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डॉ. मनसुख मांडविया ने एम्स में एकीकृत स्वास्थ्य अनुसंधान के लिए आयुष-आईसीएमआर उन्नत केंद्र का शुभारंभ किया

"आयुष और आईसीएमआर के बीच रणनीतिक सहयोग का उद्देश्य एकीकृत स्वास्थ्य अनुसंधान को आगे बढ़ाना, पारंपरिक आयुष प्रथाओं को आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के साथ जोड़ना और भारत को समग्र स्वास्थ्य देखभाल नवाचारों में अग्रणी स्थान पर ले जाना है"

Mochan Samachaar Desk by Mochan Samachaar Desk
04/03/2024
in देश
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डॉ. मनसुख मांडविया ने एम्स में एकीकृत स्वास्थ्य अनुसंधान के लिए आयुष-आईसीएमआर उन्नत केंद्र का शुभारंभ किया
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नई दिल्ली : केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने आज यहां एम्स में एकीकृत स्वास्थ्य अनुसंधान के लिए आयुष-आईसीएमआर उन्नत केंद्र का शुभारंभ किया। पीआईबी द्वारा जारी प्रेस व‍िज्ञप्‍त‍ि के अनुसार (According to the press release issued by PIB) उन्होंने स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय और आयुष मंत्रालय के बीच अन्य बड़ी संयुक्त पहल की भी घोषणा की जिसमें एनीमिया पर बहुकेंद्रीय नैदानिक ​​परीक्षण और आयुष स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं के लिए भारतीय सार्वजनिक स्वास्थ्य मानकों (आईपीएचएस) का शुभारंभ शामिल है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने इस अवसर पर राष्ट्रीय आयुर्वेद विद्यापीठ के 27वें दीक्षांत समारोह और ‘आयुर्वेदो अमृतनाम’ पर 29वें राष्ट्रीय सेमिनार का भी उद्घाटन किया।

 

इन सहयोगी पहलों की शुभारंभ पर अपनी प्रसन्नता व्यक्त करते हुए, डॉ. मांडविया ने कहा कि, “आयुष में सहयोगात्मक अनुसंधान बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि यह पारंपरिक ज्ञान और आधुनिक वैज्ञानिक अनुसंधान के बीच के अंतर को दूर करता है और स्वास्थ्य देखभाल के लिए एक सहक्रियात्मक दृष्टिकोण को बढ़ावा देता है”। उन्होंने कहा, “आयुर्वेद हमारी संस्कृति, विरासत और परंपरा का एक हिस्सा है। यह आज भी हमारे दैनिक व्यवहार में अपनाया जा रहा है। इस रणनीतिक सहयोग का उद्देश्य एकीकृत स्वास्थ्य अनुसंधान को बढ़ाना, पारंपरिक आयुष प्रथाओं को आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के साथ एकीकृत करना और भारत को समग्र स्वास्थ्य देखभाल नवाचारों में अग्रणी स्थान पर ले जाना है।”

 

 

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने कहा कि सरकार आयुर्वेद और एलोपैथी दोनों विषयों से सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाने के लिए एक एकीकृत दृष्टिकोण का पालन कर रही है, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि “केंद्र सरकार लोगों की जरूरतों के लिए गुणवत्ता-उन्मुख स्वास्थ्य देखभाल प्रदान करने की दिशा में काम कर रही है।” इस दिशा में, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा स्वास्थ्य देखभाल वितरण की गुणवत्ता में सुधार के लिए समान मानकों के एक सेट के रूप में भारतीय सार्वजनिक स्वास्थ्य मानक (आईपीएचएस) प्रकाशित किए गए थे। इन सुधारों को अपनाने से, यह उम्मीद की जाती है कि राज्य/केंद्र शासित प्रदेश निर्धारित मानकों और गुणवत्तापूर्ण बुनियादी ढांचे के साथ आयुष स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं को विकसित करने में सक्षम होंगे, जिससे जनता सभी स्वास्थ्य देखभाल के लिए आयुष चिकित्सा सेवाओं का लाभ उठाने में सक्षम होगी।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने पिछले दशक में उनकी उल्लेखनीय यात्रा के लिए आयुष मंत्रालय को शुभकामनाएं दी, जिसके परिणामस्वरूप उपलब्धियां हासिल हुई हैं। उन्होंने छात्रों से हमारे प्राचीन ग्रंथों से प्रेरणा लेने और उनकी प्रथाओं का गर्व के साथ पालन करने का भी आग्रह किया।

 

 

पृष्ठभूमि:

 5 एकीकृत स्वास्थ्य अनुसंधान के लिए आयुष-आईसीएमआर उन्नत केंद्र:

इंटीग्रेटिव मेडिसिन (आईएम) चिकित्सा देखभाल के लिए एक दृष्टिकोण है जो पारंपरिक/आधुनिक चिकित्सा उपचारों को पूरक और वैकल्पिक चिकित्सा (सीएएम) उपचारों के साथ जोड़ने के लाभ को पहचानता है। इन्हें व्यक्तिगत आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए समग्र स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए सुरक्षित और प्रभावी दिखाया गया है। आईएम उपचार में आने वाली बाधाओं का भी संबोधित करता है और रोगी को उनके शारीरिक, भावनात्मक, मनोवैज्ञानिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य की बेहतर देखभाल के लिए ज्ञान, कौशल और सहायता प्रदान करता है। उपचार को किसी विशिष्ट विशेषज्ञता तक सीमित करने के स्थान पर आईएम पारंपरिक और पूरक/वैकल्पिक चिकित्सा की दुनिया से दृष्टिकोण और उपचार के सबसे सुरक्षित और सबसे प्रभावी संयोजन का उपयोग करता है।

स्वास्थ्य देखभाल परिपेक्ष्य में एक ऐसी एकीकृत स्वास्थ्य देखभाल व्यवस्था की आवश्यकता है जो भविष्य में स्वास्थ्य नीतियों और कार्यक्रमों का मार्गदर्शन कर सके। इससे भारत को लाभ है क्योंकि उसके पास समकालीन चिकित्सा व्यवस्था में सुदृढ़ आधारभूत अवसंरचना और कुशल कार्यबल के साथ-साथ स्वदेशी चिकित्सा ज्ञान की समृद्ध विरासत है। हाल ही में आयुष मंत्रालय और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के बीच अंतर-मंत्रालयी स्तर पर एक समझौता ज्ञापन (एमओए) पर हस्ताक्षर किए गए। इसका उद्देश्य आधुनिक वैज्ञानिक तरीकों का उपयोग करके स्वास्थ्य देखभाल में राष्ट्रीय महत्व के प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में साक्ष्य उत्पन्न करने के लिए एकीकृत स्वास्थ्य पर उच्च प्रभाव अनुसंधान को बढ़ावा देना है। यह एम्स में चरणों में एकीकृत स्वास्थ्य अनुसंधान (एआई-एसीआईएचआर) के लिए आयुष-आईसीएमआर केंद्र स्थापित करने का एक संयुक्त प्रयास है।

 पारंपरिक जैव-चिकित्सा और आधुनिक प्रौद्योगिकी के साथ आयुष प्रणाली को एकीकृत करके एकीकृत स्वास्थ्य अनुसंधान विकसित करने के लिए आयुष-आईसीएमआर उन्नत एकीकृत स्वास्थ्य अनुसंधान केंद्र की स्थापना की जा रही है। इससे निदान, निवारक से संबंधित नवाचारों के माध्यम से बेहतर स्वास्थ्य लाभ के लिए लोगों को स्वास्थ्य संवर्धन के साथ-साथ बेहतर उपचार के माध्यम उपलब्ध कराए जा सकें।

आयुष-आईसीएमआर एकीकृत अनुसंधान केंद्र के उद्देश्य हैं:

• एकीकृत स्वास्थ्य अनुसंधान के लिए चिकित्सा की विभिन्न प्रणालियों के बीच आपसी समन्वय और अनुसंधान वातावरण का उपयोग करना।

• एकीकृत चिकित्सा के दृष्टिकोण की संभावना वाले प्राथमिकता वाले क्षेत्रों की पहचान और सुदृढ़ साक्ष्‍यों के लिए इन प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में एकीकृत अनुसंधान करना।

• उत्पन्न साक्ष्यों के आधार पर पहचानी गई प्राथमिकता वाली बीमारियों में पारंपरिक और आधुनिक चिकित्सा दोनों के इनपुट के साथ एकीकृत प्रबंधन प्रोटोकॉल विकसित करना।

• एकीकृत चिकित्सा दृष्टिकोण को समझाने के लिए जीव विज्ञान से संबद्ध मशीनी अध्ययन करना।

• एकीकृत चिकित्सा दृष्टिकोण का उपयोग करके क्रॉस रेफरल की सुविधा के लिए दिशानिर्देश विकसित करना।

निम्नलिखित चार एम्स हैं जिनमें ये उन्नत केंद्र स्थापित किए जाएंगे

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान दिल्ली:

1. गैस्ट्रो-आंत्र विकारों में एकीकृत स्वास्थ्य अनुसंधान के लिए उन्नत केंद्र

2. महिला एवं बाल स्वास्थ्य में एकीकृत स्वास्थ्य अनुसंधान के लिए उन्नत केंद्र

एम्स जोधपुर: वृद्धावस्था स्वास्थ्य में एकीकृत स्वास्थ्य अनुसंधान के लिए उन्नत केंद्र

एम्स नागपुर: कैंसर देखभाल में एकीकृत स्वास्थ्य अनुसंधान के लिए उन्नत केंद्र

एम्स ऋषिकेश: वृद्धावस्था स्वास्थ्य में एकीकृत स्वास्थ्य अनुसंधान के लिए उन्नत केंद्र

 

एनीमिया पर बहुकेंद्रीय क्लिनिकल परीक्षण की घोषणा:

आयुष मंत्रालय और आईसीएमआर के तहत सीसीआरएएस ने एनीमिया पर एक शोध अध्ययन किया है, जिसका शीर्षक है “प्रजनन आयु वर्ग की गैर-गर्भवती महिलाओं में मध्यम आयरन की कमी वाले एनीमिया के उपचार में आयरन फोलिक एसिड की तुलना में पुनर्नवादि मंडूरा की अकेले और द्रक्षावलेह के साथ संयोजन की प्रभावकारिता और सुरक्षा।” यह अध्ययन 8 अलग-अलग स्थानों एमजीआईएमएस वर्धा, एम्स जोधपुर, एनआईटीएम बेंगलुरु, रिम्स रांची, केईएम हॉस्पिटल रिसर्च सेंटर, एम्स नई दिल्ली, एम्स भोपाल और एम्स बीबीनगर में किया जाएगा।

आयुष स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं के लिए भारतीय सार्वजनिक स्वास्थ्य मानकों का शुभारंभ:

आयुष स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं के लिए भारतीय सार्वजनिक स्वास्थ्य मानकों का उद्देश्य समान मानकों और गुणवत्ता वाले बुनियादी ढांचे, मानव संसाधन, दवाओं आदि को निर्धारित करना है। इन मानकों को अपनाकर, राज्य और केंद्रशासित प्रदेश योग्य आबादी तक गुणवत्तापूर्ण आयुष स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं का विस्तार करने में सक्षम होंगे। मूल उद्देश्य सार्वजनिक स्वास्थ्य क्षेत्र के भीतर निवारक, प्रोत्साहन, उपचारात्मक, उपशामक और पुनर्वास सेवाओं को बढ़ाना है, जिसमें समझौता न करने वाली गुणवत्ता पर जोर दिया गया है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति (एनएचपी) 2017 का एक महत्वपूर्ण सिद्धांत बहुलवाद का समावेश है।

 

राष्ट्रीय आयुर्वेद विद्यापीठ के 27वें दीक्षांत समारोह और ‘आयुर्वेदो अमृतनाम‘ पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन:

  • गुरु शिष्य परंपरा के तहत नामांकित लगभग 201 शिष्यों को राष्ट्रीय आयुर्वेद विद्यापीठ प्रमाणपत्र से सम्मानित किया जाएगा।
  • प्रख्यात वैद्यों को फेलो ऑफ आरएवी (एफआरएवी) पुरस्कार और आयुर्वेद की बेहतरी में उत्कृष्ट योगदान के लिए प्रख्यात वैद्यों को लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार प्रदान किया जाएगा।
  • बैच 2024-25 के लिए नए सीआरएवी छात्रों के लिए शिशोपानन्या संस्कार (स्वागत समारोह)।
  • आयुर्वेद के माध्यम से एक स्वास्थ्य/पोस्ट कोविड स्वास्थ्य प्रबंधन/प्रतिरक्षा के लिए आयुर्वेद “आयुर्वेदो अमृतानम” पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी।

इस अवसर पर आयुष मंत्रालय में सचिव वैद्य राजेश कोटेचा, , स्वास्थ्य मंत्रालय में संयुक्त सचिव श्रीमती अनु नागर, एम्स नई दिल्ली के निदेशक डॉ. एम श्रीनिवास, एम्स जोधपुर के कार्यकारी निदेशक डॉ. गोवर्धन दत्त पुरी, आयुष मंत्रालय के केंद्रीय आयुर्वेदिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (सीसीआरएएस) में महानिदेशक प्रोफेसर रबीनारायण आचार्य, नई दिल्ली के राष्ट्रीय आयुर्वेद विद्यापीठ शासी निकाय के पूर्व अध्यक्ष वैद्य देवेन्द्र त्रिगुणा और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और केंद्रीय आयुष मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

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Tags: Dr. Mansukh Mandaviya launches AYUSH-ICMR Advanced Center for Integrated Health Research at AIIMSmansukh mandaviyamochan samachaarpibडॉ. मनसुख मांडविया ने एम्स में एकीकृत स्वास्थ्य अनुसंधान के लिए आयुष-आईसीएमआर उन्नत केंद्र का शुभारंभ किया
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