नयी दिल्ली : रसोई की शान कहे जाने वाले टमाटर की देश में आसमान छूते कीमतों को जमीन पर लाने के लिए केंद्र सरकार बडा कदम उठाने जा रही है । जानकारी के अनुसार केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन महासंघ (NAFED) और राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता महासंघ (NCCF) सहकारी समितियों को आंध्र प्रदेश कर्नाटक और महाराष्ट्र राज्यों से टमाटर खरीदने का आदेश दिया। इन टमाटरों को मुख्य उपभोग क्षेत्रों में वितरित किया जाएगा जहां पिछले महीने खुदरा कीमतों में सबसे अधिक वृद्धि देखी गई है। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि टमाटर का स्टॉक 14 जुलाई से दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में उपभोक्ताओं को रियायती कीमतों पर खुदरा दुकानों के माध्यम से वितरित किया जाएगा। उपभोक्ता मामले विभाग ने बढ़ती खुदरा कीमतों को नियंत्रित करने के लिए, अधिक खपत वाली जगहों पर वितरण हेतु आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र से टमाटर की सीधी खरीद का निर्देश दिया है
इन्हें दिया गया है दायित्व
पीआईबी द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार उपभोक्ता मामलों के विभाग ने राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (नेफेड) और राष्ट्रीय उपभोक्ता सहकारी महासंघ (एनसीसीएफ) को प्रमुख उपभोग केंद्रों में एक साथ वितरण के लिए, जहां खुदरा कीमतों में पिछले एक माह में अधिकतम वृद्धि दर्ज की गयी है, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र की मंडियों से तत्काल टमाटर खरीदने के निर्देश दिए हैं। टमाटर का स्टॉक इस सप्ताह शुक्रवार तक दिल्ली एनसीआर क्षेत्र में उपभोक्ताओं को रियायती कीमतों पर खुदरा दुकानों के माध्यम से वितरित किया जाएगा।
वितरण के लिए लक्षित केंद्रों की हो चूकी है पहचान
वितरण के लिए लक्षित केंद्रों की पहचान पिछले एक महीने में खुदरा कीमतों में अधिकतम वृद्धि के आधार पर की गई हैं, जहां कीमतें अखिल भारतीय औसत से ऊपर है। राज्यों में टमाटर की खपत वाले मुख्य केन्द्रों की पहचान की गई है। इन केंद्रों की पहचान पुख्ता कर उन्हें आगे की कार्यवाही के लिए चिन्हित किया गया है।
अधिकतम उत्पादन भारत के दक्षिणी और पश्चिमी क्षेत्रों में होता है
भारत में टमाटर का उत्पादन अलग-अलग मात्रा में लगभग सभी राज्यों में होता है। अधिकतम उत्पादन भारत के दक्षिणी और पश्चिमी क्षेत्रों में होता है, जो अखिल भारतीय उत्पादन में 56% से 58% का योगदान देते हैं। अधिशेष उत्पादन राज्य होने के कारण दक्षिणी और पश्चिमी राज्य, उत्पादन मौसम के आधार पर अन्य बाजारों को इसकी आपूर्ति करते हैं।
जुलाई-अगस्त और अक्तूबर-नवंबर कम उत्पादन का मौसम
विभिन्न क्षेत्रों में उत्पादन सीज़न भी अलग-अलग होते हैं। कटाई का मौसम दिसंबर से फरवरी तक होता है। जुलाई-अगस्त और अक्तूबर-नवंबर का मौसम आमतौर पर टमाटर के लिए कम उत्पादन का मौसम होता है। जुलाई के साथ-साथ मानसून के कारण वितरण संबंधी चुनौतियां और बढ़ जाती हैं और माल ढुलाई में हानि से कीमतों में बढ़ोतरी होती है। बुवाई और कटाई के मौसम का चक्र और विभिन्न क्षेत्रों में उत्पादन की मौसमी-भिन्नता टमाटर की कीमतों में मौसमी उतार-चढ़ाव के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार हैं। सामान्य मूल्य के अलावा, मौसम का प्रभाव, अस्थायी आपूर्ति श्रृंखला व्यवधान और प्रतिकूल मौसम के कारण फसल की क्षति, आदि अक्सर कीमतों में अचानक वृद्धि का कारण बनती है।
यहां से आते है टमाटर
वर्तमान में गुजरात, मध्य-प्रदेश और कुछ अन्य राज्यों के बाजारों में टमाटर की आवक, ज्यादातर महाराष्ट्र, विशेषकर सतारा, नारायणगांव और नासिक से होती है, जो इस महीने के अंत तक रहने की उम्मीद है। आंध्र प्रदेश की मदनपल्ले (चित्तूर) से भी उचित मात्रा में आवक जारी है। दिल्ली एनसीआर में टमाटर की आवक मुख्य रूप से हिमाचल प्रदेश से होती है और कुछ मात्रा कर्नाटक के कोलार से आती है।
नासिक से नई फसल की उम्मीद
नासिक ज़िले से जल्द ही नई फसल की आवक होने की उम्मीद है। इसके अलावा अगस्त में नारायणगांव और औरंगाबाद बेल्ट से अतिरिक्त आपूर्ति आने की उम्मीद है। मध्य-प्रदेश से भी आवक शुरू होने की उम्मीद है। परिणामस्वरूप निकट भविष्य में टमाटर की कीमतें कम होने की उम्मीद है।
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