का आयोजन करने जा रहा है। पीआईबी द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार (According to the press release issued by PIB) यह आयोजन सभी धर्मों और विश्वासों के आध्यात्मिक नेताओं को विश्व के सबसे बड़े ध्यान केंद्र में एक साथ लेकर आएगा। आज हैदराबाद में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में मुख्य अतिथि, उत्तर पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्रालय, पर्यटन और संस्कृति मंत्री श्री जी किशन रेड्डी, श्री चिन्ना जीयर स्वामी जी – श्री वैष्णववाद, श्री बोधमयानंद – विवेकानन्द इंस्टीट्यूट ऑफ ह्यूमन एक्सीलेंस के निदेशक और रेव दाजी – हार्टफुलनेस के मार्गदर्शक और श्री राम चंद्र मिशन के अध्यक्ष ने आगामी वैश्विक आध्यात्मिकता महोत्सव और इसके महत्व की घोषणा की।
राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु और उपराष्ट्रपति, श्री जगदीप धनखड़, क्रमशः 15 और 16 मार्च को इस शिखर सम्मेलन की शोभा बढ़ाएंगे। संस्कृति मंत्रालय और हार्टफुलनेस द्वारा आयोजित किए जा रहे चार दिवसीय आध्यात्मिकता शिखर सम्मेलन का विषय “विश्व शांति के लिए आंतरिक शांति” है। सम्मेलन का उद्देश्य अंतर्धार्मिक संवाद स्थापित करना और सभी उम्र के लोगों और जीवन के सभी क्षेत्र के लोगों को दैनिक जीवन में आध्यात्मिकता से जुड़ने में सहायता प्रदान करना है।
केंद्रीय मंत्री श्री जी किशन रेड्डी ने कहा कि “भारत संस्कृति, आध्यात्मिकता और जीवन के एक रूप का प्रदर्शन करता है जिससे पूरा विश्व प्रेरित होता है। हम अपने आध्यात्मिक ज्ञान के माध्यम से विश्व में एक उदाहरण प्रस्तुत कर रहे हैं और विश्व की आध्यात्मिक राजधानी बन चुके हैं। हमारा देश कई धर्मों की जन्मस्थली है जो हमारे जीवन में शांति और प्रकाश फैलाते हैं। हमारा दार्शनिक दृष्टिकोण बहुत अनूठा है। पूरा विश्व योग एवं ध्यान के माध्यम से शारीरिक एवं मानसिक कल्याण के लिए भारत की ओर देख रहा है। विश्व के करोड़ों लोग पुराणों, उपनिषदों और वेदों को सीखने, हमारी संस्कृति एवं जीवन शैली को समझने तथा प्रेरणा एवं आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए भारत देश के महान पुरुषों और महिलाओं से प्रेरणा लेने के लिए भारत पहुंच रहे हैं। भारत में आध्यात्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिल रहा है।”
एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए, श्री रेड्डी ने कहा कि “वैश्विक आध्यात्मिक महोत्सव, जिसका आयोजन रेव दाजी के मार्गदर्शन में विश्व के सबसे बड़े ध्यान केंद्र में किया जाएगा, इसमें आध्यात्मिक गुरु विश्व शांति के लिए एक मंच पर आ रहे हैं – संस्कृति मंत्रालय का लक्ष्य है कि आध्यात्मिक गुरुओं के मार्गदर्शन में विश्व शांति के लिए सभी धर्मों के सार को एक साथ लाया जाए। इसलिए भारत सरकार और प्रधानमंत्री मोदी जी ने इस सम्मेलन को समर्थन प्रदान करने का निर्णय लिया है। अगले कुछ वर्षों में (भारत की स्वतंत्रता के शताब्दी वर्ष 2047 तक) हमें सभी धार्मिक प्रमुखों सहित विश्व के सभी लोगों के बीच प्रेम, शांति और एकजुटता लाने की आवश्यकता है। जी-20 शिखर सम्मेलन में हमने वसुधैव कुटुम्बकम का आह्वान किया था। आगामी सम्मेलन भी उसी विषयवस्तु पर आधारित है, जिसका उद्देश्य सभी वर्गों, जातियों और धर्मों के बीच एकजुटता स्थापित करना और सभी देशों को आध्यात्मिक रूप से एक साथ लाना और कान्हा शांति वनम के माध्यम से प्रत्येक व्यक्ति तक पहुंचना है।”
इसमें 100,000 से ज्यादा प्रतिभागियों के शामिल होने की उम्मीद है। शिखर सम्मेलन में विभिन्न पैनल चर्चाओं, आध्यात्मिकता से जुड़े सांस्कृतिक कार्यक्रमों, भारत के आध्यात्मिक इतिहास, शांति के आख्यानों को प्रदर्शित करने वाली प्रदर्शनी और पुस्तकों एवं संगीत के माध्यम से आध्यात्मिकता के लिए एक व्यापक अनुभव प्रदान किया जाएगा। उन लोगों के लिए पंचकर्म केंद्र भी स्थापित किए जाएंगे जो कल्याण एवं चिकित्सा सत्रों का लाभ उठाना चाहते हैं। वैश्विक अध्यात्म महोत्सव में शामिल होने के लिए लोगों को संवेदनशील बनाने में फिल्म, संगीत और खेल जगत के प्रख्यात लोगों की भूमिका आमंत्रित की जा रही है और प्रतिभागियों के लिए विस्तृत व्यवस्थाओं पर भी चर्चा की जा रही है।
वैश्विक अध्यात्म महोत्सव में शामिल होने वाले कुछ संगठन एक साथ आ रहे हैं जिनमें रामकृष्ण मिशन, परमार्थ निकेतन, द आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन, माता अमृतानंदमयी मठ, हैदराबाद के आर्कबिशप, रेव कार्डिनल एंथोनी पूला, चिन्ना जियार स्वामी, ब्रह्माकुमारी, पतंजलि योगपीठ, महर्षि फाउंडेशन (ट्रान्सेंडैंटल मेडिटेशन), ईशा फाउंडेशन, अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ (आईबीसी), शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति, हैदराबाद महाधर्मप्रांत, राष्ट्र संत तुकडोजी महाराज, अखिल भारतीय श्री गुरुदेव सेवा मंडल, संत ज्ञानेश्वर देवस्थान, अलंदी, अखिल भारतीय इमाम संगठन, श्रीमद राजचंद्र मिशन धर्मपुरी और श्री राम चंद्र मिशन/हर्टफुलन्स आदि शामिल हैं।
वैष्णव धर्म के गुरु श्री चिन्ना जीयर स्वामी जी ने कहा, “हमारे संस्कृति मंत्रालय और विशेष रूप से श्रीमान् जी कृष्ण रेड्डी गारू, जिन्होंने इस कार्यक्रम के आयोजन की पहल की, वे सभी धार्मिक और आध्यात्मिक नेताओं को एक साथ लाने और बड़े पैमाने पर कान्हा शांति वनम में इस आयोजन की व्यवस्था करने में अपना महान योगदान दिया है। प्रत्येक धर्म का उद्देश्य लोगों को एकजुट करना है, लेकिन प्रत्येक धर्म में कुछ ऐसे विषय हैं जो अपने आप में अद्वितीय हैं और सभी के लिए सामान्य हैं – जैसे अच्छा भोजन, पानी और हवा। ये आत्मा की शांति के लिए हैं और सभी लोगों के लिए सामान्य है जिन्हें प्राप्त करने और अभ्यास करने की आवश्यकता है। जैसा कि हमारे पास पांच उंगलियां हैं और प्रत्येक उंगली अपने आप में अद्वितीय है लेकिन सभी को एक साथ काम करना चाहिए। कान्हा की चार दिवसीय चर्चा और विचार, एक साथ काम करने के लिए कार्य योजना बनाने में मदद करेंगे। हमें भारत की आजादी के शताब्दी समारोह के लिए एक मजबूत आधार बनना चाहिए।”