नई दिल्ली : राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने आज विज्ञान भवन, नई दिल्ली (New Delhi) में अपने 31वें स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में वरिष्ठ नागरिकों के अधिकारों पर एक समारोह और राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया। आयोग की स्थापना 12 अक्टूबर 1993 को हुई थी। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ (Vice President Jagdeep Dhankhar) ने मुख्य अतिथि के रुप में कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि भारत का मानवाधिकार रिकॉर्ड अद्वितीय है। जब मानवाधिकारों, विशेषकर अल्पसंख्यकों, वंचित और समाज के कमजोर वर्गों के संरक्षण की बात आती है तो भारत अन्य देशों से बहुत आगे है।
छिटपुट घटनाएं भारत और उसके मानवाधिकार रिकॉर्ड को परिभाषित नहीं कर सकती
छिटपुट घटनाएं भारत और उसके मानवाधिकार रिकॉर्ड को परिभाषित नहीं कर सकती हैं। उन्होंने दूसरों पर शक्ति का प्रयोग करने के लिए विदेश नीति के एक माध्यम के रूप में मानवाधिकारों का दुरुपयोग करने की कुछ संस्थाओं की प्रवृत्ति की आलोचना की। उपराष्ट्रपति ने मानवाधिकारों के एक सभ्यतागत संरक्षक के रूप में भारत की असाधारण भूमिका पर प्रकाश डाला, जबकि दुनिया के अन्य हिस्सों में मानवाधिकारों के उल्लंघन पर वैश्विक चुप्पी पर चिंता व्यक्त की।
देश के हर नागरिक को मानवाधिकारों का समर्थक बनना होगा
धनखड़ ने कहा कि देश के हर नागरिक को मानवाधिकारों का समर्थक बनना होगा और यह सुनिश्चित करना होगा कि कोई भी व्यक्ति उनके साथ वित्तीय रूप से छेड़छाड़ न करे। राष्ट्रीय हित को राजनीतिक चश्मे से नहीं बल्कि पक्षपातपूर्ण तरीके से देखा जाना चाहिए। उन्होंने भारत के मानवाधिकार रिकॉर्ड को घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गलत तरीके से बदनाम करने की कोशिश कर रही घातक ताकतों के खिलाफ भी आगाह किया। उन्होंने कहा कि भारतीय धर्मग्रंथ मानव जीवन शैली के घोषणापत्र हैं- मानव जीवन पर ज्ञान का भंडार।
भारत कोविड-19 महामारी के समय से ही मुफ्त राशन दे रहा है
उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत कोविड-19 महामारी के समय से ही 850 मिलियन से अधिक लोगों को रंग, जाति और वर्ग के भेदभाव के बिना मुफ्त राशन दे रहा है। जो लोग भारत की भुखमरी की स्थिति की बात करते हैं, उन्हें स्वयं पर विचार करने की जरूरत है। देश में कानून के समक्ष समानता का प्रदर्शन किया गया है। विश्व को इसके बारे में जानने की जरूरत है और यह भी कि किस तरह लाभार्थियों के खाते में सीधे लाभ हस्तांतरण ने भारत में भ्रष्टाचार को अप्रभावी कर दिया है।
धनखड़ ने भारत में गैर-भेदभावपूर्ण विकास के परिवर्तनकारी दशक पर प्रकाश डाला, जिसने वर्ग, जाति, जनसांख्यिकी से परे समाज के हर वर्ग के जीवन की गुणवत्ता में सुधार किया। उन्होंने कहा कि पिछले दशक में भारत की आर्थिक वृद्धि तीव्र, वृद्धिशील, अजेय रही है और यह पिरामिडनुमा नहीं है। इसका लाभ सभी को मिल रहा है। किफायती आवास, गैस कनेक्शन, पेयजल, इंटरनेट संपर्कता, सड़क संपर्क, और यह गैर-भेदभावपूर्ण प्रगति है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कोई भी विकास परियोजना कभी भी उन परिस्थितियों से निर्धारित नहीं होती है जो मानवाधिकारों के अंतिम उद्देश्य की सेवा करती हैं।
इससे पहले, एनएचआरसी की कार्यवाहक अध्यक्ष श्रीमती विजया भारती सयानी ने कहा कि आयोग मानवाधिकारों के बारे में जागरूकता बढ़ाकर और ट्रांसजेंडर व्यक्तियों सहित वंचित लोगों के सशक्तिकरण को प्रोत्साहन देकर सभी के लिए सम्मान, स्वतंत्रता और कल्याण सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह उन्हें अपने अधिकारों का दावा करने और राष्ट्रीय प्रगति में योगदान देने में सहायता करता है। यह पर्यावरण अधिकारों की आवश्यकता पर भी जोर देता है, प्रदूषण के लिए दीर्घकालीन प्रथाओं और जवाबदेही का आग्रह करता है। इसके स्थापना दिवस और उपलब्धियों का उत्सव मनाते हुए, हमें कमजोर समूहों के उत्थान के लिए प्रतिबद्ध रहने, उनकी अनूठी स्थितियों के प्रति करुणा के साथ उनके मानवाधिकारों को प्राथमिकता देने की याद दिलाता है।
उन्होंने कहा कि एक राष्ट्र के रूप में भारत की प्रगति मानव अधिकारों के प्रति उसकी प्रतिबद्धता से बहुत करीब से जुड़ी हुई है, जो हमारी सभ्यता में गहराई से समाहित है और हमारे संविधान में निहित है। व्यक्तिगत गरिमा का सम्मान भारतीय लोकाचार का केंद्र है, जो वेदों और गीता जैसे प्राचीन ग्रंथों में निहित है। मानवता के छठे हिस्से के घर के रूप में, भारत व्यक्तिगत गरिमा और स्वतंत्रता को प्रोत्साहन देने में विश्व के लिए एक आदर्श बन रहा है। हमारी समृद्ध सांस्कृतिक ताने-बाने विविधता में हमारी शक्ति को प्रदर्शित करती है।
एनएचआरसी की कार्यवाहक अध्यक्ष ने कहा कि अपने पूरे इतिहास में एनएचआरसी ने अहम मामलों को संबोधित किया है और देश में मानवाधिकार बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण अनुशंसा की हैं। आयोग मानवाधिकार उल्लंघन के व्यापक दायरे को संबोधित करता है, जिसमें हिरासत में मौतें, बंधुआ मजदूरी, वंचित समूहों का शोषण और चिकित्सा देखभाल से इनकार सम्मिलित है। इसने प्रणालीगत कानून प्रवर्तन मुद्दों को उजागर किया है, हिरासत में हिंसा के मामलों से निपटने के दौरान आवश्यक पुलिस सुधारों का समर्थन किया है।
उन्होंने कहा कि आयोग ने पश्चिम बंगाल के संदेशखली में महिलाओं के खिलाफ उत्पीड़न और यौन उत्पीड़न की गंभीर रिपोर्ट पर कार्रवाई की। एनएचआरसी द्वारा मौके पर की गई जांच में डर और धमकी का माहौल सामने आया, जिसने पीड़ितों द्वारा न्याय मांगने में बाधा उत्पन्न की।
श्रीमती विजया भारती सयानी ने कहा कि एनएचआरसी ने शिकायतों के समाधान के साथ-साथ स्वतंत्र जांच भी की। आयोग ने गत वर्ष 30 मामलों में मानवाधिकार उल्लंघन की जांच की। इसने मौके पर जाकर जेलों, स्कूलों और स्वास्थ्य केंद्रों जैसी सुविधाओं का भी निरीक्षण किया। इन प्रयासों से सरकारी कार्यक्रमों के क्रियान्वयन की निगरानी करने और सुधार के क्षेत्रों की पहचान करने में सहायता मिलती है। आयोग की निगरानी बढ़ाने के लिए, इसके विशेष प्रतिवेदक और मॉनिटर पुलिस सुधार, बच्चों के अधिकार और स्वास्थ्य जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करते हैं।
एनएचआरसी महासचिव श्री भरत लाल ने अपने स्वागत भाषण में कहा कि आयोग सभी के लिए सम्मान और गरिमा की संस्कृति को प्रोत्साहन देता है। आयोग के व्यापक कार्यक्षेत्र की झलक देते हुए उन्होंने कहा कि पिछले एक साल में 68 हजार से अधिक शिकायतें पंजीकृत की गईं और लगभग 70 हजार का समाधान किया गया तथा पीड़ितों और उनके परिजनों को 17 करोड़ से अधिक की राशि प्रदान की गई।
श्री लाल ने कहा कि एनएचआरसी के राष्ट्रीय परामर्श, कोर ग्रुप मीटिंग और ओपन हाउस चर्चाएँ एक और प्रणाली है जिसके द्वारा यह सरकारी अधिकारियों, गैर सरकारी संगठनों और सीएसओ के सदस्यों, मानवाधिकार रक्षकों और विषय वस्तु विशेषज्ञों जैसे हितधारकों के साथ जुड़ता है। कार्यस्थलों पर महिलाओं के सामने आने वाली चुनौतियों को उजागर करने के लिए, आयोग ने कार्यस्थल और सार्वजनिक स्थानों पर महिलाओं की सुरक्षा पर एक राष्ट्रीय संगोष्ठी भी आयोजित की, जिसमें प्रमुख हितधारकों ने भाग लिया। आयोग ने भिक्षा मांगने में लगे व्यक्तियों की सुरक्षा और पुनर्वास, विधवाओं के अधिकारों के लिए, और बाल यौन शोषण सामग्री (सीएसएएम) के खिलाफ बच्चों के अधिकार संबंध में गत एक वर्ष में कुछ नवीनतम सलाह जारी की।
श्री लाल ने कहा कि एनएचआरसी, भारत अन्य राष्ट्रीय आयोगों, राज्यों में उनके समकक्षों और राज्य मानवाधिकार आयोगों के साथ मिलकर काम करता है। यह विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मंचों पर मानवाधिकार चर्चा को प्रोत्साहन देने में भी अहम भूमिका निभाता है। यह एशिया पैसिफिक फोरम ऑफ ह्यूमन राइट्स का संस्थापक सदस्य है और सीमाओं के परे मानवाधिकारों को प्रोत्साहन देने के लिए अन्य राष्ट्रीय मानवाधिकार संस्थाओं के साथ दक्षिण-दक्षिण संबंध गठित करने में सक्रिय रहा है। आयोग का राष्ट्रमंडल फोरम ऑफ नेशनल ह्यूमन राइट्स इंस्टीट्यूशंस (सीएफएनएचआरआई) और ग्लोबल अलायंस फॉर नेशनल ह्यूमन राइट्स इंस्टीट्यूशंस सहित विभिन्न अन्य अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार मंचों पर भी प्रमुख प्रतिनिधित्व है।
समारोह में राज्य मानवाधिकार आयोगों के सदस्य, न्यायपालिका के सदस्य, राजनयिक, एनएचआरसी के वरिष्ठ अधिकारी, विशेष प्रतिवेदक एवं मॉनिटर, वरिष्ठ सरकारी अधिकारी, नागरिक समाज के प्रतिनिधि, मानवाधिकार रक्षक तथा अन्य राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय गणमान्य व्यक्ति सम्मिलित हुए।