नयी दिल्ली : भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय (एमओएऔरएफडब्ल्यू) ने लघु किसान कृषि व्यवसाय कंसोर्टियम (एसएफएसी) के सहयोग से आज यहां किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) के गठन और संवर्धन पर एक दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया। पीआईबी द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार अपने अध्यक्षीय भाषण में, सचिव, मनोज आहूजा ने सीमांत किसानों का सहयोग करने की महत्वाकांक्षा को स्थापित करने और प्राप्त करने में संचालन और स्पष्ट कल्पना से निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका की चर्चा की और कहा कि केवल उत्पादन के बजाय संपूर्ण मूल्य श्रृंखला का विकास एफपीओ का लक्ष्य होना चाहिए।
अपने संबोधन में, किदवई ने सीबीबीओ के आईए द्वारा निगरानी, सरकारी कार्यों के संवेदीकरण, एफपीओ के लिए लाइसेंस और बैंक पूंजी प्राप्त करने में सरकारी एजेंसियों को सुविधा देने की आवश्यकता पर जोर दिया। कार्यशाला के तकनीकी सत्रों को एएस और एमडी (एसएफएसी) द्वारा योजना की स्थिति के अनुसार शुरूआत कराई गई और प्रमुख संकेतकों के लिए रोडमैप साझा किया गया।
तकनीकी सत्र निम्नलिखित विषयों पर थे
- सेलम की श्रीमती बी शिवरानी और कृषि विकास ग्रामीण प्रशिक्षण संस्थान के वीरपांडी वत्तारा कलंजियम तथा आशीष नफाडे ने किसानों को सफलतापूर्वक संगठित करने के अनुभव साझा किए, जिन्हें अन्य सीबीबीओ द्वारा दोहराया जा सकता है।
- बाजार लिंकेज को सक्षम करने के लिए, ओएनडीसी पर प्रस्तुति भी दी गई और900 से अधिक एफपीओ को सफलतापूर्वक जोड़ने को भी प्रस्तुत किया गया। साइनकैच ने एफपीओ के लिए बी2बी लिंकेज प्रस्तुत किया, जिसे अन्य एफपीओ द्वारा दोहराया जा सकता है। अलंड भुताई मिलेट्स फार्मर्स प्रोड्यूसर कंपनी, ओआरएमएएस और कोरियाएग्रो प्रोड्यूसर कंपनी ने एफपीओ के सफल बाजार संपर्कों का भी वर्णन किया गया
- सतमीले सतीश क्लब ओ पाठागर और डीवीएआरए ई-रजिस्ट्री ने एफपीओ द्वारा स्थानीय मूल्य संवर्धन के कुछ अभिनव उदाहरण साझा किए।
- जनजातीय सहकारी विपणन विकास महासंघ (ट्राइफेड) ने जनजातीय एफपीओ को बढ़ावा देने और बाजार से जुड़ने की अपनी योजनाएं और अनुभव प्रस्तुत किए।
- नाबार्ड की सहायक कंपनी नवसंरक्षण ने क्रेडिट गारंटी योजना का विवरण और योजना के तहत गारंटी का लाभ उठाने वाले एफपीओ के कुछ सफल उदाहरण प्रस्तुत किए।
राष्ट्रीय कार्यशाला की अध्यक्षता सचिव (कृषि), भारत सरकार, मनोज आहूजा ने की। एमओए औरएफडब्ल्यू में अपर सचिव फैज़ अहमद किदवई और एसएफएसी में अपर सचिव और प्रबंध निदेशक डॉ. मनिंदर कौर द्विवेदी ने प्रतिभागियों को संबोधित किया। कार्यशाला में 17 राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के सचिवों, आयुक्तों और निदेशकों (कृषि) सहित 100 से अधिक प्रतिभागियों और योजना की 15 परियोजना कार्यान्वयन एजेंसियों (केन्द्र और राज्य सरकारों की एजेंसियों) ने भाग लिया। कार्यशाला एक खुले सत्र के साथ समाप्त हुई, जहां योजना के प्रमुख परिचालन पहलुओं पर चर्चा की गई। चर्चा के एक भाग के रूप में, प्रतिभागियों ने सभी संस्थाओं में क्रॉस लर्निंग सुनिश्चित करने के लिए जानकारी और उदाहरण साझा करने की पहल की सराहना की।
पृष्ठभूमि:
राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किसान उत्पादक संगठनों के गठन और संवर्धन के लिए केन्द्रीय क्षेत्र की योजना के तहत किया गया था। 6,865 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ केन्द्रीय क्षेत्र की यह योजना, किसानों की आय में उल्लेखनीय वृद्धि के लिए भारत के माननीय प्रधानमंत्री द्वारा 2020 में शुरू की गई थी। यह योजना मुख्य रूप से छोटे और सीमांत किसानों को लाभान्वित करने के लिए डिज़ाइन की गई है, जो किसान आधार का 86 प्रतिशत से अधिक हिस्सा बनाते हैं। यह योजना मूल्य श्रृंखला में छोटे और सीमांत किसानों के लिए पैमाने और दायरे की अर्थव्यवस्थाओं को सुविधाजनक बनाने के लिए किसान संगठन (एफपीओ) बनाने पर केन्द्रित है। इसके अलावा, इस योजना में विभिन्न व्यावसायिक गतिविधियों के लिए एफपीओ द्वारा लिए गए ऋणों के लिए क्रेडिट गारंटी प्रदान करने की परिकल्पना की गई है। अब तक इस योजना के तहत कुल 6,319 एफपीओ पंजीकृत हो चुके हैं।
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