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बुद्ध की शिक्षाएं अतीत के स्‍मृति चिन्‍ह नहीं हैं, बल्कि हमारे भविष्य के दिशा-निर्देशक हैं: उपराष्ट्रपति

Mochan Samachaar Desk by Mochan Samachaar Desk
17/01/2024
in देश
Reading Time: 4 mins read
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बुद्ध की शिक्षाएं अतीत के स्‍मृति चिन्‍ह नहीं हैं, बल्कि हमारे भविष्य के दिशा-निर्देशक हैं: उपराष्ट्रपति
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नई दिल्ली : उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने कहा है कि महात्‍मा बुद्ध की शिक्षाएं अतीत के स्‍मृति चिन्‍ह नहीं हैं, बल्कि वे हमारे भविष्य के लिए कम्‍पास की भांति दिशा-निर्देशक हैं।  पीआईबी द्वारा जारी प्रेस व‍िज्ञप्‍त‍ि के अनुसार उन्होंने इस बात पर बल दिया कि गौतम बुद्ध का शांति, सद्भाव और सह-अस्तित्व का संदेश नफरत और आतंक की ताकतों के खिलाफ खड़ा है जिनसे विश्‍व को खतरा हैं।

आज नई दिल्ली में शांति के लिए एशियाई बौद्ध सम्मेलन की 12वीं आम सभा में सभा को संबोधित करते हुए, उपराष्ट्रपति ने टिप्पणी की कि नैतिक अनिश्चितता के युग में, बुद्ध की शिक्षाएं सभी के लिए स्थिरता, सादगी, संयम और श्रद्धा का मार्ग प्रशस्‍त करती हैं। श्री धनखड़ ने कहा कि महात्‍मा बुद्ध के उनके चार आर्य सत्य और अष्टांगिक मार्ग हमें आंतरिक शांति, करुणा और अहिंसा के मार्ग की ओर ले जाते हैं- जो आज के संघर्षों का सामना कर रहे व्यक्तियों और राष्ट्रों के लिए एक परिवर्तनकारी रोडमैप है।

श्री धनखड़ ने सेवा-संचालित शासन के भारत के दृष्टिकोण पर बुद्ध की शिक्षाओं के गहरे प्रभाव के बारे में जानकारी दी। उन्होंने रेखांकित किया कि कैसे ये सिद्धांत नागरिक कल्याण, समावेशिता और पर्यावरणीय स्थिरता को प्राथमिकता देने की देश की प्रतिबद्धता में एक मार्गदर्शक शक्ति के रूप में कार्य करते हैं।

बुद्ध के कालातीत ज्ञान पर चर्चा करते हुए, उपराष्‍ट्रपति ने कहा कि यह न केवल मनुष्यों के लिए बल्कि प्राणियों के लिए भी शांति का एक शक्तिशाली, सामंजस्यपूर्ण, संपूर्ण, निर्बाध मार्ग प्रदान करता है। आंतरिक शांति और अहिंसा को बढ़ावा देने में बुद्ध के चार आर्य सत्य और अष्टांगिक पथ की प्रासंगिकता पर प्रकाश डालते हुए, श्री धनखड़ ने व्यक्तियों और राष्ट्रों को आंतरिक शांति, करुणा और अहिंसा की दिशा में मार्गदर्शन करने की उनकी क्षमता पर प्रकाश डाला।

अपने संबोधन में, उपराष्ट्रपति ने जलवायु परिवर्तन, संघर्ष, आतंकवाद और गरीबी जैसी समकालीन चुनौतियों से निपटने में बुद्ध के सिद्धांतों की सार्वभौमिक प्रासंगिकता को भी रेखांकित किया। उन्होंने भगवान बुद्ध की शिक्षाओं को आशा की किरण के रूप में उजागर करते हुए,  इन अस्तित्वगत खतरों को दूर करने के लिए एक सहयोगात्मक, सामूहिक दृष्टिकोण का आह्वान किया।

12वीं महासभा की विषय-वस्‍तु- “शांति के लिए एशियाई बौद्ध सम्मेलन-ग्लोबल साउथ का बौद्ध स्‍वर” का उल्लेख करते हुए, श्री धनखड़ ने कहा कि यह विषय भारत की बढ़ती नेतृत्व भूमिका के अनुरूप है, जो ग्लोबल साउथ की समस्‍याओं को विश्‍व मंचों पर उठा रहा है। उन्होंने कहा कि जी-20 में भारत की अध्यक्षता से पता चलता है, भारत दुनिया की तीन-चौथाई आबादी वाले देशों की चिंताओं का प्रतिनिधित्व करने के लिए प्रतिबद्ध है।”

भारत को भगवान बुद्ध के सिद्धांतों द्वारा निर्देशित राष्ट्र बताते हुए, श्री धनखड़ ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी के उस वक्‍तव्‍य को दोहराया जहां उन्होंने कहा था, “हमें उस राष्ट्र से संबंधित होने पर गर्व है जिसने दुनिया को ‘बुद्ध’ दिया है, न कि ‘युद्ध’।”

श्री धनखड़ ने कहा कि भारत इसके लिए प्रतिबद्ध है कि विश्‍व की युवा पीढ़ी भगवान बुद्ध के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्‍त करे। उन्‍होंने बौद्ध सर्किट और भारत अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध संस्कृति केंद्र के विकास में भारत की सक्रिय भूमिका का उल्लेख करते हुए बताया कि इससे अंतरराष्ट्रीय यात्रियों के लिए बौद्ध विरासत स्थलों तक सुगम पहुंच को बढ़ावा दिया जा रहा है।

सम्‍मेलन में केंद्रीय मंत्री श्री किरण रिजिजू, ,शांति के लिए एशियाई बौद्ध के अध्यक्ष डी चोइजामत्सडेम्बरेल, कंबोडिया के उप मंत्री डॉ. ख्यसोवनरत्न और विभिन्न देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

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Tags: Buddha's teachings are not souvenirs of the pastbut guidelines for our future: Vice Presidentmochan samachaarpibबल्कि हमारे भविष्य के दिशा-निर्देशक हैं: उपराष्ट्रपतिबुद्ध की शिक्षाएं अतीत के स्‍मृति चिन्‍ह नहीं हैं
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