नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने शुक्रवार को राजभवन (RAJBHAVAN) की एक संविदा महिला कर्मचारी की याचिका पर पश्चिम बंगाल सरकार (GOVERNMENT OF WEST BRENGAL) को नोटिस (NOTICE) जारी किया, जिसने राज्य के राज्यपाल सी वी आनंद बोस (GOVERNOR C.V. ANAND BOSE) के खिलाफ यौन उत्पीड़न (sexual harassment) के आरोप लगाए थे, जिसमें पुलिस (POLICE) को मामले की जांच करने का निर्देश देने की मांग की गई थी।
भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ (Chief Justice of India D Y Chandrachud ) की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने महिला को मामले में भारत संघ को पक्षकार बनाने की भी अनुमति दी। पीठ, जिसमें न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला (Justices J B Pardiwala)और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा ( JUSTICE Manoj Misra) भी शामिल थे, ने अपने आदेश में उल्लेख किया कि यह “अनुच्छेद 361 (2) के तहत राज्यपाल (GOVERNOR) को दी गई सुरक्षा के दायरे” से संबंधित है।
प्रावधान के अनुसार, “राष्ट्रपति या किसी राज्य के राज्यपाल के खिलाफ उनके कार्यकाल के दौरान किसी भी अदालत में कोई भी आपराधिक कार्यवाही शुरू नहीं की जाएगी या जारी नहीं रखी जाएगी”।
केंद्र को पक्षकार बनाने की स्वतंत्रता देते हुए पीठ ने कहा, “याचिका खंड (2) की व्याख्या के संबंध में मुद्दा उठाती है, विशेष रूप से तब जब आपराधिक कार्यवाही को कानून के शासकीय प्रावधानों के अनुसार स्थापित किया जाएगा।”