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जन औषधि केंद्र के समान ‘फसल औषधि केंद्र’ भी खोलने पर विचार : श्री शिवराज सिंह

आगामी 11 जुलाई को कोयम्बटूर में कपास को लेकर सम्मेलन करेंगे- चौहान

Mochan Samachaar Desk by Mochan Samachaar Desk
07/07/2025
in व्‍यापार
Reading Time: 1 min read
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जन औषधि केंद्र के समान ‘फसल औषधि केंद्र’ भी खोलने पर विचार : श्री शिवराज सिंह
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नयी दिल्‍ली : केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान (Union Agriculture, Farmers Welfare and Rural Development Minister Shivraj Singh Chouhan) ने आज नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय कृषि विज्ञान परिसर के भारत रत्न सी. सुब्रमण्यम सभागार में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) की 96वीं वार्षिक आम बैठक की अध्यक्षता की।

इस बैठक में 18 से ज्यादा केंद्रीय एवं राज्य मंत्री शामिल रहें। कृषि राज्य मंत्री श्री भागीरथ चौधरी, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी और पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री जितेंद्र सिंह, मत्स्य पालन, पशुपालन व डेयरी राज्य मंत्री श्री एस. पी. बघेल, मत्स्य पालन, पशुपालन व डेयरी राज्य मंत्री श्री जॉर्ज कुरियन, अरुणाचल के कृषि, मत्स्य पालन, पशुपालन, बागवानी मंत्री श्री ग्रेबियल डी. वांगसू , बिहार के उप मुख्यमंत्री एवं कृषि मंत्री श्री विजय कुमार सिन्हा,  बिहार की पशु एवं मत्स्य संसाधन मंत्री श्री रेनू देवी, मध्य प्रदेश के बागवानी, खाद्य प्रसंस्करण मंत्री श्री नारायण सिंह कुशवाहा, मिजोरम के कृषि मंत्री श्री पी. सी. वनलालरुआता, हरियाणा के कृषि एवं किसान कल्याण व पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन मंत्री श्री श्याम सिंह राणा, उत्तर प्रदेश के पशुपालन व डेयरी विकास मंत्री श्री धर्मपाल सिंह, कर्नाटक के कृषि मंत्री श्री एन. चेलुवरिया स्वामी, उत्तर प्रदेश के कृषि, शिक्षा, कृषि अनुसंधान मंत्री श्री सूर्यप्रताप शाही, ओडिशा के मत्स्य, व पशु संसाधन विकास विभाग राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री गोकुलानंद मलिक, मध्य प्रदेश के किसान कल्याण एवं कृषि विकास मंत्री श्री अदल सिंह कंसाना, महाराष्ट्र के कृषि मंत्री श्री माणिराव कोकाटे एवं कृषि सचिव श्री देवेश चतुर्वेदी उपस्थित थे।

आज नई दिल्ली स्थित पूसा परिसर में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) की 96वीं वार्षिक आम सभा में सहभागिता कर कृषि क्षेत्र में नवाचार, सतत् विकास और किसान-कल्याण संबंधी विविध विषयों पर गहन चर्चा की।

आदरणीय प्रधानमंत्री श्री @narendramodi जी के दूरदर्शी नेतृत्व में हम कृषि को… pic.twitter.com/kTNs3XHstj

— Shivraj Singh Chouhan (@ChouhanShivraj) July 7, 2025

इस बैठक में आईसीएआर के महानिदेशक डॉ. एम. एल. जाट ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के वार्षिक प्रतिवेदन 2024-2025 का प्रस्तुतीकरण एवं अंगीकृत करने हेतु संकल्प पढ़ा। इसके बाद आईसीएआर के वित्तीय सलाहकार द्वारा वर्ष 2023-24 के लिए लेखा परीक्षक की रिपोर्ट के साथ वार्षिक लेखा का प्रस्तुतीकरण दिया गया और इसे अंगीकृत करने हेतु संकल्प पढ़ा गया। बैठक में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की वार्षिक रिपोर्ट 2024-25 जारी की गई। साथ ही कृषि एवं प्रौद्योगिकी संबंधित चार पुस्तकों का विमोचन भी किया गया। इसके तत्पश्चात् सभी मंत्रियों ने बैठक को संबोधित किया, जिसमें उन्होंने भारत के खाद्यान्न उत्पादन में वृद्धि और कृषि क्षेत्र में तेजी से हो रही प्रगति को लेकर प्रसन्नता जाहिर की। बैठक में सभी मंत्रियों ने एकस्वर में भविष्य में खेती और किसान समृद्धि की दिशा में एकजुट होकर सार्थक प्रयास करने की प्रतिबद्धता भी जताई। बैठक में केंद्रीय कृषि मंत्री ने फसल औषधि केंद्र के विचार को आगे बढ़ाने की भी बात की। साथ ही विभिन्न राज्यों के मंत्रियों से प्रसांगिक योजनाओं को जारी रखने और अप्रासंगिक योजनाओं को खत्म करने और नई योजनाओं के शुरू होने को लेकर सुझाव भी आमंत्रित किएं। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि योजनाओं का वास्तविक लाभ किसानों को मिल रहा है या नहीं, इसका निरीक्षण बेहद जरूरी है।

केंद्रीय कृषि मंत्री श्री शिवराज सिंह ने कहा कि कृषि राज्य का विषय है, राज्य सरकारों के सहयोग के बिना कृषि की उन्नति के प्रयास अधूरे हैं। केंद्र और राज्यों को मिलकर कृषि क्षेत्र के लिए कार्य करना होगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी हमारे मार्गदर्शक हैं, उनके विजन और नेतृत्व में पिछले वर्षों में खाद्यान्न उत्पादन में आश्चर्यजनक वृद्धि हुई है। एक समय था जब हमें निम्न गुणवत्ता वाला गेहूं अमेरिका से आयात करके खाना पड़ता था। भारत के बारे में यह छवि थी कि हम कभी खाद्यान्न के मामले में आत्मनिर्भर नहीं बन सकते। लेकिन आज यह छवि और मिथक पूरी तरह से धूमिल हो गया है। खाद्यान्न के मामले में भारत रिकॉर्ड कायम कर रहा है। अन्न के भंडार भर रहे हैं। खाद्यान्न उत्पादन में रिकॉर्ड स्तर पर वृद्धि दर्ज की गई है। आज हम कृषि उत्पाद निर्यात कर रहे हैं।

श्री शिवराज सिंह ने कहा कि हमारी उपलब्धियां अभिनंदनीय हैं। जिसके लिए सभी वैज्ञानिकों और आईसीएआर की टीम को बधाई देता हूं। लेकिन उपलब्धियों के साथ-साथ कुछ चुनौतियां भी हैं, जिस दिशा में भी हमें काम करना होगा। उन्होंने कहा कि विकसित कृषि संकल्प अभियान में जो सुझाव व बातें उभर कर आई हैं, उसी के आधार पर आगे का मार्ग प्रशस्त होगा। राज्य के हिसाब से भावी अनुसंधान के रास्ते तय करने होंगे। मांग आधारित अनुसंधान की जरूरत है। मात्र कागजी औपचारिकता के लिए अनुसंधान नहीं बल्कि किसानों की उपयोगिता को देखते हुए अनुसंधान किए जाने चाहिए।

केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि सोयाबीन, दलहन, तिलहन में अभी और अधिक शोध व काम की जरुरत है। गेहूं, चावल, मक्के के साथ-साथ दलहन, तिलहन व अन्य फसलों के उत्पादन में वृद्धि को लेकर तेजी से प्रयास करने होंगे। जिसके लिए राज्यवार एवं फसलवार कार्ययोजना बनाई जाएगी। उन्होंने कहा कि कल मैंने मध्य प्रदेश में सोयाबीन की खेती का निरीक्षण किया। जहां खराब बीज की गंभीर समस्या देखने को मिली। खराब बीज के कारण अकुंरण ही नहीं हो पाया था। जिसके बारे में मैंने त्वरित जांच के आदेश दे दिए हैं। अमानक बीज, खाद और उर्वरक बेहद गंभीर विषय है, जिसे लेकर भी सरकार जल्द ही कड़ा कानूनी प्रावधान लाएगी। उर्वरकों के एमआरपी पर भी काम करने की जरूरत है। उर्वरक की सही कीमत तय होनी जरूरी है।

श्री शिवराज सिंह ने कहा कि फसलवार बैठकों का क्रम शुरू किया जा चुका है। सोयाबीन पर मध्य प्रदेश के इंदौर में बृहद बैठक की गई है। आगे अब कपास, गन्ने व अन्य फसलों को लेकर भी विशेष बैठकें की जाएगी। आगामी 11 जुलाई को कोयम्बटूर में कपास को लेकर सम्मेलन करेंगे। कपास मिशन को उपयोगी बनाने पर विचार करेंगे। एक-एक फसल पर राज्य की जरूरतों, जलवायु अनुकूलता और किसानों की आवश्यकताओं के अनुरूप विस्तारपूर्वक चर्चा की जाएगी और उचित समाधान के साथ उत्पादन वृद्धि पर काम होगा।

श्री शिवराज सिंह ने वैज्ञानिकों से आह्वान करते हुए कहा कि प्रौद्योगिकी के और बेहतर इस्तेमाल के साथ किसानों की मांग के अनुरूप और आधुनिक खेती के उपकरण बनाने की दिशा में प्रयास करें। हाल ही के एक अनुभव का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि एक किसान द्वारा ऐसे उपकरण बनाने की मांग की गई थी, जो उर्वरकता की जांच कर सके। ऐसा उपकरण जो बता सके कि तय मापदंड के अनुसार उर्वरक की गुणवत्ता सही है या नहीं, उर्वरक उपयोगी है या नहीं। ऐसे ही कई विचार कृषकों से चर्चा के दौरान सामने आते हैं, जिसे आधार बनाकर शोध की दिशा तय की जा सकती है। उन्होंने कहा कि लैब और संस्थानों का सैद्धांतिक ज्ञान जब व्यावहारिक स्वरूप में किसानों तक पहुंचेगा, तभी सही मायने में शोध की सार्थकता सिद्ध होगी।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि रबी की फसल से पहले राज्यों के साथ मिलकर फिर से ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ के जरिए किसानों तक विज्ञान को ले जाने की कोशिश होगी। रबी सम्मेलन दो दिन को होगा। पहले दिन रूपरेखा तय होगी, दूसरे दिन राज्यों के कृषि मंत्री तय रूपरेखा को अनुमोदित करते हुए अंतिम कार्ययोजना को रूप देंगे। भारत की माटी की उर्वरक क्षमता अतुलनीय है। मुझे यकीन है कि भारत देश के लिए भी और दुनिया के लिए भी अन्न की उपज करेगा और दुनिया का फूड बॉस्केट बनेगा।

श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी का संकल्प है-विकसित भारत का निर्माण। इस संकल्प की पूर्ति के लिए हमने अपने आप को समर्पित कर दिया है। विकसित भारत के लिए विकसित खेती और समृद्ध किसान जरूरी है। जिसके लिए कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी। उन्होंने कहा कि मैं स्वयं खेतों में जाकर किसानों से मिलकर खेती को जमीनी स्तर पर समझने की कोशिश कर रहा हूं। कश्मीर के सेब हो, केसर हो, उत्तर-प्रदेश का गन्ना या कर्नाटक की सुपारी हो, मैं सब जगह जाकर खेती को नजदीक के समझने और भावी रणनीतियों को लेकर प्रयासरत हूं।

केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि खेती मात्र एक व्यवसाय नहीं देश की सेवा है। हमें भारत की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करनी है। 144 करोड़ आबादी के लिए खाद्यान्न सुरक्षा के साथ-साथ पोषणयुक्त आहार उपलब्ध करवाना है, आने वाली पीढ़ी के लिए धरती को सुरक्षित रखना है, हमारा लक्ष्य सिर्फ देश ही नहीं बल्कि दुनिया के लिए भी अन्न की उपलब्धता करवाना है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में भौतिक प्रगति की चाह में दुनिया के कई देश ऐसे कदम उठा रहे है, जिससे प्रकृति को नुकसान हो रहा है। लेकिन हमें ऐसा मार्ग चुनना है जो प्रकृति को नुकसान पहुंचाए बिना, विकास की दिशा प्रशस्त करे।

अंत में श्री शिवराज सिंह ने वैज्ञानिकों को आधुनिक महर्षि बताते हुए कहा कि आप बेहतर काम कर रहे हैं, जिसके लिए बधाई के पात्र हैं। लेकिन उपलब्धियों के साथ-साथ चुनौतियों पर भी काम करना होगा। मेरा आह्वान है कि आगे की शोध की रूपरेखा चुनौतियों और उनके समाधान को दृष्टिगत रखते हुए तय करें, बढ़ते रहें और कृषि क्षेत्र में नई सफलताएं अर्जित करते रहें।

Tags: Consideration on opening ‘Crop Medicine Centre’ like Jan Aushadhi Kendra: Shri Shivraj SinghFarmers Welfare and Rural Development Minister Shivraj Singh ChouhanUnion Agriculture
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