नई दिल्ली : विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के तहत प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड (टीडीबी) ने कल 11 मई को भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी (इंडियन नेशनल साइंस अकैडेमी -आईएनएसए) सभागार, आईटीओ, नई दिल्ली में राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस, 2024 मनाया।पीआईबी द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार (According to the press release issued by PIB) ‘सतत भविष्य के लिए स्वच्छ और हरित प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देना’ विषय पर आयोजित इस कार्यक्रम में प्रख्यात वैज्ञानिकों, गणमान्य व्यक्तियों और विचारकों का जमावड़ा देखा गया, जिसका लक्ष्य स्वच्छ, हरित और अधिक लचीले राष्ट्र की दिशा में एक मार्ग का निर्माण करना था।
प्रो. अजय कुमार सूद, सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रो. अजय कुमार सूद, ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन को कम करने के उद्देश्य से नेशनल इलेक्ट्रिक मोबिलिटी मिशन प्लान (एनईएमएमपी) और फास्टर एडॉप्शन एंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ हाइब्रिड एंड इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (एफएएमई) जैसी पहलों के माध्यम से इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) को बढ़ावा देने पर जोर दिया। उन्होंने प्रधानमंत्री के विज्ञान, प्रौद्योगिकी नवाचार और सलाहकार परिषद (पीएम-एसटीआईएसी) के नेतृत्व में ईवी मिशन पर प्रकाश डाला, जो ईवी अपनाने के लिए सहायक मानकों और ढांचे को विकसित करने के लिए समर्पित है।
इसके अतिरिक्त, प्रोफेसर सूद ने 2070 तक सकल शून्य (नेट – जीरो) लक्ष्य की दिशा में भारत की यात्रा में राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन के रणनीतिक महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने इस मिशन के प्रमुख घटक के रूप में हरित हाइड्रोजन उत्पादन में पर्याप्त निवेश पर जोर दिया। प्रोफेसर सूद ने कार्बन कैप्चर यूटिलाइजेशन एंड स्टोरेज (सीसीयूएस) प्रौद्योगिकियों में चल रहे प्रयासों पर भी प्रकाश डाला, जिसमें लागत अनुकूलन और व्यापक औद्योगिक अनुप्रयोग के उद्देश्य से वे नीतियां शामिल हैं, जो भारत के स्थिरता लक्ष्यों में योगदान दे रही हैं।
प्रोफेसर सूद ने सतत विकास और अंतरराष्ट्रीय जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने के लिए भारत के तकनीकी ढांचे और नीतियों को बढ़ाने में परामर्शी समूहों जैसे शून्य उत्सर्जन ट्रकिंग पर रॉकी माउंटेन इंस्टीट्यूट (आरएमआई) के साथ प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार कार्यालय (ओपीएसए) की साझेदारी और अंतरराष्ट्रीय सहयोग के महत्व पर प्रकाश डाला ।
विज्ञान और पौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के सचिव प्रोफेसर अभय करंदीकर ने राष्ट्रीय विकास के लिए नवाचार के महत्व को रेखांकित किया, नवाचार की संस्कृति को बढ़ावा देने और राष्ट्र की प्रगति में योगदान करने के लिए व्यक्तियों को अवसर प्रदान करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने विभिन्न अनुसंधान और विकास कार्यक्रमों के वित्त पोषण और नेशनल इनिशिएटिव फॉर डेवेलपिंग एंड हार्नेसिंग इनोवेशन (एनआईडीएचआई- निधि) और प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड (टीडीबी) जैसी योजनाओं के माध्यम से नवाचार को बढ़ावा देने में सरकार की पहल पर प्रकाश डाला, जिसका उद्देश्य स्टार्टअप्स और उद्यमिता को बढ़ावा देना है। अपने संबोधन में प्रो. करंदीकर ने टिकाऊ क्षेत्रों, विशेष रूप से जल उपचार और इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) जैसी स्वच्छ और हरित प्रौद्योगिकियों में अनुसंधान और विकास का समर्थन करने में डीएसटी की महत्वपूर्ण भूमिका पर बल दिया। उन्होंने इन कार्यक्रमों में किए गए महत्वपूर्ण निवेश का उल्लेख किया और स्वच्छ और हरित ऊर्जा क्षेत्र में स्टार्टअप्स और सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) को समर्थन देने में टीडीबी के अग्रणी प्रयासों का भी उल्लेख किया ।
प्रो. करंदीकर ने प्रगति को आगे बढ़ाने के लिए नीतिगत ढांचे में प्रौद्योगिकी को एकीकृत करने के महत्व पर जोर देते हुए संबंधित मंत्रालयों के साथ सहयोग और स्थिरता लक्ष्यों की दिशा में उनके संक्रमण पर प्रकाश डाला। वर्ष 2070 तक शुद्ध-शून्य कार्बन उत्सर्जन प्राप्त करने के संकल्प के साथ, उन्होंने स्थिरता प्रयासों में भारत को वैश्विक नेता बनने की आकांक्षा व्यक्त की।
पद्मश्री प्रोफेसर जी.डी. यादव के मुख्य भाषण में 2070 तक शुद्ध शून्य उत्सर्जन लक्ष्य प्राप्त करने के लिए टिकाऊ समाधान, कार्बन हटाने और तकनीकी नवाचारों की पक्षधरता की गई। उन्होंने श्वेत हाइड्रोजन की क्षमता और हरित हाइड्रोजन के भविष्य की संभावनाओं के साथ ही स्थायी नवाचार के लिए अपशिष्ट से संपदा का सृजन करने वाली वाली उद्योग इकाइयों, हाइड्रोजनीकृत प्लास्टिक और बैटरी पुनर्चक्रण (रीसाइक्लिंग) को विकल्प के रूप में प्रस्तावित करने पर भी प्रकाश डाला।
प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड (टीडीबी) के सचिव श्री राजेश कुमार पाठक ने टीडीबी द्वारा वित्त पोषित महत्वपूर्ण परियोजनाओं का उल्लेख्क्रते हुए पर्यावरणीय प्रबंधन को बढ़ावा देने में इन प्रौद्योगिकियों की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया।
भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी (इंडियन नेशनल साइंस अकैडेमी – आईएनएसए) के अध्यक्ष और डीएसटी के पूर्व सचिव प्रोफेसर आशुतोष शर्मा ने स्थिरता लक्ष्यों को प्राप्त करने में प्रौद्योगिकी की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला और नीति निर्माताओं तथा हितधारकों से इसे प्राथमिकता देने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि “प्रौद्योगिकी एक दोधारी तलवार है: यह अक्षमता को कम करती है लेकिन खपत को भी बढ़ा सकती है। इससे निपटने के लिए, विद्युत् चालित वाहन (ईवी), हरित हाइड्रोजन, कार्बन कैप्चर और ऊर्जा-कुशल आवासों पर ध्यान देना होगा। जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए वैश्विक स्तर पर नवीकरणीय ऊर्जा में संक्रमण (ट्रांजीशन) आवश्यक है। आइए यह सुनिश्चित करें कि प्रौद्योगिकी से स्थिरता प्राप्त हो”।
इस कार्यक्रम में ऐसे 23 छात्रों की भागीदारी भी हुई है जिन्होंने देश भर में 140 छात्रों के बीच से 100 नवीन परियोजनाओं का प्रदर्शन किया, और जो प्रतिष्ठित रेजेनरॉन अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान एवं इंजीनियरिंग मेले (रेजेनरॉन इंटरनेशनल साइंस एंड इंजीनियरिंग फेयर – आईएसईएफ) में प्रतिस्पर्धा करने के लिए चयनित 20 परियोजनाओं का प्रतिनिधित्व कर रहे थे। इन फाइनलिस्टों ने 11-17 मई, 2024 तक लॉस एंजिल्स, कैलिफोर्निया, संयुक्त राज्य अमेरिका (यूएसए) में रेजेनरॉन अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान एवं इंजीनियरिंग मेले (आईएसईएफ) में भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए एक प्रतिष्ठित स्थान प्राप्त किया है। रेजेनरॉन आईएसईएफ, जो विश्व के सबसे बड़े प्री-कॉलेज विज्ञान मेले के रूप में प्रसिद्ध है, 60 से अधिक देशों के 1,600 से अधिक युवा विज्ञान प्रेमियों को एकजुट करने के साथ ही विचारों के आदान-प्रदान को बढ़ावा देता है और अत्याधुनिक विज्ञान का प्रदर्शन करता है। अक्सर “विज्ञान मेलों का ओलंपिक” कहा जाने वाला यह आयोजन युवा दिमागों को इस वैश्विक मंच पर अपनी धमक दिखाने के लिए एक मंच के रूप में कार्य करता है।
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