नई दिल्ली : केन्द्रीय पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्रालय में सचिव टी के रामचंद्रन ने पारादीप पत्तन प्राधिकरण (पीपीए) का अपना पहला दौरा किया। अपने इस दौरे के दौरान उन्होंने 13 करोड़ रुपये से अधिक लागत वाली कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया।
उन्होंने पारादीप पत्तन अस्पताल के नवनिर्मित एनेक्सी भवन में ट्रॉमा और बर्न केयर (टीबीसी) केन्द्र का उद्घाटन किया। लगभग 2.90 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित यह केंद्र पारादीप और उसके आसपास के क्षेत्र के ट्रॉमा और बर्न पीड़ितों को उपचारात्मक और पुनर्वास सेवाएं प्रदान करेगा।
सचिव श्री रामचंद्रन ने पीपीए के जल उपचार संयंत्र की आधारशिला रखी। लगभग 10.50 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित इस परियोजना को तलदंडा नहर के माध्यम से कच्चा पानी मिलेगा और इसकी क्षमता प्रतिदिन 16 मिलियन लीटर पानी को साफ करने की होगी। इस संयंत्र की दिसंबर 2024 तक पूरा होने की उम्मीद है, जिससे पारादीप पत्तन के जल ढांचे में सुधार होगा और पोर्ट टाउनशिप के नागरिकों को गुणवत्तापूर्ण पेयजल की आपूर्ति होगी।
श्री रामचंद्रन ने पीपीए के कामकाज की समीक्षा की और विभागाध्यक्षों तथा उपविभागाध्यक्षों के साथ बातचीत की। उन्होंने मैकेनाइज्ड कोल हैंडलिंग प्लांट, जेएसडब्ल्यूपीटीपीएल में ट्विन वैगन टिपलर और केआईसीटी साइलो में पत्तन संचालन, योजना और विस्तार का निरीक्षण और समीक्षा भी की। उन्होंने उत्पादकता बढ़ाने के लिए प्रणाली सुधार उपायों के बारे में सुझाव दिया।
सचिव ने पत्तन संचालन के समग्र कार्य प्रदर्शन को बेहतर बनाने के उद्देश्य से कई उपाय सुझाए। इन सुझावों से क्षमता में वृद्धि और कार्यप्रवाह सुव्यवस्थित होने की उम्मीद है। इनसे पारादीप पत्तन के दीर्घकालिक विकास और सफलता में योगदान मिलेगा।
उल्लेखनीय है कि ओडिशा का पारादीप पत्तन देश का सबसे अधिक कार्गो हैंडलिंग करने वाला प्रमुख बंदरगाह है। वित्तीय वर्ष 2023-24 में पीपीए 145.38 मिलियन मीट्रिक टन (एमएमटी) कार्गो थ्रूपुट का रखरखाव करके सबसे अधिक कार्गो हैंडलिंग करने वाला बंदरगाह बन गया है।
विज़न 2047 के तहत लक्ष्य इस पत्तन की हैंडलिंग क्षमता को 10,000 एमटीपीए तक बढ़ाना है। योजना की रूपरेखा जल्द ही स्पष्ट की जाएगी। निजी भागीदारी के लिए रास्ते तलाशे जाएंगे, जिन पर काम किया जा रहा है। सभी पत्तन 2047 तक मेगा पोर्ट बनने के लिए मास्टर प्लान तैयार कर रहे हैं। पत्तन के बुनियादी ढांचे और सुविधाओं को बेहतर बनाना, टर्नअराउंड समय को कम करना और हैंडलिंग क्षमता बढ़ाना 2047 के लक्ष्य का आधार होगा।
नवीनतम लक्ष्य, वर्तमान सागरमाला कार्यक्रम के तहत निर्धारित लक्ष्यों से काफी ऊंचा है। यह लक्ष्य 2035 तक बंदरगाह क्षमता को 800 एमएमटीपीए से बढ़ाकर कुल 3,500 एमएमटीपीए करना है।
सागरमाला कार्यक्रम के एक हिस्से के रूप में, 2015-2035 के दौरान कार्यान्वयन के लिए 5.5 लाख करोड़ रुपये की अनुमानित लागत वाली 800 से अधिक परियोजनाओं की पहचान की गई है। एक निकट लक्ष्य में, मैरीटाइम इंडिया विजन (एमआईवी) 2030 का लक्ष्य भारत में वैश्विक मानक पत्तनों का विकास करना है। एमआईवी 2030 में भारतीय पत्तनों पर क्षमता वृद्धि और बुनियादी ढांचे के विकास के लिए 1 से 1.25 लाख करोड़ रुपये के निवेश का अनुमान है।