नयी दिल्ली : केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज दिल्ली में कहा कि वैक्सीन और चंद्रयान जैसी वैश्विक सफलता की कहानियां भारत की अभूतपूर्व प्रगति का प्रमाण हैं। वे राष्ट्रीय राजधानी में ‘‘विज्ञान भारती’’ के नए परिसर का उद्घाटन करने के बाद बोल रहे थे और उन्होंने इसे लंबे समय से महसूस की जा रही जरूरत बताया। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि यह कार्यालय विचारों के आदान-प्रदान और ज्ञानार्जन का केंद्र होगा।
समारोह को संबोधित करते हुए केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार); प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा एवं अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत विज्ञान के क्षेत्र में एक परिवर्तनकारी युग का साक्षी बन रहा है। उन्होंने इस बात पर रोशनी डाली कि कैसे प्रधानमंत्री न केवल प्रोत्साहित करते हैं, बल्कि वे वैज्ञानिक समुदाय को अटूट समर्थन भी देते हैं, संसाधनों के साथ इसे मजबूत करते हैं और सर्वोत्तम परिणाम हासिल करने के लिए गैर-सरकारी क्षेत्रों के साथ सहयोग को सक्षम बनाते हैं।
पिछले दशक की प्रगति पर रोशनी डालते हुए, डॉ. जितेंद्र सिंह ने इस बात पर बल दिया कि भारत के पास हमेशा से ही प्रचुर वैज्ञानिक कौशल और प्रतिभा रही है, लेकिन राजनीतिक नेतृत्व की ओर से प्रतिबद्धता और प्राथमिकता का अभाव था – जिसे अब प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के शासन में सक्रिय रूप से संबोधित किया जा रहा है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने भारत द्वारा की गई महत्वपूर्ण प्रगति को रेखांकित किया, विशेष रूप से स्वास्थ्य सेवा में। उन्होंने कहा कि भारत, जिसे कभी उपचारात्मक स्वास्थ्य सेवा में गंभीरता से नहीं लिया जाता था, अब निवारक स्वास्थ्य सेवा में वैश्विक स्तर पर एक अग्रणी देश के रूप में उभर रहा है। उन्होंने भारत की उपलब्धियों का गर्व से जिक्र किया, जिनमें शामिल हैं: महामारी के दौरान विकसित पहला डीएनए टीका। सर्वाइकल कैंसर से निपटने के लिए पहला स्वदेशी एचपीवी टीका और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में तेजी से प्रगति, बावजूद इसके कि इस क्षेत्र में देर से शुरुआत की गई। वे वैश्विक जलवायु परिवर्तन प्रयासों के लिए भारत की प्रतिबद्धता के बारे में भी बोले, जो 2070 तक शुद्ध-शून्य उत्सर्जन प्राप्त करने के देश के लक्ष्य की पुन: पुष्टि करता है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने पारंपरिक ज्ञान डिजिटल लाइब्रेरी (टीकेडीएल) के महत्व पर प्रकाश डाला और इसे स्वदेशी ज्ञान के एक मूल्यवान भंडार की संज्ञा दी। उन्होंने कुछ उदाहरण दिए जैसे: ओडिशा में कोणार्क मंदिर, जो 2000 के सुपर साइक्लोन के बाद भी सुरक्षित और अक्षत रहा और ये भारत की वास्तुकला के प्रतिस्कंदन को दर्शाता है।
पारंपरिक चिकित्सा में बढ़ती रुचि, जैसा कि महामारी के दौरान देखा गया, जब पश्चिम ने संभावित उपचारों के लिए होम्योपैथी और प्राकृतिक चिकित्सा की खोज की। उन्होंने टाटा समूह के सहयोग से अरुणाचल प्रदेश में सड़क निर्माण के लिए इस्पात स्लैग का उपयोग करने में भारत की सफलता का भी उल्लेख किया तथा अजंता और एलोरा के स्थायी मार्गों के साथ समानताएं बताईं, जो समय की कसौटी पर खरे उतरे हैं।
डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी को उद्धृत करते हुए डॉ. सिंह ने कहा, ‘‘अपनी धरोहर के प्रति प्रतिबद्ध रहते हुए, हमें दुनिया भर में जो कुछ हो रहा है, उससे स्वयं को वंचित नहीं रखना चाहिए।’’ उन्होंने विज्ञान भारती से पहलों की पहचान करने और सहयोग को बढ़ावा देने के लिए एक इंटरफेस के रूप में कार्य करने का आग्रह किया, ठीक उसी तरह जैसे आईएन-एसपीएसीई और बीआईआरएसी क्रमशः अंतरिक्ष और जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्रों के लिए सफल मंच बन गए हैं।
मंत्री महोदय ने स्वदेशी एंटीबायोटिक ‘नेफिथ्रोमाइसिन’ के बनाने के साथ-साथ फार्मास्यूटिकल्स में भारत की हालिया सफलता की भी गर्व से घोषणा की, जो भारत को पारंपरिक और अत्याधुनिक दोनों प्रौद्योगिकियों में अग्रणी बनाता है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने इस बात पर बल दिया कि एकीकरण अब एक विकल्प नहीं, बल्कि एक आवश्यकता है और उन्होंने विज्ञान भारती से व्यापक वैज्ञानिक एकीकरण के लिए एक प्रमुख माध्यम बनने का आह्वान किया। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि ऐसे प्रयास विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक वैश्विक शक्ति केन्द्र के रूप में भारत की सतत प्रगति को गति प्रदान करेंगे।
“Integration is no longer an option but a necessity!”
The exclusive new office complex of “Vigyan Bharati” at the national capital New Delhi was a long-felt need. The premises will serve as a hub for scientific collaboration and a seat of learning . Under PM Sh @narendramodi ’s… pic.twitter.com/L7ntQirpEe— Dr Jitendra Singh (@DrJitendraSingh) February 9, 2025