नई दिल्ली : प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने श्री रामलिंग स्वामी, जिन्हें वल्लालार के नाम से भी जाना जाता है, उनकी 200वीं जयंती के अवसर पर संबोधित किया। पीआईबी द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार सभा को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वल्लालार से निकटता से जुड़े स्थान वडालूर में कार्यक्रम आयोजित करने पर प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि वल्लालार 19वीं सदी के भारत में रहने वाले सबसे प्रतिष्ठित संतों में से एक थे और उनकी आध्यात्मिक शिक्षाएं आज भी लाखों लोगों को प्रेरित करती हैं । श्री मोदी ने कहा, “वल्लालार का प्रभाव वैश्विक है” और उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि कई संगठन उनके विचारों और आदर्शों पर आज चल रहे हैं।
My homage to the great Vallalar on his 200th Jayanti. https://t.co/fRQYtRCVi4
— Narendra Modi (@narendramodi) October 5, 2023
“जब हम वल्लालार को याद करते हैं, तो हम उनकी अपनत्व और करुणा की भावना को याद करते हैं
प्रधानमंत्री ने कहा, “जब हम वल्लालार को याद करते हैं, तो हम उनकी अपनत्व और करुणा की भावना को याद करते हैं।” उन्होंने रेखांकित किया कि वल्लालार जीवन के ऐसे तरीके में विश्वास करते थे जहां साथी मनुष्यों के प्रति करुणा सर्वोपरि थी। प्रधानमंत्री ने भुखमरी दूर करने में उनके सबसे महत्वपूर्ण योगदान और प्रतिबद्धता पर प्रकाश डाला और कहा, “भूख से सोते हुए मनुष्य की पीड़ा उनके लिए सबसे बड़ी पीड़ा थी। उनका मानना था कि भूखे लोगों के साथ भोजन साझा करना दयालुता के सबसे महान कार्यों में से एक है। वल्लालार को उद्धरित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ” ”जिस पल मैं फसलों को सूखते देखता हूं, मैं खुद ही मुरझा जाता हूं।” उन्होंने रेखांकित किया कि उनकी सरकार भी इसी आदर्श के लिए प्रतिबद्ध रही है। इस मौके पर उन्होंने उदाहरण दिया कि कैसे सरकार ने कोविड महामारी की भीषण आपदा के दौरान 80 करोड़ भारतीयों को मुफ्त खाद्यान्न उपलब्ध कराया।
वल्लालार चाहते थे – युवा तमिल, संस्कृत और अंग्रेजी में पारंगत हों
सीखने और शिक्षा की शक्ति में वल्लालार के विश्वास के संदर्भ में प्रधानमंत्री ने रेखांकित किया कि वह किसी को भी मार्गदर्शन देने के लिए हमेशा तैयार रहते थे और उन्होंने अनगिनत लोगों का मार्गदर्शन किया। श्री मोदी ने कुरल को और अधिक लोकप्रिय बनाने के वल्लालार के प्रयासों और आधुनिक पाठ्यक्रमों को दिए गए महत्व पर प्रकाश डाला। प्रधानमंत्री ने दोहराया कि वल्लालार चाहते थे – युवा तमिल, संस्कृत और अंग्रेजी में पारंगत हों। इसी संदर्भ में उन्होंने बीते नौ वर्षों में भारतीय शिक्षा के बुनियादी ढांचे को बदलने के सरकार के प्रयासों पर प्रकाश डाला। भारत को तीन दशकों के बाद मिली राष्ट्रीय शिक्षा नीति के बारे में बोलते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह नीति नवाचार, अनुसंधान और विकास पर ध्यान केंद्रित करते हुए पूरे शिक्षा परिदृश्य को ही बदल रही है। उन्होंने पिछले नौ वर्षों में रिकॉर्ड संख्या में स्थापित विश्वविद्यालयों, इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेजों पर प्रकाश डाला और कहा कि युवा अब अपनी स्थानीय भाषाओं में अध्ययन करके डॉक्टर और इंजीनियर बन सकते हैं, जिससे युवाओं के लिए कई अवसर खुलेंगे।
वल्लालार अपने समय से काफी आगे थे
“जहां तक सामाजिक सुधारों की बात थी तो वल्लालार अपने समय से काफी आगे थे” इसे रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भगवान के बारे में वल्लालार का दृष्टिकोण धर्म, जाति और पंथ की हदों से परे था। उन्होंने कहा कि वल्लालार ने ब्रह्मांड के कण-कण में दिव्यता देखी और मानवता से इस दिव्य संबंध को पहचानने और संजोने का आग्रह किया। प्रधानमंत्री ने रेखांकित किया कि जब वे वल्लालार को श्रद्धांजलि दे रहे हैं तब सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास में उनका भरोसा और भी सुदृढ़ हो जाता है क्योंकि उनकी शिक्षाओं का उद्देश्य भी समानता पर आधारित समाज के लिए काम करना है। प्रधानमंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि वल्लालार ने नारी शक्ति वंदन अधिनियम के पारित होने पर अपना आशीर्वाद दिया होगा, जो कि विधायी निकायों में महिलाओं के लिए सीटें आरक्षित करता है। वल्लालार के कार्यों की सरलता पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्हें पढ़ना और समझना बेहद आसान है और वे सरल शब्दों में जटिल आध्यात्मिक ज्ञान भी व्यक्त करते हैं। प्रधानमंत्री ने दोहराया कि भारत के सांस्कृतिक ज्ञान की विविधता समय और स्थान के पार महान संतों की शिक्षाओं के सामान्य सूत्र से जुड़ी हुई है जो एक भारत, श्रेष्ठ भारत की सामूहिक दृष्टि को रेखांकित करती है।”
इस पावन अवसर पर प्रधानमंत्री ने वल्लालार के आदर्शों को पूरा करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई और सभी से प्रेम, दया और न्याय के उनके संदेशों को फैलाने का आग्रह किया। प्रधानमंत्री ने अपनी बात समाप्त करते हुए कहा, “कामना करते हैं कि उनके दिल के करीब जो क्षेत्र हैं हम उनमें कड़ी मेहनत करते रहें। आइए यह सुनिश्चित करें कि हमारे आसपास कोई भी भूखा न रहे। आइए हम सुनिश्चित करें कि हर बच्चे को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिले।”
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