नई दिल्ली : राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन की परिकल्पना के अनुरूप नवीकरणीय ऊर्जा को अपनाने और हरित हाइड्रोजन के उपयोग को बढ़ावा देने की दिशा में सरकार के प्रयासों को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय चौबीसों घंटे बिजली प्रदान करने को लेकर हरित हाइड्रोजन के उपयोग को बढ़ावा देने के उपायों पर काम कर रहा है। पीआईबी द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार
केंद्रीय ऊर्जा और नवीन व नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री श्री आरके सिंह ने नई दिल्ली में 6 फरवरी, 2024 को चौबीसों घंटे नवीनकरणीय ऊर्जा के लिए सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा जैसे अन्य साधनों के साथ हरित हाइड्रोजन के उपयोग के संबंध में एक बैठक की अध्यक्षता की। इस बैठक में नवीन व नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय, विद्युत मंत्रालय, एनटीपीसी, केंद्रीय विद्युत आयोग और भारतीय सौर ऊर्जा निगम के अधिकारी उपस्थित थे।
इन अधिकारियों ने चौबीसों घंटे बिजली देने और बिजली की अधिक मांग के दौरान इसकी उपलब्धता को लेकर सहायता करने के लिए एक भंडारण माध्यम के रूप में हरित हाइड्रोजन का उपयोग करने के विभिन्न संभावित विकल्पों पर विस्तृत चर्चा की। इस बैठक में ऐसी परियोजनाओं के लिए सरकारी सहायता प्रदान करने के विभिन्न प्रणालियों पर भी चर्चा हुई। इसके तहत जिन नीतिगत प्रणालियों पर विचार किया जा रहा है, उनमें अंतर के लिए अनुबंध (कॉन्ट्रैक्ट फॉर डिफरेंस- सीएफडी) पद्धति पर आधारित एक तंत्र शामिल है। यह बाजार मूल्य और सहमत “स्ट्राइक कीमत (वह मूल्य जिस पर विकल्प अनुबंध का उपयोग किया जाता है)” के बीच अंतर पर आधारित है।
केंद्रीय ऊर्जा व नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री ने अधिकारियों को हरित हाइड्रोजन और विद्युत क्षेत्र के अर्थशास्त्र, प्रौद्योगिकियों और वर्तमान व भविष्य की बाजार स्थितियों के आधार पर योजना दिशानिर्देशों का प्रारूप तैयार करने का निर्देश दिया। मंत्री ने बिजली की बढ़ती मांग और नवीकरणीय ऊर्जा की लागत को कम करने व इसकी कीमत कम करने में चौबीसों घंटे नवीकरणीय ऊर्जा की उपलब्धता के महत्व को रेखांकित किया।
मंत्री ने आगे कहा कि इस तरह की पहली परियोजना से प्राप्त सीख का उपयोग भविष्य में बड़ी परियोजनाएं शुरू करने के लिए किया जाएगा।