नई दिल्ली : गोवा में आयोजित भारत ऊर्जा सप्ताह (आईईडब्ल्यू)- 2024 के दौरान पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस नियामक बोर्ड (पीएनजीआरबी) के अधीन 5 से 8 फरवरी, 2024 के बीच पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस नियामकों के अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन संस्करण आयोजित किया गया। पीआईबी द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार (According to the press release issued by PIB) इस सम्मेलन में बांग्लादेश, इंडोनेशिया, मलेशिया, श्रीलंका और थाईलैंड के प्रमुख दक्षिण व दक्षिणपूर्व एशियाई राष्ट्रीय ऊर्जा नियामक प्राधिकरणों सहित अंतरराष्ट्रीय उद्योग क्षेत्र के नेता शामिल हुए। एसएंडपी ग्लोबल कमोडिटी इनसाइट्स इस सम्मेलन का ज्ञान साझेदार था।
इस सम्मेलन की व्यापक विषयवस्तु “प्राकृतिक गैस विकास के लिए मार्ग प्रशस्त करना” है। इसमें तीव्र गति और गहराई से उत्सर्जन में कमी लाने को लेकर प्राकृतिक गैस की भूमिका पर जोर दिया गया, जो उभरते व विकासशील देशों के जलवायु परिवर्तन संबंधित लक्ष्यों को पूरा करने के लिए महत्वपूर्ण है। इस सम्मेलन के तहत पांच पूर्ण सत्रों में ऊर्जा सुरक्षा को प्रभावित करने वाली भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं, तेजी से बुनियादी ढांचे के विकास, सार्वजनिक-निजी भागीदारी और संस्थागत विकास जैसे कई विषयों पर चर्चाएं हुईं। इस सम्मेलन के तहत अंतरराष्ट्रीय नियामकों की एक विशेष गोलमेज बैठक ने नियामक ढांचे के संरक्षकों को एक साथ लाने, ऊर्जा सुरक्षा बढ़ाने व प्रभावी प्रशासन सुनिश्चित करने के लिए सर्वश्रेष्ठ अभ्यासों, सीमा पार सहभागिता रणनीतियों को साझा करने के लिए एक मंच प्रदान किया।
पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस व आवास और शहरी कार्य मंत्री श्री हरदीप सिंह पुरी ने इस कार्यक्रम को संबोधित किया। उन्होंने भारत के ऊर्जा मिश्रण में प्राकृतिक गैस की हिस्सेदारी 6 फीसदी से बढ़ाकर 15 फीसदी करने के प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण का उल्लेख किया। उन्होंने इस पहल के लिए पीएनजीआरबी की सराहना की। इसके अलावा मंत्री ने आने वाले समय में तेल और गैस नियामकों के अंतरराष्ट्रीय नियामक सम्मेलन को आईईडब्ल्यू की एक अभिन्न विशेषता के रूप में बनाए जाने पर जोर दिया। वहीं, पीएनजीआरबी के अध्यक्ष डॉ. अनिल कुमार जैन ने प्राकृतिक गैस क्षेत्र के विकास को लेकर प्रभावी नियामक ढांचे तैयार करने के लिए ज्ञान साझा करने के संबंध में दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के बीच क्षेत्रीय सहयोग के महत्व पर जोर दिया।
इसमें वक्ताओं के सम्मानित समूह ने ऊर्जा मिश्रण में प्राकृतिक गैस की जरूरत और नेट-जीरो उत्सर्जन के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए एक रूपांतरणकारी ईंधन के रूप में इसकी भूमिका का उल्लेख किया। उन्होंने विकासशील देशों में ऊर्जा आपूर्ति को प्रभावित करने वाली भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं और ऊर्जा आपूर्ति को सुरक्षित करने के लिए वैश्विक दक्षिण से एकजुट मोर्चे की जरूरत को रेखांकित किया। इस वार्ता ने भारत के प्राकृतिक गैस नियामक व बुनियादी ढांचे के विकास, विशेष रूप से विश्वसनीय और सस्ती स्वच्छ ऊर्जा प्रदान करने के लिए समग्र बुनियादी ढांचे के विकास व शहरी गैस वितरण क्षेत्र, को रेखांकित किया।
इसमें उद्योग जगत की प्रमुख हस्तियों ने परस्पर जुड़े गैस और बिजली ग्रिड के माध्यम से दक्षिण व दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के बीच एक क्षेत्रीय स्वच्छ ऊर्जा एजेंडा की जरूरत होने की पैरवी की। पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस नियामकों का अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन ने विशेषज्ञता के एक समूह के रूप में कार्य किया है, जो विभिन्न हितधारकों को नेटवर्क बनाने, ज्ञान का आदान-प्रदान करने और प्राकृतिक गैस क्षेत्र के विकास के भविष्य को आकार देने के लिए साझेदारी बनाने का अवसर प्रदान करता है।