कोलकाता : पश्चिम बंगाल के राज्यपाल डॉ. सी वी आनंद बोस (West Bengal Governor C V Anand Bose) ने 14 जून को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Chief Minister Mamata Banerjee) को पत्र लिखकर पूछा कि पुलिस ने चुनाव के बाद हुई हिंसा के कथित पीड़ितों को राजभवन (Raj Bhawan) में प्रवेश करने से किस आधार पर रोका, जबकि उनके कार्यालय ने इसके लिए आवश्यक अनुमति जारी की थी।
बता दें कि राज्यपाल बोस ने बराबाजार स्थित माहेश्वरी भवन का भी दौरा किया और लोकसभा चुनाव के बाद राज्य में हुई हिंसा से प्रभावित लोगों से मुलाकात की। भाजपा (BJP)ने चुनाव के बाद हुई हिंसा के आरोप टीएमसी पर लगाए हैं, जिसका राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी ने खंडन किया है।
पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने कहा, “मैंने पीड़ितों की बात सुनी है। यह मेरी कहानी का एक संस्करण है। राज्यपाल के तौर पर मैं निष्पक्ष रहना चाहता हूं। मुझे एक बार सरकार की बात सुनने दीजिए। उनका पक्ष सुनने के बाद मैं अपनी राय दूंगा।” मैंने इस पर सरकार से रिपोर्ट भी मांगी है।
“राज्यपाल ने सुवेंदु अधिकारी और चुनाव के बाद हुई हिंसा के पीड़ितों सहित प्रतिनिधिमंडल को राजभवन में प्रवेश करने और उनसे मिलने की लिखित अनुमति जारी की थी। इसके बावजूद पुलिस ने उन्हें प्रवेश नहीं करने दिया। राज्यपाल ने आज मुख्यमंत्री को संवैधानिक निर्देश जारी करते हुए जानना चाहा कि उन्हें क्यों रोका गया।”
उन्होंने बताया कि बैठक के दौरान बोस ने माहेश्वरी भवन में रह रहे करीब 150 लोगों से बातचीत की और उनकी शिकायतों का ब्यौरा लिया।
बता दें कि पुलिस ने गुरुवार को भाजपा सदस्य और विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी और चुनाव बाद हिंसा के कथित पीड़ितों को राज्यपाल बोस से मिलने के लिए राजभवन में प्रवेश करने से रोक दिया था। इसके लिए उन्होंने राज्यपाल भवन के बाहर लागू सीआरपीसी की धारा 144 का हवाला दिया। राज्यपाल बोस ने सीएम बनर्जी को भेजे अपने पत्र में संवैधानिक मानदंडों का भी हवाला दिया, जिसके तहत मुख्यमंत्रियों को राज्य के मामलों के प्रशासन और कानून के प्रस्तावों से संबंधित मंत्रिपरिषद के सभी फैसलों के बारे में राज्यपालों को सूचित करना आवश्यक है।