कोलकाता : अंतरराष्ट्रीय कोलकाता पुस्तक मेला के प्रेस कार्नर में वाणी प्रकाशन और भारतीय भाषा परिषद द्वारा आयोजित समारोह में डॉ. सुनील कुमार शर्मा की तकनीक आधारित दो पुस्तकों ‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस’ तथा ’चैटजीपीटी’ का विमोचन हुआ। प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार इस अवसर पर ‘कृत्रिम मेधा, समाज और साहित्य’ विषय पर एक परिचर्चा सत्र का भी आयोजन हुआ। कार्यक्रम में वरिष्ठ लेखक-आलोचक डॉ. शंभुनाथ की अध्यक्षता में साहित्यकार मृत्युंजय श्रीवास्तव, इतिहासकार हितेंद्र पटेल, लेखक डॉ. सुनील कुमार शर्मा एवं वाणी प्रकाशन ग्रुप की कार्यकारी निदेशक अदिति माहेश्वरी गोयल ने वक्तव्य रखा। सत्र का संचालन प्रो. संजय जायसवाल ने किया।
वरिष्ठ आलोचक डॉ. शम्भुनाथ ने अध्यक्षीय वक्तव्य में कहा कि ‘कृत्रिम मेधा कितनी सभ्यता की उपलब्धि साबित होगी यह अभी स्पष्ट होना है। मेधारोबोट मनुष्य का विकल्प नहीं हो सकते। समाज में ऐसी किताबें आनी चाहिए और इनका स्वागत होना चाहिए, ये समाज के ज्ञान को समृद्ध करती है।’ लेखक और संस्कृति कर्मी मृत्युंजय श्रीवास्तव ने कहा कि ‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस रचनात्मकता का विकल्प नहीं है इसलिए रचनात्मकता पर कोई संकट नहीं है।’ इतिहासकार प्रो. हितेंद्र पटेल ने कहा कि ‘श्रम का आनंद और नियंत्रण की आकांक्षा का परिणाम कृत्रिम मेधा है। समाज कृत्रिम मेधा और शारीरिक श्रम दोनों के बीच में किसको स्वीकार करेगा, यह समाज तय करेगा।’
कवि एवं तकनीकविद डॉ. सुनील कुमार शर्मा ने कहा कि ‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग जरूरत के हिसाब से होता है और यह औद्योगिक विकास में यह एक बड़ी क्रांति लाएगा। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग मानव क्षमताओं का विस्तार करते हुए मानव कल्याण और सभ्यता के विकास के लिए होना चाहिए। इसलिए आवश्यक है कि एआई का विकास जिम्मेदारी के साथ नैतिक निहितार्थ के साथ संरेखित करना होगा।’ इस अवसर पर कोलकाता के सैकड़ों साहित्य-प्रेमी और संस्कृति-प्रेमी मौजूद रहे।