कोलकाता : मर्चेंट्स चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ने कोलकाता में प्रतिस्पर्धा कानून पर क्षेत्रीय कार्यशाला का आयोजन किया। इस अवसर बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित सीसीआई की अध्यक्ष रवनीत कौर ने कहा, “मुकदमेबाजी से बचने के लिए हम प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने और बनाए रखने के लिए मिलकर काम कर सकते हैं।” सीसीआई के सलाहकार राकेश भनोट और सीसीआई के निदेशक (कानून) डॉ. केडी सिंह ने भी कार्यशाला को संबोधित किया। जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार सीसीआई की अध्यक्ष रवनीत कौर ने अपने संबोधन में इस बात पर जोर दिया कि व्यापार और उद्योग चैंबरों को हमारी अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने वाले विचारों के आदान-प्रदान के लिए एक खुला मंच प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए। प्रतिस्पर्धा विरोधी व्यवहार या प्रथाओं को खत्म करने के लिए, व्यापार संघ को प्रतिस्पर्धा कानून के ढांचे के भीतर काम करना चाहिए।
प्रतिस्पर्धा संशोधन अधिनियम, 2023 पर चर्चा करते हुए कौर ने उल्लेख किया कि उभरती चुनौतियों का समाधान करने और भारत को व्यवसायों के लिए वैश्विक केंद्र बनाने की हमारी प्रतिबद्धता को मजबूत करने के लिए, इस क्रांतिकारी संशोधन की शुरूआत से विनियामक परिदृश्य में उल्लेखनीय बदलाव आया है। उन्होंने आगे कहा कि प्रतिबद्धताओं और निपटान व्यवस्था की शुरूआत व्यवसायों को लंबी कानूनी कार्यवाही से गुजरे बिना प्रतिस्पर्धा संबंधी चिंताओं को दूर करने वाले समाधान पेश करने में सक्षम बनाती है। यह तेजी से बाजार में सुधार करने, विनियामक संसाधनों को संरक्षित करने और व्यावसायिक संगठनों को प्रतिकूल कार्यवाही से बचने का अवसर प्रदान करता है।
अंत में, उन्होंने सुनिश्चित किया कि प्रतिस्पर्धा कानूनों के अनुपालन को सुनिश्चित करने के लिए सीसीआई व्यापार संघों और व्यवसायों के साथ सक्रिय और सहयोगात्मक रूप से काम करने के लिए प्रतिबद्ध है।
एमसीसीआई के अध्यक्ष अमित सरावगी ने अपने स्वागत भाषण में कहा कि समय के साथ भारत में प्रतिस्पर्धा व्यवस्था ने सरकारों और व्यवसायों के संचालन के तरीके में अभूतपूर्व बदलाव देखे हैं। सीसीआई ने न केवल प्रतिस्पर्धा कानूनों और निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा पर जागरूकता पैदा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, बल्कि पारंपरिक ईंट और मोर्टार उद्योगों से लेकर डिजिटल प्लेटफॉर्म और मार्केटप्लेस तक के मामलों का निपटारा किया है।
सरावगी ने यह भी बताया कि भारत में विभिन्न क्षेत्रों को प्रतिस्पर्धा कानूनों से संबंधित अद्वितीय क्षेत्र-विशिष्ट चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। हालांकि, प्रौद्योगिकी क्षेत्र में तेजी से हो रही प्रगति पारंपरिक विनियामक ढांचे की निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा के दुरुपयोग से संबंधित मुद्दों पर तुरंत प्रतिक्रिया देने की क्षमता से कहीं आगे निकल गई है।
एमसीसीआई की विधिक एवं कॉर्पोरेट प्रशासन परिषद की अध्यक्ष ममता बिनानी ने अपने संबोधन में प्रतिस्पर्धा कानून में हाल के निर्णयों पर ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने हाल के मामलों का उल्लेख किया, जहां संगठनों ने प्रतिस्पर्धा-विरोधी प्रथाओं में भाग लिया है।
उन्होंने इस बात पर विचार-विमर्श किया कि भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) ने प्रतिबंधों का आरोप लगाने वाली कई पार्टियों की शिकायतों के आधार पर जांच शुरू की है।
सीसीआई के सलाहकार राकेश भनोट ने ‘प्रतिस्पर्धा कानून अनुपालन: उद्यमों के लिए क्या करें और क्या न करें’ पर तकनीकी सत्र को संबोधित किया।
सीसीआई के निदेशक (कानून) डॉ. केडी सिंह ने ‘सांठगांठपूर्ण आचरण और उदारता’ पर तकनीकी सत्र को संबोधित किया।
एमसीसीआई के उपाध्यक्ष मुनीश झाझरिया द्वारा हार्दिक धन्यवाद प्रस्ताव के साथ सत्र का समापन हुआ।