कोलकाता : पश्चिम बंगाल राज्यपाल सीवी आनंद बोस (West Bengal Governor CV Anand Bose) के भ्रष्टाचार के मुद्दों पर लोगों से सीधे जानकारी हासिल करने के लिए राजभवन (Raj Bhavan) में एक विशेष सेल खोलने के फैसले को लेकर राजभवन और राज्य सचिवालय (state secretariat) के बीच खींचतान बढ़ती दिख रही है। प्रस्तावित भ्रष्टाचार निरोधी सेल (anti corruption cell) राज्य में हाल ही में संपन्न पंचायत चुनावों के दौरान राजभवन परिसर के भीतर खोले गए शांति कक्ष से संचालित होगा, जिसके माध्यम से अधिकारियों को चुनाव संबंधी हिंसा और रक्तपात की घटनाओं के बारे में जनता से सीधी शिकायतें मिली थीं।
विश्वविद्यालयों में भ्रष्टाचार को रोकने के लिए सेल का गठन
राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने आज कहा कि भ्रष्टाचार निरोधी सेल की स्थापना मूल रूप से विश्वविद्यालयों में व्याप्त भ्रष्टाचार को रोकने के लिए की गई है क्योंकि राज्यपाल राज्य के विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति हैं। लेकिन भ्रष्टाचार एक सर्वव्यापी मुद्दा है। जब भी किसी को भ्रष्टाचार के प्रयास का पता चलता है तो वे इसकी सूचना सेल को देने के लिए स्वतंत्र हैं। हम उन शिकायतों का विश्लेषण करेंगे, मामले को उचित अधिकारियों के समक्ष उठाएंगे और मामले पर कार्रवाई भी करेंगे। यह एक तरह की नैतिक पुलिसिंग होगी। कानूनी तौर पर संबंधित विभाग भी आवश्यक कार्रवाई करेगा।
शिक्षा प्रणाली पर पूर्ण नियंत्रण करने का एक स्पष्ट प्रयास : शिक्षा मंत्री
राज्य के शिक्षा मंत्री ब्रात्य बसु के अनुसार यह शिक्षा प्रणाली पर पूर्ण नियंत्रण करने का एक स्पष्ट प्रयास है। उन्होंने कहा कि राजभवन की ओर से इस तरह का हस्तक्षेप सभी गैर-भाजपा शासित राज्यों में हो रहा है। लेकिन बंगाल में उस हस्तक्षेप ने अभूतपूर्व रूप ले लिया है। उन्होंने राज्य शिक्षा विभाग पर चर्चा किए बिना इस सेल को खोलने का फैसला किया है, जिससे ऐसा लगता है कि वह पहले ही मानकर चल रहे हैं कि विभाग भ्रष्टाचार का अड्डा है। हालांकि भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता शमिक भïट्टाचार्य ने कहा है कि राज्यपाल को अपने कार्यालय में रिकार्ड रखने का पूरा अधिकार है।
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