नई दिल्ली : बिहार सरकार (Bihar government’s) की ओर से कराये गए जातिगत सर्वेक्षण (caste survey) को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court)अंतिम सुनवाई सितंबर में करेगा। आज जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने सभी पक्षों को लिखित दलीलें दाखिल करने का आदेश दिया।
बिहार सरकार ने 2 अक्टूबर 2023 को जाति आधारित जनगणना का डाटा जारी कर दिया था। इसके पहले 6 सितंबर को कोर्ट ने सर्वे के आंकड़े जारी करने पर अंतरिम रोक का आदेश देने से इनकार कर दिया था। कोर्ट ने कहा था कि मामले में विस्तार से सुनवाई की जरूरत है।
28 अगस्त 2023 को केन्द्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपना जवाब दाखिल करते हुए कहा था कि संविधान के मुताबिक जनगणना केंद्रीय सूची के अंर्तगत आता है। सरकार ने ये भी कहा कि केंद्र सरकार खुद एससी, एसटी और सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े लोगों के उत्थान की कोशिश में लगी है।
केंद्र सरकार ने कहा है कि जनगणना एक विधायी प्रक्रिया है, जो जनगणना अधिनियम 1948 के तहत है और केंद्रीय अनुसूची के 7वें शेड्यूल के 69वें क्रम के तहत इसके आयोजन का अधिकार केंद्र सरकार के पास है। केंद्र ने कहा था कि अधिनियम 1984 की धारा-3 के तहत यह अधिकार केंद्र को मिला है। इसके लिए केंद्र सरकार की ओर से अधिसूचना जारी कर यह बताया जाता है कि देश में जनगणना करायी जा रही है और उसके आधार भी स्पष्ट किए जाते हैं।