कोलकाता : मर्चेंट चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (MCCI) ने चैंबर के कॉन्फ्रेंस हॉल में ‘भारतीय इक्विटी बाजारों के स्वर्णिम वर्ष हमारे सामने हैं’ विषय पर बीएसई लिमिटेड के प्रबंध निदेशक एवं सीईओ सुंदररामन राममूर्ति (Sundararaman Ramamurthy, Managing Director and CEO, BSE Limited) के साथ एक विशेष सत्र आयोजित किया। सुंदररामन राममूर्ति ने अपने संबोधन में कहा कि 1992 भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण वर्ष था। इस वर्ष से भारत में तकनीकी क्रांति, दूरसंचार क्रांति, बैंकिंग सुधार और पूंजी बाजार सुधार की शुरुआत हुई है। पूंजी बाजार के संदर्भ में श्री राममूर्ति ने बताया कि सेबी शेयरधारकों के हितों की रक्षा कर रहा है। अब, बाजारों में 500 कंपनियां हैं जिनका बाजार पूंजीकरण 1 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक है और 200 मिलियन फोलियो हैं। पहुंच के लोकतंत्रीकरण ने इस क्रांति को जन्म दिया है। श्री राममूर्ति ने उल्लेख किया कि भारत ‘कैचअप ग्रोथ’ का अनुभव कर रहा है जो ‘संतृप्त विकास’ से अलग है। भारत 2047 तक 8% की वास्तविक जीडीपी वृद्धि और 13% की नाममात्र वृद्धि हासिल कर सकता है।
उन्होंने कहा कि भारत के स्वर्णिम वर्ष आने वाले वर्षों में हैं। शेयर बाजार भी स्वर्णिम वर्षों का अनुभव करेगा। आधुनिक कार्यबल को कौशल से लाभान्वित होना चाहिए, ताकि वे वास्तविक अनुप्रयोगों में व्यावहारिक ज्ञान लागू कर सकें। इसके लिए, उद्योग को आगे आना चाहिए और संभावित कर्मचारियों को अपनाने के लिए उन्हें कौशल प्रदान करना चाहिए। शेयर बाजार और संबंधित पारिस्थितिकी तंत्र भारत को विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद कर सकते हैं। भारत में, 6 करोड़ एमएसएमई हैं, जिनमें से केवल 1,000 सूचीबद्ध हैं। अधिक रोजगार सृजन के लिए, कॉरपोरेट्स को एमएसएमई को सूचीबद्ध कंपनियां बनने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि मुख्य ध्यान युवाओं और महिलाओं को संभावित कार्यबल में शामिल करने पर होना चाहिए।
अतिथियों का स्वागत करते हुए, MCCI के उपाध्यक्ष मुनीश झाझरिया ने कहा कि COVID महामारी के बाद से भारत का इक्विटी बाजार लगातार तेजी पर है। लेकिन, हाल ही में कई कंपनियों की सुस्त आय रिपोर्ट और धीमी जीडीपी वृद्धि का मतलब हो सकता है कि शेयर बाजार कम से कम अभी के लिए रुक सकता है।
झाझरिया ने अपने संबोधन में यह भी बताया कि भारत सरकार भौतिक अवसंरचना, कराधान सुधार, बैंकिंग सुधार और इंडिया स्टैक में सुधार करने में लगी हुई है, जिससे क्रमशः बेहतर नेटवर्क वाली अर्थव्यवस्था, अर्थव्यवस्था का औपचारिकीकरण, बैंकिंग क्षेत्र की सफाई और डिजिटल भारत का निर्माण होगा। ये चारों परिवर्तन एक-दूसरे के साथ परस्पर क्रिया कर रहे हैं, जिससे अर्थव्यवस्था का औपचारिकीकरण, बचत का वित्तीयकरण और मुनाफे का समेकन हो रहा है, जिससे अधिक कुशल और प्रतिस्पर्धी अर्थव्यवस्था का निर्माण हो रहा है।
MCCI की विधिक एवं कॉर्पोरेट प्रशासन परिषद की अध्यक्ष ममता बिनानी ने अपने धन्यवाद प्रस्ताव में कहा कि कई कारकों और सुधारों के संगम के कारण भारतीय इक्विटी के लिए दृष्टिकोण अनुकूल है, हालांकि उथल-पुथल के दौर भी आने तय हैं।