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किसी भी देश का सबसे बड़ा अलंकरण उसकी संपदा नहीं, बल्कि उसकी संस्कृति है: उपराष्ट्रपति

उपराष्ट्रपति ने गौड़ीय मिशन के संस्थापक आचार्य श्रील भक्ति सिद्धांत सरस्वती गोस्वामी प्रभुपाद की 150वें आगमन उत्सव के समापन समारोह को संबोधित किया

Mochan Samachaar Desk by Mochan Samachaar Desk
28/02/2025
in बंगाल
Reading Time: 3 mins read
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किसी भी देश का सबसे बड़ा अलंकरण उसकी संपदा नहीं, बल्कि उसकी संस्कृति है: उपराष्ट्रपति
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नयी दिल्‍ली : उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ (Vice President Jagdeep Dhankhar) ने आज कहा कि कुछ लोग अज्ञानतावश आध्यात्मिकता जैसे हमारे सात्विक तत्वों को अंधविश्वास का नाम दे रहे हैं। इस तथ्य को रेखांकित करते हुए कि सनातन का तात्पर्य समावेशिता से है, श्री धनखड़ ने कहा, “कुछ लोग, अज्ञानतावश या अंधाधुंध अर्थ प्राप्ति में लगे होने के कारण, गलत तरीके से आध्यात्मिकता जैसे हमारे सात्विक तत्वों को अंधविश्वास का नाम दे देते हैं।”

इस अवसर पर पश्चिम बंगाल के माननीय राज्यपाल श्री सी.वी. आनंद बोस, पर्यटन राज्यमंत्री श्री सुरेश गोपी, गौड़ीय मिशन के अध्यक्ष एवं आचार्य श्रीमद् भक्ति सुंदर संन्यासी गोस्वामी महाराज और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।

हर बात का जवाब आज के दिन सनातन में मिल सकता है!

Sanatan stands for inclusivity, Sanatan stands for universal goodness, Sanatan stands for supremacy of the soul, Sanatan does not believe in subjugation. If you surrender to Sanatan, you are not a captive, you become a free man, a… pic.twitter.com/CCKvZacrxE

— Vice-President of India (@VPIndia) February 28, 2025

उन्होंने कहा, “हर बात का जवाब आज के दिन सनातन में मिल सकता है। सनातन जो सिखाता है वह आज की व्यवस्था के लिए आवश्यक है, चाहे वह दुनिया में कहीं भी हो। सनातन का तात्पर्य समावेशिता से है, सनातन का तात्पर्य सार्वभौमिक अच्छाई से है, सनातन का तात्पर्य आत्मा की सर्वोच्चता से है। सनातन अधीनता में विश्वास नहीं करता। यदि आप सनातन के प्रति समर्पण करते हैं, तो आप बंदी नहीं हैं, आप एक स्वतंत्र व्यक्ति, एक स्वतंत्र आत्मा बन जाते हैं।”

कुछ लोग नासमझी, अनजाने में, अंधा-धुंध अर्थ प्राप्ति में लगने के कारण जो हमारे सात्विक तत्व हैं – Spirituality, इसको आडंबर कह देते हैं।

हमें कर्मयोगी बनना पड़ेगा and we will have to act in a manner to protect preserve and to some extent retreive and revitalise our civilisation… pic.twitter.com/9JjF67Sc1Z

— Vice-President of India (@VPIndia) February 28, 2025


 

उन्होंने कहा, “धर्म को संकीर्ण व रूढ़िवादी तरीके से नहीं देखा जा सकता। धर्म का आकलन संकीर्ण दायरे में नहीं किया जा सकता। हमें धर्म के सही अर्थ को समझना होगा और तभी हमें अंदाजा होगा कि हम सभी को कृतसंकल्प होकर भारत को फिर से ‘विश्व गुरु’ बनाना है। और भारत का विश्व गुरु बनना दुनिया के लिए सबसे बड़ा शुभ संदेश है।”

धर्म को रूढ़िवादी तरीके से नहीं देख सकते। धर्म को संकीर्ण दायरे में आकलन नहीं कर सकते। धर्म का अर्थ समझना पड़ेगा, और तभी अंदाजा होगा कि हम सबको कृतसंकल्प होकर भारत को फिर से विश्वगुरु बनाना है और भारत का विश्वगुरु बनना दुनिया के लिए सबसे बड़ा शुभ संदेश है।

हमारी संस्कृति में… pic.twitter.com/SajA1MdP01

— Vice-President of India (@VPIndia) February 28, 2025


गौड़ीय मिशन के संस्थापक आचार्य श्रील भक्ति सिद्धांत सरस्वती गोस्वामी प्रभुपाद की 150वें आगमन उत्सव के समापन समारोह में सभा को संबोधित करते हुए, श्री धनखड़ ने कहा, “हमारी संस्कृति में, हमने क्रूरता, आक्रमण और बर्बरता को सहन किया है… हमारे धार्मिक स्थानों, हमारे सांस्कृतिक प्रतीकों का किस तरह की बर्बरता, उग्रता और लापरवाही से विनाश हुआ! जब नालन्दा में आग लगाई गई तो अंदाजा लगाइए कि क्या-क्या नष्ट हुआ! नालन्दा में कितनी मंजिलें थीं, कितनी लाख किताबें थीं और वह सिर्फ भारत के लिए नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए थीं। आज तकनीक की प्रगति का हमारे ज्ञान के भंडार में संग्रहीत ज्ञान से कोई न कोई संबंध है।

अपने संबोधन में उन्होंने आगे कहा, “’यह श्यामा प्रसाद मुखर्जी की भूमि है, जिन्होंने राष्ट्रवाद से कभी समझौता नहीं किया. और यह कितना बड़ा बलिदान था! आज हम सौभाग्यशाली समय में हैं कि श्यामा प्रसाद मुखर्जी की जो चिंताएं थीं, उनके विचार थे, राष्ट्रवाद के प्रति उनकी प्रतिबद्धता थी और जो नासूर उन्हें नजर आया था, वह अब हमारे संविधान में मौजूद नहीं है।”

 

यह श्यामाप्रसाद मुखर्जी की भूमि है, जिन्होंने राष्ट्रवाद से कभी समझौता नहीं किया। कितना बड़ा बलिदान दिया !

आज हम सुखद कालखंड में हैं, कि जो चिंता श्यामाप्रसाद मुखर्जी ने की थी, जो उनकी सोच थी, राष्ट्रवाद के प्रति कटिबद्धता थी, और जो नासूर उनको नजर आ रहा था, आज वह नासूर हमारे… pic.twitter.com/V4vstb5epL

— Vice-President of India (@VPIndia) February 28, 2025

किसी भी देश का सबसे बड़ा अलंकरण यदि है तो उसकी संपदा नहीं उसका Culture है !

Culture यदि अगर एक बार गड़बड़ हो गया तो फिर गिरावट रुक नहीं सकती। आज आवश्यकता है कि हमारे बालक-बालिकाओं को हमारी संस्कृति का बोध हो।

Culture से जुड़े हुए जितने भी तत्व हैं, उनका preservation, उनको… pic.twitter.com/jsL9PZVsKG

— Vice-President of India (@VPIndia) February 28, 2025

संस्कृति के महत्व और समाज के सांस्कृतिक पहलुओं को संरक्षित करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए, श्री धनखड़ ने कहा, “आज, हमें अपने बच्चों को हमारी संस्कृति का बोध कराने की आवश्यकता है। यह एक सकारात्मक संकेत है कि इस दिशा में कई कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं, लेकिन किसी भी देश के लिए अगर कोई सबसे बड़ा अलंकरण है, तो वह उसकी संपत्ति नहीं, बल्कि उसकी संस्कृति है। एक बार संस्कृति छिन्न-भिन्न हो गई तो गिरावट को रोका नहीं जा सकता। सांस्कृतिक पहलुओं और संस्कृति से संबंधित सभी तत्वों का संरक्षण, पोषण और सुरक्षा महत्वपूर्ण हैं क्योंकि वे भारत को परिभाषित करते हैं।

भारत क्या है? हमारी संस्कृति इसको परिभाषित करती है !

आज के दिन हैं ऐसी ताकतें हैं, जो इस पवित्र भूमि पर कुदृष्टि रखती हैं। ऐसे मौके पर हमें सजग रहने की आवश्यकता है। हमारे मूल सिद्धांतों के प्रति प्रतिबद्धता दिखानी होगी।

आज के दिन हम क्या देख रहे हैं? एक दूसरे को सहन नहीं कर पा… pic.twitter.com/nFDdkt5u0M

— Vice-President of India (@VPIndia) February 28, 2025

उन्होंने कहा, “एक समय था…जब दुनिया भर से लोग ज्ञान और प्रकाश की खोज में आते थे। हमारे संस्थान बेहद प्रतिष्ठित थे, लेकिन किसी बिंदु पर, हम रास्ते से भटक गए। विदेशी आक्रमण हुए, यह लगभग 1200-1300 वर्ष पूर्व की बात है। एक क्रूर कृत्य हुआ, एक वज्रपात हुआ, एक हिंसक प्रहार हुआ और हमारे सांस्कृतिक एवं धार्मिक केंद्र नष्ट हो गए। हमें चरम बर्बरता देखने को मिली। जो किया गया वह अकल्पनीय था। और देखिए, 1000 वर्षों में इतना सब कुछ होने के बावजूद, भारत की संस्कृति को ख़त्म नहीं किया जा सका। यह आज भी जीवित है।”

दुनिया के सामने भयावह चुनौतियां हैं, लेकिन आज के दिन सबसे ज्यादा जो संकट है वो मानव के मन में है।

मानव अशांत है। साधन, सम्पन्नता, शक्ति के बावजूद कमी है शांति की।

दुनिया में जब लोगों को यह कमी महसूस होती है, तो उनको एक ही North-Star दिखाई देता है – भारत@BengalGovernor… pic.twitter.com/mtqT36cwxO

— Vice-President of India (@VPIndia) February 28, 2025


भारत को दुनिया के सांस्कृतिक केन्द्र के रूप में निरूपित करते हुए, उपराष्ट्रपति ने कहा, “भारत दुनिया का सांस्कृतिक केन्द्र है और कोलकाता संस्कृति के केन्द्रों में से एक है! आज दुनिया के सामने भयावह चुनौतियां हैं। वे हमें सोचने पर मजबूर करते हैं…हम जलवायु परिवर्तन की बात करते हैं, लेकिन आज सबसे बड़ा संकट मानव के मन में है। मानवता बेचैन है। भले ही हम भौतिक रूप से समृद्ध हैं, शक्तिशाली हैं, शक्ति का प्रदर्शन करने में सक्षम हैं, फिर भी कुछ कमी है। और जब लोगों को यह कमी महसूस होती है, तो उन्हें केवल एक ही ध्रुवतारा दिखाई देता है- भारत।”

 

India is cultural centre of the world and kolkata is one of the epicentres of culture !@BengalGovernor @MinOfCultureGoI@tourismgoi @TourismBengal @InformationAn12 pic.twitter.com/xiwAZK9PCJ

— Vice-President of India (@VPIndia) February 28, 2025

इस अवसर पर पश्चिम बंगाल के माननीय राज्यपाल श्री सी.वी. आनंद बोस, पर्यटन राज्यमंत्री श्री सुरेश गोपी, गौड़ीय मिशन के अध्यक्ष एवं आचार्य श्रीमद् भक्ति सुंदर संन्यासी गोस्वामी महाराज और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।

 

 

 

Tags: Vice President Jagdeep Dhankharvice president of india
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