नई दिल्ली : अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय 6 केंद्रीय अधिसूचित अल्पसंख्यक समुदायों के सामाजिक-आर्थिक सशक्तिकरण के लिए विभिन्न योजनाओं को कार्यान्वित करता है। पिछले 5 वर्षों के दौरान मंत्रालय ने अल्पसंख्यक समुदायों के छात्रों के लिए 3 छात्रवृत्ति योजनाएं- (i) प्री-मैट्रिक, (ii) पोस्ट-मैट्रिक और (iii) योग्यता-सह-साधन आधारित छात्रवृत्तियां लागू की हैं। यह जानकारी केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू (kiren rijiju) ने लोकसभा में एक लिखित जवाब में दी।
अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि शिक्षा का अधिकार (आरटीई) अधिनियम- 2009 सरकार के लिए हर एक बच्चे को निःशुल्क और अनिवार्य प्रारंभिक शिक्षा (कक्षा 1 से 8 तक) प्रदान करना अनिवार्य बनाता है। हर एक बच्चे को निःशुल्क और अनिवार्य प्रारंभिक शिक्षा देने के लिए बजट आवंटन को तर्कसंगत बनाया गया है। इसी तरह तकनीकी और व्यावसायिक पाठ्यक्रमों को इस मंत्रालय की पोस्ट-मैट्रिक और योग्यता-सह-साधन आधारित छात्रवृत्तियों के तहत शामिल किया गया।
पाठ्यक्रमों और संस्थानों के वितरण को तर्कसंगत बनाने के लिए सूचीबद्ध संस्थानों को छोड़कर यूजी एवं पीजी स्तर के सभी तकनीकी और/या व्यावसायिक पाठ्यक्रमों को पोस्ट-मैट्रिक योजना के तहत लाया गया है। योग्यता-सह-साधन (एमसीएम) आधारित छात्रवृत्ति में केवल शीर्ष सूचीबद्ध संस्थानों को ही शामिल किया गया।
मंत्रालय ने बताया कि जहां तक फेलोशिप योजना का संबंध है, केंद्र सरकार ने यूजीसी (UGC) और सीएसआईआर (CSIR) की जेआरएफ योजना की तर्ज पर मौलाना आजाद राष्ट्रीय फेलोशिप (MANF) योजना लागू की है। यूजीसी और सीएसआईआर फेलोशिप योजनाएं अल्पसंख्यकों सहित सभी सामाजिक श्रेणियों व समुदायों के उम्मीदवारों के लिए खुली हैं। इसके अलावा अल्पसंख्यक समुदायों के छात्रों को सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय व अनुसूचित जातियों, अन्य पिछड़ा वर्गों और अनुसूचित जनजातियों के लिए जनजातीय कार्य मंत्रालय की ओर से कार्यान्वित की जा रही फेलोशिप योजनाओं के तहत भी कवर किया जाता है।
उपरोक्त योजनाओं के बीच स्पष्ट ओवरलैप को देखते हुए साल 2022-23 से एमएएनएफ योजना को बंद करने का निर्णय लिया गया। मौजूदा एमएएनएफ फेलो को उनके कार्यकाल की समाप्ति तक फेलोशिप मिलती रहेगी, बशर्ते कि मौजूदा दिशानिर्देशों का अनुपालन किया जाए।