नई दिल्ली : केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने आज देश में कोविड स्थिति की उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की। पीआईबी द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार इस दौरान हाल ही में देश के कुछ भागों में कोविड के बढ़ते मामलों को देखते हुए कोविड की निगरानी, रोकथाम और प्रबंधन के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली की तैयारियों की समीक्षा की गई। इस अवसर पर केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री प्रो. एसपी सिंह बघेल और डॉ. भारती प्रवीण पवार और नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वी के पॉल भी उपस्थित थे।
बैठक में भाग लेने वाले अन्य राज्य मंत्रियों में अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री श्री अलो लिबांग, शामिल हैं; उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री एवं स्वास्थ्य मंत्री श्री ब्रजेश पाठक; उत्तराखंड के स्वास्थ्य मंत्री श्री धन सिंह रावत उपस्थित थे। इस अवसर पर कर्नाटक के स्वास्थ्य मंत्री श्री दिनेश गुंडू राव; हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री श्री अनिल विज; केरल की स्वास्थ्य मंत्री श्रीमती वीणा जॉर्ज), गोवा के स्वास्थ्य मंत्री श्री विश्वजीत प्रतापसिंह राणे; असम के स्वास्थ्य मंत्री श्री केशव महंता, झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री श्री बन्ना गुप्ता; पंजाब के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. बलबीर सिंह; दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री श्री सौरभ भारद्वाज; हिमाचल प्रदेश के डॉ. (कर्नल) धनी राम शांडिल; महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री प्रोफेसर डॉ. तानाजीराव सावंत; तेलंगाना के स्वास्थ्य मंत्री श्री दामोदर राजनरसिम्हा; मणिपुर के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. सपम रंजन; ओडिशा के स्वास्थ्य मंत्री श्री निरंजन पुजारी; पुडुचेरी के प्रशासक श्री रंगास्वामी भी मौजूद थे।
विश्व के कुछ देशों चीन, ब्राजील, जर्मनी और अमरीका में कोविड मामलों की बढ़ती संख्या से उत्पन्न चुनौती को देखते हुए डॉ. मनसुख मांडविया ने कोविड के नए और उभरते वैरिएंट से निपटने के लिए तैयार रहने और सतर्क रहने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि आगामी आगामी त्योहारी सीजन को देखते हुए इस पर सतर्कता जरूरी है। उन्होंने कहा कि कोविड अभी समाप्त नहीं हुआ है। उन्होंने राज्यों से अनुरोध किया कि वे स्थिति से निपटने के लिए उचित सार्वजनिक स्वास्थ्य योजना बनाने के लिए कोविड के मामलों और लक्षणों पर कड़ी निगरानी रखें।
डॉ. मांडविया ने उभरती स्थिति से निपटने के लिए “समग्र सरकार” दृष्टिकोण की भावना से केंद्र और राज्यों के बीच सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने देश में फैल रहे नए वेरिएंट का समय पर पता लगाने के लिए भारतीय SARS-CoV-2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम (INSACOG) नेटवर्क के माध्यम से वेरिएंट की निगरानी करने के लिए पोजीटिव मामलों के नमूनों के लिए निगरानी प्रणाली को सुदृढ़ करने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि इससे समय पर उचित सार्वजनिक स्वास्थ्य उपाय करने में सुविधा होगी। राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से अनुरोध किया गया है कि वे परीक्षण में तेजी लाएं और बड़ी संख्या में कोविड पोजिटिव मामलों और निमोनिया जैसी बीमारी के नमूनों को दैनिक आधार पर INSACOG जीनोम अनुक्रमण प्रयोगशालाओं (IGSLs) में भेजें, ताकि नए वेरिएंट का पता जा सके।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने सभी राज्यों से सतर्क रहने, निगरानी बढ़ाने और दवाओं, ऑक्सीजन सिलेंडर और कॉन्संट्रेटर्स, वेंटिलेटर और टीकों का पर्याप्त भंडार सुनिश्चित करने का आग्रह किया, उन्होंने अधिकारियों से कहा कि वे पीएसए संयंत्रों ऑक्सीजन कॉन्संट्रेटर्स और सिलेंडर तथा वेंटिलेटर की सक्रियता का आकलन करें और हर तीन महीने में कोविड से निपटने के मामलों के लिए मॉक ड्रिल कराएं। उन्होंने राज्यों से आग्रह किया कि वे श्वसन स्वच्छता पर जागरूकता फैलाएं और सही जानकारी का प्रचार-प्रसार करें। राज्य यह भी सुनिश्चित करें कि कोविड के संबंध में फर्जी खबरें न फैलाई जाएं तथा किसी भी तरह की घबराहट और अफरा-तफरी का माहौल न बने। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों से आग्रह किया कि वे कोविड संबंधी मामलों की समय पर निगरानी और त्वरित सार्वजनिक स्वास्थ्य उपाय सुनिश्चित करने के लिए परीक्षणों और पॉजीटिव मामलों के बारे में वास्तविक समय (रियल टाइम) में कोविड पोर्टल पर जानकारी साझा करें। उन्होंने राज्यों को आश्वासन दिया कि केंद्र सरकार इस संबंध में हरसंभव सहायता उपलब्ध कराएगी।
एक प्रस्तुति के माध्यम से, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव श्री सुधांश पंत ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री को वैश्विक कोविड स्थिति और घरेलू परिदृश्य के बारे में जानकारी दी। यह बताया गया कि भारत में सक्रिय कोविड मामले वैश्विक परिदृश्य की तुलना में काफी कम हैं, पिछले दो सप्ताह में पोजिटिव मामलों में तेजी से वृद्धि हुई है। 6 दिसंबर 2023 को पोजीटिव मामलों की संख्या 115 थी, जो बढ़कर 614 हो गई है। यह भी नोट किया गया कि 92.8 प्रतिशत मामले होम क्वारंटाइन हैं, जो हल्की बीमारी का संकेत है। कोविड के कारण अस्पताल में भर्ती होने की दर में कोई वृद्धि नहीं देखी गई है। जो मरीज अस्पताल में भर्ती हैं, उनका कारण अन्य चिकित्सा स्थितियां हैं। केरल, महाराष्ट्र, झारखंड और कर्नाटक जैसे कुछ राज्यों में दैनिक पोजीटिव दर में वृद्धि देखी गई है।
SARS-CoV-2 के नए JN.1 वैरिएंट के बारे में यह बताया गया कि इस वैरिएंट पर वर्तमान में गहन वैज्ञानिक जांच चल रही है, लेकिन तत्काल चिंता का कारण नहीं है। इस वेरिएंट से प्रभावित रोगी बिना किसी जटिलता के ठीक भी हो गये हैं।
नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वी के पॉल ने कोविड मामलों में वृद्धि और एक नए वेरिएंट से उत्पन्न चुनौती से निपटने के लिए एक समग्र सरकार दृष्टिकोण की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने बताया कि भारत में वैज्ञानिक समुदाय इस नए वेरिएंट की जांच कर रहा है, लेकिन राज्यों को परीक्षण बढ़ाने और अपनी निगरानी प्रणालियों को सुदृढ़ बनाने की आवश्यकता है।
स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग के सचिव और भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डॉ. राजीव बहल ने बताया कि आईसीएमआर वर्तमान में नए जेएन.1 वैरिएंट की जीनोम वेरिएंट की जांच पर कार्य कर रहा है। उन्होंने राज्यों से आग्रह किया कि वे कोविड परिदृश्य पर निगरानी रखें और आरटी-पीसीआर परीक्षण बढ़ाएं। उन्होंने कहा कि घबराने की कोई बात नहीं है।
इस अवसर पर विभिन्न राज्यों के स्वास्थ्य मंत्रियों ने केंद्र से मिले समर्थन और मार्गदर्शन की सराहना की। उन्होंने कुछ राज्यों में बढ़ते मामलों को देखते हुए परीक्षण और निगरानी उपायों को बढ़ाने का आश्वासन भी दिया।
बैठक में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की अपर सचिव श्रीमती एल एस चांगसन, स्वास्थ्य मंत्रालय, भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद और राष्ट्रीय रोग नियंत्रक केंद्र (एनसीडीसी) के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
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