नई दिल्ली : केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पीएमओ, कार्मिक, लोक शिकायत, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज कहा कि पहला “सांइस एक्सपीरियंस सेंटर” प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के विकसित भारत के विजन को साकार करने में महत्वपूर्ण योगदान देगा और उन्होंने इसे युवा दिमागों और संभावित स्टार्टअप्स को समर्पित किया।पीआईबी द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार (According to the press release issued by PIB)
श्री जितेंद्र सिंह केंद्रीय पर्यटन, संस्कृति और उत्तर पूर्वी क्षेत्र (डोनर) विकास मंत्री श्री जी किशन रेड्डी के साथ सीएसआईआर-भारतीय रासायनिक प्रौद्योगिकी संस्थान (सीएसआईआर-आईआईसीटी), हैदराबाद के परिसर में पहले “सांइस एक्सपीरियंस सेंटर” और एक विशेष “बायो फ्यूल सेंटर” की आधारशिला रखने के बाद सभा को संबोधित कर रहे थे।
सांइस एक्सपीरियंस सेंटर की स्थापना भारत के वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर)और राष्ट्रीय विज्ञान संग्रहालय परिषद (एनसीएसएम), द्वारा की गई है। सीएसआईआर एक प्रमुख राष्ट्रीय अनुसंधान एवं विकास संगठन है और जो दुनिया के सबसे बड़े सार्वजनिक रूप से फंडेड अनुसंधान एवं विकास संगठन में से एक है और एनसीएसएम भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के अधीन स्वायत्त सोसाइटी है।
साइंस एक्सपीरियंस सेंटर मुख्य रूप से प्रदर्शनी/गैलरी आदि विकसित करके और इंटरैक्टिव विज्ञान शिक्षा कार्यक्रमों का आयोजन करके ‘लोगों को सशक्त बनाने के लिए विज्ञान का संचार’ के आदर्श वाक्य के साथ समाज में, विशेष रूप से छात्रों के बीच विज्ञान की संस्कृति को फैलाने में लगा हुआ है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि सांइस एक्सपीरियंस सेंटर निश्चित रूप से हमारे देश के युवा दिमागों को प्रेरित करेगा और उन्हें स्टार्टअप के लिए नए आइडियाज के साथ आने के लिए प्रोत्साहित करेगा। उन्होंने आगे कहा कि विज्ञान के बिना हमारी संस्कृति आगे नहीं बढ़ेगी और संस्कृति के बिना विज्ञान पूरी तरह से विकसित नहीं होगा।
उन्होंने कहा, सीएसआईआर और एनएससीएम, अपने-अपने क्षेत्रों में अपनी खास विशेषज्ञता और एक संस्कृति के रूप में विज्ञान को बढ़ावा देने के लिए ओवरलैपिंग उद्देश्यों के साथ, और हैदराबाद में सीएसआईआर-आईआईसीटी के परिसर में सांइस एक्सपीरियंस सेंटर स्थापित करने के लिए हाथ मिलाना देश की एक बड़ी जरूरत है।
मंत्री, जो सीएसआईआर के उपाध्यक्ष भी हैं, ने कहा कि सीएसआईआर, लगभग 8,000 एसएंडटी कर्मचारियों वाला सबसे बड़ा वैज्ञानिक अनुसंधान एवं विकास संगठन, देश का एक अभिनव इंजन है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि सीएसआईआर अपने नवीन अनुसंधान, मजबूत मौलिक विज्ञान, उद्योग साझेदारी, उद्यमिता, अनुवाद अनुसंधान, क्षमता निर्माण और नीति निर्माण के माध्यम से राष्ट्रीय जरूरतों को पूरा करता है।
उन्होंने आगे कहा कि पिछले दशक में सीएसआईआर के कुछ महत्वपूर्ण योगदानों में पायलट ट्रेनिंग के लिए स्वदेशी टू-सीटर हंसा-एनजी विमान का विकास, टिकाऊ विमानन के लिए बायो-जेट ईंधन, भारत की अपनी फुटवियर साइजिंग प्रणाली विकसित करना, भूकंपीय क्षेत्र IV और V के लिए भूकंप प्रतिरोधी इंफ्रास्ट्रक्चर और भारत का पहला ईंधन सेल चालित ऑटोमोटिव शामिल हैं।
उन्होंने कहा कि इन क्षेत्रों में अग्रणी काम करने के अलावा, सीएसआईआर ने आज कई सामाजिक लाभ कार्यक्रम स्थापित किए हैं जो महिलाओं सहित हाशिए पर रहने वाले समुदायों को लक्षित करते हैं। इनमें अरोमा मिशन, समुद्री घास की खेती, हींग की खेती का पहला प्रदर्शन और जम्मू और कश्मीर में पर्पल रेवोल्यूशन आदि शामिल हैं।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि सरकार देश में वैज्ञानिक स्वभाव और संस्कृति के विकास के लिए सभी पहल कर रही है। उन्होंने कहा, महामारी जैसी घटनाओं ने केवल विज्ञान और प्रौद्योगिकी से लैस होने और विज्ञान और वैज्ञानिक सोच के लिए समाज को जागरूक करने की आवश्यकता पर बल दिया है। इस संबंध में सीएसआईआर ने कोविड के खिलाफ लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, विशेष रूप से कोविड वैक्सीन के लिए सहायक विकसित करने में सीएसआईआर-आईआईसीटी की भूमिका की अत्यधिक सराहना योग्य रही है। उन्होंने कहा कि भारत अनुभव-आधारित शिक्षा को बढ़ावा दे रहा है और सीएसआईआर अग्रदूतों में से एक है।
यह कहते हुए कि निर्माणाधीन हैदराबाद फार्मा सिटी (एचपीसी), हैदराबाद में दुनिया का सबसे बड़ा एकीकृत क्लस्टर है, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि अनुसंधान एवं विकास और विनिर्माण पर जोर देने वाले फार्मास्युटिकल उद्योगों के लिए, इस क्लस्टर को इसके राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्व को देखते हुए भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय निवेश और विनिर्माण क्षेत्र (एनआईएमजेड)के रूप में मान्यता दी गई है।उन्होंने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय मानकों पर विकसित, हैदराबाद फार्मा सिटी फार्मास्युटिकल मूल्य श्रृंखला में सहजीवी सह-अस्तित्व के वास्तविक मूल्य का उपयोग करेगी।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि कृषि रसायन उद्योग व्यापक रूप से इस तथ्य को स्वीकार करता है कि सीएसआईआर-आईआईसीटी द्वारा विकसित प्रौद्योगिकियों ने ही भारत में कृषि रसायन उद्योग के विकास की शुरुआत की है। सीएसआईआर-आईआईसीटी ने प्रदर्शित किया कि फेरोमोन एप्लीकेशन टेक्नोलॉजी (पीएटी) का उपयोग एकीकृत कीट प्रबंधन (आईपीएम) में निगरानी और निगरानी उपकरण दोनों के रूप में किया जा सकता है।
केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री ने कहा कि सीएसआईआर ने सीएसआईआर@2030 के दृष्टिकोण की परिकल्पना की है, जिसका उद्देश्य “आत्मनिर्भर भारत के सपने को पूरा करने के लिए टिकाऊ समाधान और क्षमता निर्माण विकसित करके नवीन विज्ञान और प्रौद्योगिकी, विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी अनुसंधान एवं विकास के माध्यम से भारत के नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाना” है।” उन्होंने कहा, सीएसआईआर का यह दृष्टिकोण अगले 25 वर्षों के लिए भारत सरकार के दृष्टिकोण ‘अमृत कल’ के साथ जुड़ा हुआ है, जब भारत 2047 में अपनी आजादी का 100वां वर्ष मनाएगा।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि इस प्रयास में देश में विज्ञान केंद्रों और विज्ञान शहरों का निर्माण भी देश के भावी वैज्ञानिकों को तैयार करने का आधार बनेगा।