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अमृतकाल में कृषि विकास के साथ देश को आगे बढ़ाने का लक्ष्य : तोमर

विचारों में समन्वय,नीतियों में एकरूपता से ज्यादा अच्छे परिणाम आ सकते हैं

Mochan Samachaar Desk by Mochan Samachaar Desk
20/07/2023
in देश
Reading Time: 1 min read
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अमृतकाल में कृषि विकास के साथ देश को आगे बढ़ाने का लक्ष्य : तोमर
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किसानों-कृषि के समग्र विकास के लिए आयोजित चिंतन शिविर का केंद्रीय मंत्री श्री तोमर द्वारा शुभारंभ

नयी द‍िल्‍ली : कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय और कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग (डेयर), भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् (आईसीएआर) द्वारा आयोजित कृषि पर चिंतन शिविर का शुभारंभ आज केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के मुख्य आतिथ्य तथा राज्य मंत्री  कैलाश चौधरी एवं  शोभा करंदलाजे तथा नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद की विशेष उपस्थिति में हुआ। शिविर का उद्देश्य भविष्य की आवश्यकताओं की पूर्ति, निर्यात बढ़ाने और भारतीय कृषि को आधुनिक बनाने जैसे मुद्दों पर विचार-विमर्श कर भविष्य की कार्ययोजना तैयार करना है। पीआईबी द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री तोमर ने कहा कि जब से नरेंद्र मोदी जी ने प्रधानमंत्री के रूप में कामकाज संभाला है, उनकी कोशिश सरकार की सोच, कल्पना, क्रियान्वयन एवं कार्यपद्धति में बदलाव लाने की रही है और इसके लिए विभिन्न प्रयत्न किए गए हैं। प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन के अनुसार ही इस तरह के चिंतन शिविर आयोजित किए जा रहे है, जिसका सद्परिणाम भी सरकार के कामकाज में परिलक्षित होता है। निरंतर अभ्यास चलता रहे तो सद्परिणाम आते ही हैं, अच्छे कार्यों के लिए अच्छे वातावरण व सोच की जरूरत होती है। पूरी सरकार एक ही है, उसे समग्रता में देखना चाहिए, जिसकी कोशिश भी हुई है। विचारों में समन्वय एवं नीतियों में एकरूपता से ज्यादा अच्छे परिणाम आ सकते हैं।

 

 

तोमर ने कहा कि हमारे देश में कृषि की अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण स्थान है। राष्ट्रीय फलक पर देंखे तो वैश्विक मंदी एवं कोरोना के संकटकाल में भी हमारा कृषि क्षेत्र मजबूत बना रहा, इसे सामूहिक प्रयासों से और भी सशक्त बनाया जाएं। हमारे कृषि क्षेत्र ने देश का पेट तो भरा ही, हम दुनिया के कई देशों की मदद भी कर सकें। चिंतन शिविर में विचार होना चाहिए कि सरकार की किसान हितैषी योजनाएं और अधिक पारदर्शी कैसे हों, किसान हित में कामकाज और सरल हों, हमारे लक्ष्य कैसे पूरे हों। मिनिमम गर्वेनेंस हो और हमारी कार्यपद्धति की प्रशंसा की पात्र हों। श्री तोमर ने इस संबंध में केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) योजना का उदाहरण भी दिया

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी जी का लक्ष्य वर्ष 2047 तक अमृतकाल में भारत को विकसित भारत के रूप में प्रतिष्ठित करना है, जिसके लिए जरूरी पैरामीटर्स को फुलफिल करना हमारी जिम्मेदारी है उसी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए यह चिंतन किया जा रहा है कि कृषि क्षेत्र में क्या-क्या बढ़ेगा, 2047 में हम कहां खड़े होंगे, उत्पादन क्षमता क्या होगी, उत्पादकता क्या होगी, फसलों के प्रकार क्या होंगे, इस बारे में सोचकर किसानों के साथ समन्वय हमारी जिम्मेदारी है। अमृतकाल में हमें समग्र रूप से विचार करते हुए तय करना पड़ेगा कि सरकार के काम की दिशा व गति क्या होगी। चुनौतियों का आंकलन व उन्हें चिन्हित करते हुए लक्ष्यावधि में काम करते आगे बढ़ना होगा।

 

 

कार्यक्रम में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री  चौधरी ने कहा कि हमें आगामी पांच साल की बजाय 25 साल का रोडमैप तैयार करना है। वर्ष 2047 तक देश को आत्मनिर्भर बनाने में कृषि क्षेत्र का महत्वपूर्ण योगदान होगा और तब तक के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए, इस अमृतकाल में कृषि क्षेत्र को आगे बढ़ाने के संबंध में यह चिंतन शिविर आयोजित किया गया है। उन्होंने कृषि क्षेत्र की कमियों को दूर करते हुए नई टेक्नालाजी के माध्यम से और तेज प्रगति किए जाने पर भी जोर दिया।

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री शोभा करंदलाजे ने कहा कि प्रधानमंत्री  मोदी के मार्गदर्शन अनुसार हमें अमृतकाल के लिए ठोस योजना बनाकर नई पीढ़ी के लिए कृषि क्षेत्र के विकास की सौगात देना है। उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर कृषि के लिए हम प्रधानमंत्री जी के विजन के अनुसार आगे बढ़ें। हम देश के लिए मिल-जुलकर काम करेंगे तो लक्ष्य को अवश्य हासिल कर पाएंगे।

नीति आयोग के सदस्य प्रो. रमेश चंद, केंद्रीय कृषि सचिव श्री मनोज अहूजा, डेयर के सचिव व आईसीएआर के महानिदेशक डॉ. हिमांशु पाठक ने भी शिविर में विचार रखें। प्रारंभ में कृषि मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव  राकेश रंजन ने कृषि पर दो दिवसीय चिंतन शिविर की प्रस्तावना रखी। शिविर में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, डेयर व आईसीएआर के अधिकारियों के साथ विशेषज्ञ भाग ले रहे हैं।

 

शिविर की अहम बातें 

i) कृषि को जलवायु अनुकूल बनाने के लिए रणनीतियां विकसित करना

ii) एकीकृत पोषक तत्व प्रबंधन से जुड़े मुद्दों व चुनौतियों का समाधान करना, उर्वरक के संतुलित उपयोग को बढ़ावा देना, मृदा की उर्वरता को बढ़ाना, और एक अनुकूल- टिकाऊ कृषि प्रणाली की स्थापना में योगदान देना;

iii) वनस्‍पति संरक्षण के पर्यावरण-अनुकूल दृष्टिकोण में सामंजस्य स्थापित करने के लिए विभिन्न संगठनों- हितधारकों के बीच तालमेल बनाना; iv) स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए उन्नत प्राकृतिक कृषि प्रणालियां

v) प्रभावशीलता व अधिकाधिक पहुंच बढ़ाने विस्तार सेवाओं को मजबूत करना व विस्तार प्रणाली के डिजिटलीकरण पर ध्यान केंद्रित करना

vi) निर्यात को बढ़ावा देने व निर्यात-उन्मुख आपूर्ति श्रृंखलाओं को मजबूत करने के लिए राज्य-स्तरीय कार्यनीति तैयार करना

vii) उत्पादक भागीदारी के माध्यम से क्षेत्र के हरसंभव हस्तक्षेप में संभावित प्राइवेट प्‍लेयर्स का लाभ उठाकर फोकस को ‘उत्पादन केंद्रित दृष्टिकोण’ से “विपणन केंद्रित दृष्टिकोण” में परिवर्तित करना, विषयों पर चिंतन किया जा रहा है।

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Tags: Agricultural Research and Education DepartmentIndian Council of Agricultural ResearchMinistry of Agriculture and Farmers Welfarenarendra singh tomarकृषि पर चिंतन शिविर नरेंद्र सिंह तोमर
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